लोकसभा में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा करते हुए राहुल गांधी और पहली बार लोकसभा पहुंचे समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने देश के जनमानस की समस्याओं को सदन में उठाते हुए मोदी सरकार के दस साल के कामकाज की बखिया उधेड़ी है उससे प्रधानमंत्री मोदी घबरा उठे हैं.
18वीं लोकसभा में राहुल-अखिलेश, मोदी की भाषा में कहें तो दो लड़कों की जोड़ी के नेतृत्व में इंडिया गठबंधन और एनडीए सरकार के बीच घमासान शुरू हो चुका है, और यह घमासान अब पांच साल थमने वाला नहीं है. पहली बार मोदी सरकार का सामना एक ऐसे मजबूत विपक्ष से हो रहा है जिसके तीरों की तिलमिलाहट प्रधानमंत्री सहित तमाम भाजपाइयों के चेहरे पर साफ़ देखी जा सकती है.
नेता प्रतिपक्ष के रूप में अपने पहले ही भाषण में राहुल गाँधी ने ऐसा गर्दा उड़ाया कि सरकार बौखला गई है. अपने 90 मिनट के भाषण में राहुल पूरी तरह से नियंत्रण में नज़र आए, कहीं भी उन की जबान फिसली नहीं, मोदी सरकार को ठोस सवालों से आहत करने के चलते उन के भाषण के बीच सत्ता पक्ष के सदस्यों को बार-बार खड़े होना पड़ा. राहुल को चेतावनी देने के लिए कई तरह के नियमों का हवाला दिया गया लेकिन मगर उन की बातों की काट किसी के पास नहीं थी. राहुल सदन का सच से सामना करा रहे थे.
राहुल गांधी ने अपने भाषण की शुरुआत हाथ में संविधान की कौपी ले कर की. बीच भाषण में ही उन्होंने भगवान शिव की तस्वीर दिखाते हुए जो टिप्पणी की उस पर सदन में हंगामा हो गया. राहुल ने भगवान शिव की तस्वीर दिखाते हुए कहा कि देश का हिंदू अहिंसा को मानने वाला है, मगर ये जो खुद को हिन्दू कहते हैं वे हर वक्त हिंसा हिंसा और नफरत नफरत फैलाने का काम कर रहे हैं. इस पर मोदी अपनी सीट से उठे और बड़ी चालाकी से राहुल की बात पकड़ते हुए बोले – राहुल जी का ‘पूरे हिंदू समाज को हिंसक कहना ठीक नहीं है. सत्ता पक्ष के लोग भी मोदी के सुर में सुर मिलाने लगे तो इस पर राहुल ने साफ़ किया कि नरेंद्र मोदी पूरा हिन्दू समाज नहीं है, भाजपा पूरा हिंदू समाज नहीं है, आरएसएस पूरा हिंदू समाज नहीं है.
मोदी सरकार और संघ जिस तरह पूरे दस साल देश में हिंदूमुस्लिम के बीच नफरत बढ़ाने के लिए हिंसा और नफरत की राजनीति करते रहे, उस का खुलासा राहुल ने सदन के भीतर पूरी ताकत से किया. उन की तमाम बातें सत्ता पक्ष के सीने में तीर सी चुभी. राहुल गांधी यहीं नहीं रुके उन्होंने मोदी सरकार की तमाम योजनाओं और नीतियों की भी बखिया उधेड़ कर रख दी. सेना की अग्निवीर योजना पर उन्होंने हमला बोला और कहा कि अग्निवीर सैनिक ‘यूज एंड थ्रो’ मजदूर बन गए हैं. इस पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह को उठ कर सरकार का बचाव करना पड़ा.
राहुल गांधी ने बताया – एक बारूदी सुरंग से एक अग्निवीर शहीद हुआ. मैं उसे शहीद कह रहा हूं लेकिन भारत सरकार और नरेंद्र मोदी उसे शहीद नहीं कहते, उसे अग्निवीर कहते हैं, उसे पेंशन नहीं मिलेगी. उस घर को मुआवजा नहीं मिलेगा. शहीद का दर्जा नहीं मिलेगा.
उन्होंने कहा – भारत के एक आम जवान को पेंशन मिलेगी लेकिन एक अग्निवीर को जवान नहीं कहा जा सकता. अग्निवीर यूज़ एंड थ्रो मज़दूर हैं. उसे आप छह महीने की ट्रेनिंग देते हैं जिसे दूसरी तरफ़ पांच साल की ट्रेनिंग पाए चीन के जवान के सामने खड़ा कर दिया जाता है.
राहुल ने सरकार पर आरोप लगाया – एक जवान और दूसरे जवान के बीच फूट डाल देते हो. एक को पेंशन मिलेगी, शहीद का दर्जा मिलेगा और दूसरे को न तो पेंशन मिलेगी न ही शहीद का दर्जा मिलेगा. और फिर अपने आप को देश भक्त कहते हो. ये कैसे देश भक्त हैं?
राहुल गांधी ने कहा – देश की सेना जानती है, पूरा देश जानता है. अग्निवीर स्कीम, सेना की नहीं पीएमओ की स्कीम है. पूरी सेना जानती है कि स्कीम प्राइम मिनिस्टर का ब्रेन चाइल्ड थी, स्कीम सेना का ब्रेन चाइल्ड नहीं था.
राहुल गांधी ने लोकसभा में नीट केपेपर लीक और मणिपुर का भी सवाल उठाया. मणिपुर हिंसा पर सरकार को घेरते हुए राहुल गांधी ने कहा कि सरकार इस राज्य को भारत का हिस्सा नहीं मानती. प्रधानमंत्री और गृह मंत्री इस पर एक शब्द नहीं कहते जैसे मणिपुर इस देश का अंग ही नहीं है. भाजपा ने मणिपुर को आग में झोंक दिया है. उन्होंने नोटबंदी और जीएसटी जैसे सरकार के पुराने फैसलों को लेकर भी भाजपा को घेरा.
राहुल गांधी ने किसानों के आंदोलन का मुद्दा भी उठाया. उन्होंने कहा – सरकार को इतना अहंकार हो गया कि किसानों को आतंकवादी कह दिया. हम किसान आंदोलन में शहीद हुए लोगों को श्रद्धांजलि देने के लिए एक मिनट का मौन रखना चाहते थे लेकिन आप ने ये कहते हुए इनकार कर दिया के वे आतंकवादी हैं. सरकार अभी भी उन्हें एमएसपी की कानूनी गारंटी नहीं दे पाई है.
राहुल के तीरों से घायल मोदी सरकार अभी अपने बचाव का मरहम तलाश रही थी कि दूसरे दिन सदन में अखिलेश यादव ने अपने भाषण से रही सही कसर भी पूरी कर दी. उन्होंने तो बातों ही बातों में स्पीकर साहब को भी यह नसीहत दे डाली कि वे सिर्फ सत्ता पक्ष की नहीं बल्कि अपनी बात रखने के लिए विपक्ष को भी पूरा वक़्त देंगे, उस की बातों पर ध्यान देंगे और सदस्यों के निलंबन जैसे काण्ड अब नहीं दोहराए जाएंगे.
अखिलेश ने स्पीकर को सब के साथ बराबरी और निष्पक्ष रहने का संदेश देते हुए यह भी कह दिया कि आप का अंकुश विपक्ष पर तो रहता ही है, हम उम्मीद करेंगे की यह अंकुश सत्ता पक्ष पर भी रहे. उन्होंने मोदी को टारगेट करते हुए व्यंगपूर्ण लहजे में स्पीकर से कहा – अध्यक्ष महोदय आपके इशारे पर सदन चले, इसका उलटा न हो, हम आपके हर न्यायसंगत फैसले के साथ खड़े हैं.
लोकसभा में चर्चा में भाग लेते हुए समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने भारतीय अर्थव्यवस्था पर बड़ा सवाल उठाया. वे बोले – कहने को सरकार यह कहती है की यह पांचवी सब से बड़ी अर्थव्यवस्था बन गई है और जीडीपी के मामले में दुनिया की पांचवी इकोनौमी बन गई है. लेकिन अध्यक्ष महोदय यह सरकार क्यों छुपाती है की हमारी प्रति व्यक्ति आय किस स्थान पर पहुंची है? हम हेंगर इंडेक्स पर कहां खड़े हैं? हैप्पी नेस इंडेक्स पर कहां खड़े हैं? भाजपा सरकार में युवाओं के पास नौकरी नहीं है. क्योंकि सरकार नौकरी देना नहीं चाहती है. इसीलिए लगातार पेपर लीक हो रहे हैं. अखिलेश बोले – यूपी में सभी पेपर लीक हुए हैं. कई ऐसे राज्य जहां कि बच्चे पेपर तो देने गए, लेकिन पेपर लीक हो गया. नीट का पेपर भी लीक हो गया. सरकार पेपर लीक इसलिए करा रही क्योंकि वो नौकरी नहीं देना चाहती. नौकरी देगी तो फिर आरक्षण भी देना पड़ेगा. तो मोदी सरकार न तो देश के नौजवानों को नौकरी देना चाहती है और ना पिछड़े और दलित को आरक्षण.
अखिलेश ने ईवीएम पर भी भरोसा ना होने की बात सदन में रखी. वे बोले – मुझे ईवीएम पर भरोसा नहीं है. मैं उत्तर प्रदेश की 80 की 80 सीटों पर भी जीत हासिल कर लूं तब भी ईवीएम पर भरोसा नहीं होगा. हम ईवीएम से जीत कर ईवीएम हटाने का काम करेंगे. ईवीएम का मुद्दा न मरा है न खतम हुआ है. जब तक ईवीएम नहीं हटेगी हम समाजवादी लोग इस के लिए लड़ते रहेंगे. जब भी इंडिया गठबंधन की सरकार सत्ता में आएगी हम अग्निवीर जैसी योजना को भी हटाएंगे.
अखिलेश यादव ने भाजपा पर तंज कस्ते हुए कहा – ऐसा कहा गया कि 400 पार. मैं देश की समझदार जनता को धन्यवाद दूंगा. अवाम ने तोड़ दिया हुकूमत का गुरूर. दरबार तो लगा है पर बड़ा गमगीन बड़ा बेनूर. पहली बार ऐसा लग रहा है कि हारी हुई सरकार सदन में विराजमान है. जनता कह रही है चलने वाली नहीं है सरकार. अब यहां मनमर्जी नहीं, जनमर्जी चलेगी. संसद में अखिलेश का शायराना अंदाज दिखा. अखिलेश ने अपने जुदा अंदाज में कहा कि कुछ बातें काल और समय से परे होती हैं इसलिए एक शेर याद आ गया जो तब सही था और अब और सही साबित हो रहा है –
हजूर ए आला आज खामोश बैठे हैं इसी गम में
महफिल लूट ले गया कोई और जबकि सजाई हम ने
अखिलेश ने अयोध्या में समाजवादी पार्टी की जीत का मुद्दा भी उठाया. उन्होंने कहा- हम बचपन से सुनते आए हैं – होइहि सोइ जो राम रचि राखा. अयोध्या की जीत ने इसे साबित कर दिया. जो कहते थे हम उन को लाए हैं, उन्होंने उन्हें हरा दिया.
अखिलेश के पूरे भाषण के दौरान अध्यक्ष महोदय ओम बिरला का चेहरा लटका रहा. जैसे उन्हें समझ में नहीं आ रहा था कि जो सच अखिलेश के मुंह से निकल रहा है उसे कैसे रोकें, कैसे टोकें और कैसे मोदी की इज्जत बचाएं.
उधर अखिलेश एक के बाद एक तीर छोड़ रहे थे. वे बोले रहे थे – पूरा इंडिया समझ गया है कि इस चुनाव में इंडिया गठबंधन की नैतिक जीत हुई है. 2024 का परिणाम हम इंडिया वालों के लिए जिम्मेदारी से भरा पैगाम है. अगर 15 अगस्त 1947 उपनिवेश राजनीति से आजादी का दिन था तो 4 जून 2024 का दिन देश के लिए साम्प्रदायिक राजनीति से आजादी का दिन रहा. ये सांप्रदायिक राजनीति का अंत और सामुदायिक राजनीति की शुरुआत है.
अखिलेश ने लोकसभा में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का पीछा भी नहीं छोड़ा और मोदी के साथ योगी को भी खूब लपेटा. अखिलेश ने कहा – उत्तर प्रदेश की जनता ने दो बार भाजपा की सरकार बनाई मगर उसी उत्तर प्रदेश के साथ कितना बड़ा भेदभाव हुआ. जब प्रधानमंत्री एयरफोर्स के सब से भारी भरकम हवाई जहाज से उतरे थे सड़क पर, वो अलग बात है की उस प्रदेश के मुख्यमंत्री उनके साथ नहीं बैठ पाए थे. लेकिन वो एक्सप्रेस वे जो बना था और आज भी जो उत्तर प्रदेश में बन रहे हैं वो उत्तर प्रदेश के बजट से बन रहे हैं, दिल्ली की तरफ से कोई एक्सप्रेस वे अभी नहीं दिया गया है.
उन्होंने न सिर्फ इंफ्रास्ट्रक्चर में भेदभाव पर सवाल उठाया बल्कि यह भी कहने से नहीं चुके कि प्रधानमंत्री मोदी ने जो बड़े पैमाने पर गाँव गोद लिए थे उन की हालत आज भी ज्यों की त्यों है. अखिलेश बोले – सोचिये अगर देश के सब से बड़ा सांसद कोई गांव गोद ले और उस गांव की तस्वीर दस साल में भी ना बदले तो कितने शर्म की बात है. अखिलेश ने गांव और गाँव के लोगों के कष्टों का जिक्र करते हुए जो बातें कहीं वे वाकई बहुत गंभीर हैं, उन्होंने बहुत भावुक लहजे में कहा कि टूटी सड़कें, कच्ची पगडंडियां, टूटे हुए ईंट के खड़ंजे, बदहाल हैंडपंप, खाली पड़े रसोई गैस के सिलिंडर, अंधाधुंध बिजली कटौती जिसके कारण सूखे खेत और मजदूरी की कभी ना ख़त्म होने वाली तलाश आखिर कब ख़त्म होगी. इन्होंने कहा कि हम किसानों की आय दोगुनी कर देंगे, आज पूरे देश का किसान खुद को ठगा हुआ महसूस कर रहा है.
भाजपा के स्मार्ट सिटी के झूठे सपने की याद दिलाते हुए अखिलेश ने मोदी को निशाने पर लेते हुए पूछा – जिस गांव को गोद लिया था उसका नाम भी किसी को याद है कि नहीं?
फिर खुद ही जवाब देते हुए बोले – मैं नाम पूछ कर किसी को शर्मिन्दा नहीं करूंगा. क्योंकि अगर नाम याद है तो यह और बुरी बात है कि आपने नाम याद होने के बावजूद भी कुछ नहीं किया. जिसे गोद लिया जाता है उसे अनाथ बना कर छोड़ देना अच्छी बात नहीं है.
अखिलेश की इन बातों पर सदन में मोदी सरकार शेम शेम के स्वर उभरे और भाजपाइयों के चेहरे सिकुड़ गए. दो लड़कों की जोड़ी ने जिस तरह दो दिन सदन के भीतर मोदी सरकार की बखिया उधेड़ी इससे मोदी तिलमिलाए तो बहुत मगर कहते हैं कि रस्सी जल गयी मगर बल नहीं गया. कुछ इसी अंदाज में जब मंगलवार को प्रधानमंत्री मोदी सभा को सम्बोधित करने के लिए खड़े हुए तो उन्होंने एक बार फिर राहुल और अखिलेश को बच्चा और उनकी बातों को बाल-बुद्धि की बातें कह कर देश की मूल समस्याओं से जनता का ध्यान हटाने और सदन के अंदर साम्प्रदायिक बातें कर नफरती बीज रोपने की कोशिश की.
लेकिन जैसे ही मोदी ने राहुल और कांग्रेस पर छींटाकशी शुरू की विपक्षी सांसदों ने जोरदार हंगामा कर दिया. कुछ देर तो मोदी ने अपनी बात रखी, लेकिन विपक्ष की जबरदस्त नारेबाजी के चले अपना भाषण रोक कर सीट पर बैठ गए. हालांकि स्पीकर ने विपक्ष को शांत रहने और मोदी को भाषण शुरू करने को कहा तो मोदी फिर उसी टपोरीगिरी के साथ राहुल गांधी और कांग्रेस पर निशाना साधते रहे. मोदी ने कहा -1984 के चुनावों को याद कीजिए. तब से 10 लोकसभा चुनाव हो चुके हैं. तब से कांग्रेस 250 के आंकड़े को छू नहीं पाई है. इस बार 99 के चक्कर में फंस गए हैं. मुझे एक किस्सा याद आता है. एक बच्चा 99% मार्क्स ले कर घूम रहा था. लोगों की वाहवाही ले रहा था. टीचर ने कहा कि ये 100 से 99 नंबर नहीं लाया, 543 में से लाया है.
फिर प्रधानमंत्री बीच में ही फिल्म शोले की मौसी का किरदार भी ले आये. वे कांग्रेस को नीचा दिखाने के लिए मौसी और जय (अमिताभ बच्चन) के बीच के संवाद बोलने लगे. बोले – तीसरी बार ही तो हारे हैं मौसी…लेकिन मौसी यह मारेल विक्ट्री तो है न.
उन्होंने कहा कि 13 राज्यों में शून्य सीटें आई हैं, लेकिन हीरो तो हैं न. अरे पार्टी की लुटिया तो डुबोई है….अरे मौसी पार्टी अभी सांसें तो ले रही है न.
इस तरह की बेहूदा बातें इतने बड़े देश के प्रधानमंत्री पद पर बैठने वाले व्यक्ति को शोभा नहीं देतीं. शायद प्रधानमंत्री मोदी के पास अपने दस सालों की उपलब्धि के नाम पर बताने को शायद कुछ ख़ास था ही नहीं इसीलिए उनके भाषण का अधिकाँश हिस्सा बस राहुल गांधी के इर्द-गिर्द ही घूमता रहा. काउंटर करने की कोशिश में बड़ी ओछी और घटिया बातें प्रधानमंत्री के मुंह से निकलती रही. ऐसी बातें जो एक महादेश के प्रधानमंत्री पद की गरिमा को मिट्टी में मिला रही थीं. उन्होंने कांग्रेस के लिए कहा – लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के लिए इस देश की जनता ने जनादेश दिया है. ये जनादेश है – वहीं बैठो. विपक्ष में ही बैठो और तर्क खत्म हो जाए तो चीखते रहो चिल्लाते रहो. उन्होंने राहुल पर तंज कसते हुए कहा – आजकल बच्चे का मन बहलाने का काम चल रहा है और कांग्रेस के लोग, उनका इकोसिस्टम ये मन बहलाने का काम कर रहा है. उन्होंने कांग्रेस को परजीवी की संज्ञा भी दी. बोले – अब कांग्रेस पार्टी 2024 से एक परजीवी कांग्रेस के रूप में जानी जाएगी. 2024 से जो कांग्रेस है, वो परजीवी कांग्रेस है और परजीवी वो होता है जो जिस शरीर के साथ रहता है, उसी को ही खाता है. कांग्रेस भी जिस पार्टी के साथ गठबंधन करती है, उसी के वोट खा जाती है और अपनी सहयोगी पार्टी की कीमत पर वो फलती-फूलती है और इसीलिए कांग्रेस, परजीवी कांग्रेस बन चुकी है.
साफ़ था मोदी राहुल गांधी के बढ़ते कद से इसकदर डरे हुए हैं कि सदन के भीतर वे प्रधानमंत्री पद की गरिमा तक नहीं रख पाए. उनके पूरे भाषण के दौरान सदन में हंगामा मचता रहा. शेम शेम और प्रधानमंत्री शर्म करो… झूठ बोले कौवा काटे… चोर चोर….. जैसे नारों से पूरा सदन गूंजता रहा. हाँ, स्पीकर साहब जरूर पूरे भाषण के दौरान होंठों पर मुस्कान चिपकाये प्रधानमंत्री के सपोर्ट में नजर आये, यही नहीं उन्होंने समय खत्म होने के बाद भी उनको एक्सट्रा समय बोलने के लिए दिया. लेकिन मोदी की वही घिसे पिटे जुमले जो वे पिछले दस साल से जनता को गुमराह करने के लिए बोलते आये हैं, उस के अलावा कोई अन्य ठोस बात सदन के पटल पर नहीं रख पाए.