लेखक-रोहित
सरकार हर प्रकार से जनता को जंजीरों में जकड़ना चाहती है. वह इस के लिए उन माध्यमों को तहसनहस कर देना चाहती है जो लोकतंत्र में उन की पहली आवाज बन कर उठते हैं चाहे वे पत्रकार हों, विपक्षी पार्टियां हों या फिर न्यायालय हों. ‘पैगासस प्रोजैक्ट’ रिपोर्ट के सनसनीखेज खुलासे से यह खुल कर सामने आ गया है.

साल था 1972. जगह थी वाशिंगटन डीसी. उस समय अमेरिका में रिपब्लिकन पार्टी के रिचर्ड निक्सन राष्ट्रपति थे, जो 1969 में चुने गए थे. 2 वर्ष बाद देश में फिर से राष्ट्रपति का चुनाव होना था. राजनीति में माहौल गरमाने लगा था. निक्सन फिर से राष्ट्रपति बनने को उतावले थे. उसी दौरान 17 जून को तड़के सुबह 2.30 बजे होटल वाटरगेट बिल्ंिडग की 6ठी मंजिल पर मुख्य विपक्षी पार्टी, डैमोक्रेटिक नैशनल कमेटी के कार्यालय में 5 संदिग्ध लोग चोरीछिपे घुसते पकड़े गए.

शुरुआती अंदेशा चोरी का था क्योंकि उन के पास नकदी, कुछ लौक पिक्स और डोर जिम्मीज (ताले व दरवाजे खोलने वाले उपकरण) बरामद हुए. घटना के अगले दिन अमेरिका के चर्चित अखबार ‘वाशिंगटन पोस्ट’ में चोरी की खबर भी छपी. जांच चली, जांच में पता चला उन के पास एक डायरी भी थी जिस में वाइट हाउस और री-इलैक्शन कमेटी के नंबर लिखे हुए थे. यह तय था कि वे वाइट हाउस से जुड़े अंदरूनी लोगों के कौन्टैक्ट में थे. लेकिन कौन थे, इस पर संशय था. इसी के साथ उन के पास से रेडियो स्कैनर, वाकीटौकी, कैमरे और कई रीलें भी पाई गईं. दरअसल, वे लोग डैमोक्रेटिक कार्यालय पर प्लांट किए गए जासूसी उपकरणों को ठीक करने गए थे, जहां वे धरे गए.

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