राष्ट्रपति पद की उम्मीदवारी की घोषणा के तुरंत बाद ही द्रौपदी मुर्मू अपने गृहप्रदेश ओडिशा के रायरंगपुर के जगन्नाथ मंदिर में झाड़ूबुहारी करती नजर आईं. इस से साबित हो गया कि भगवा खेमे का चयन गलत नहीं है जिसे ऐसे ही भक्तटाइप का राष्ट्रपति चाहिए. आदिवासी समुदाय की द्रौपदी को भगवा गैंग से यह गारंटी ले लेना चाहिए कि भविष्य में जब कभी वे किसी मंदिर में जाएं तो उन के साथ वह बदसलूकी नहीं होनी चाहिए जो रामनाथ कोविद के साथ हुई थी.
ब्रैंडेड मंदिरों में भी अघोषित तौर पर दलित आदिवासियों का प्रवेश वर्जित रहता है फिर चाहे वह देश का राष्ट्रपति ही क्यों न हो. वाकेआ 18 मार्च, 2018 का है जब रामनाथ कोविंद पुरी के जगन्नाथ मंदिर गए थे. पुरोहित वर्ग को यह रास नहीं आया तो उन में से एक ने उन की पत्नी सविता कोविंद को धक्का दे दिया था. इस बदसुलूकी की चर्चा दबा दी गई थी. द्रौपदी ने अभी से मंदिरों की परिक्रमा शुरू कर इस की प्रैक्टिस शुरू कर दी है.
बसपा कैन रोक
टूटीफूटी इंग्लिश शराब के ही नहीं, बल्कि हार के नशे में भी बोली जा सकती है. यह पोस्टग्रेजुएट सपा नेता धर्मेंद्र यादव ने आजमगढ़ सीट से हारने के बाद वायरल किया. मतगणना स्थल पर जाने देने से पुलिस वालों ने उन्हें रोका तो वे लगभग गुर्रा कर बोले, ‘हाउ कैन यू रोक?’ इस से साबित होता है कि इंग्लिश हमारे अचेतन में कुंठा बन कर विराजी है जो कभी भी फूट पड़ सकती है. हार के बाद इस नौजवान नेता को सम झ आ गया होगा कि उन्हें दरअसल रोका बसपा ने था, नहीं तो वे एक बार फिर संसद पहुंच गए होते.