राहुल गांधी को उनके पिता राजीव गांधी की अन्त्येष्टि में जबरन जनेऊ पहनाया गया था, जो उन्होंने कपड़ों के ऊपर से पहन लिया था, यदि राहुल जनेऊ नहीं पहनते तो उन्हें अन्त्येष्टि में शामिल नहीं होने दिया जाता, भोपाल में जिस वक्त भाजपा के वरिष्ठ नेता सुब्रमणयम  स्वामी पत्रकारों के सामने यह रहस्योद्घाटन कर रहे थे, लगभग उसी वक्त पटना में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी एक राज खोल रहे थे कि लोकनायक जयप्रकाश नारायण ने एक सभा में सभी लोगों के जनेऊ उतरवा दिये थे. उनका कहना था कि हम लोगों के बीच गैर बराबरी नहीं होनी चाहिए.

जनेऊ से ताल्लुक रखते इन दोनों बयानों के अपने अलग सियासी माने हैं और विकट का विरोधाभास भी इनमे है. नीतीश ने बड़ी मासूमियत से यह भी पूछ डाला कि जो लोग जनेऊ नहीं पहनते हैं तो क्या वे हिन्दू नहीं. नीतीश को यह सवाल बजाय राहुल गांधी से पूछने के अपनी नई सहयोगी पार्टी भाजपा से करना चाहिए था क्योंकि जनेऊ पुराण के उठते ही वित्त मंत्री अरुण जेटली भाजपा को असली हिंदूवादी पार्टी करार देते विवाद को आहुति देने के मूड में थे, पर अपने ही खेमे के दूसरे, उनसे भी ज्यादा असली और महा हिंदूवादी नेता सुब्रमणयम स्वामी का मुंह तो वे भी पकड़ने की हिमाकत नहीं कर सकते थे, सो सोमनाथ मंदिर के रजिस्टर में कथित रूप से खुद का नाम गैर हिंदूवादियों के खाने में लिखाये जाने की राहुल गांधी की चालाकी या नासमझी कुछ भी कह लें राजीव गांधी की अन्त्येष्टि तक पहुंच गई. खुद स्वामी ने मान लिया कि राहुल गांधी जनेऊ धारी हिन्दू हैं.

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