उत्तर प्रदेश में बहुमत की जीत के बाद भाजपा अपने धर्म के एजेंडे को लागू करने के लिये प्रतिबद्व दिख रही है. दिल्ली से लेकर लखनऊ तक नवरात्रि के अवसर पर जिस तरह से मुख्यमंत्री आवास से लेकर लोकसभा तक फलाहार का दौर चला वह शुद्वरूप से धार्मिक एजेंडा है. लोकसभा चुनाव में जिस तरह से वोटों का धार्मिक ध्रुवीकरण हुआ उसके बाद उत्तर प्रदेश में जिस तरह का बहुमत भाजपा को मिला वहां से भाजपा को अब अपने धार्मिक एजेंडे को लागू करने में कोई झिझक नहीं रह गई है. भाजपा अब अपने धर्म के एजेंडें को पार्टी की ‘यूएसपी‘ यानि लोकप्रियता मानकर चल रही है. यही वजह है कि उत्तर प्रदेश में शुद्व धार्मिक योगी आदित्यनाथ को अपना मुख्यमंत्री बनाया. मुख्यमंत्री बनने के बाद योगी आदित्यनाथ अपने धर्म के फेस को पूरी तरह से चमकाते दिख रहे हैं.
मुख्यमंत्री के रूप में शपथ लेने के बाद भी योगी आदित्यनाथ अपने सरकारी आवास 5 कालीदास मार्ग में रहने के लिये नहीं गये. वह वीवीआईपीगेस्ट हाउस में एक पखवारा से अधिक रहे. इस दौरान मुख्यमंत्री के सरकारी आवास में पूजापाठ और शुद्वीकरण जैसे धार्मिक काम किये गये. प्रवेशद्वार पर ओम और स्वास्तिक के निशान बने और सड़क तक को गंगाजल से पवित्र किया गया. एक एक गतिविधि का अप्रत्यक्ष रूप से प्रचार भी किया गया. हालत यह हो गई कि पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को कहना पड़ा कि जब हमारी सरकार आयेगी हम भी आफिस और घर को शुद्व करेंगे. एक व्यक्ति के रूप में देश का संविधान किसी को भी अपने धर्म के हिसाब से रहने की आजादी देता है. आमतौर पर संवैधानिक पदों पर बैठे लोगों से उम्मीद की जाती थी कि वह धर्म के एजेंडे में बंध कर काम नहीं करेंगे.