उत्तर प्रदेश बड़ा प्रदेश है. उत्तराखंड विभाजन के बाद भी पूरे प्रदेश को संभालना मुश्किल काम है. ऐसे में भाजपा ने इलाकाई संतुलन को साधने के लिये एक मुख्यमंत्री और 2 उप मुख्यमंत्री बनाये हैं. संगठन स्तर पर भाजपा अब प्रदेश अध्यक्ष के रूप में एक और पावर सेंटर बनायेगी जिससे पूरे प्रदेश को 4 हिस्सों में बांट कर काम किया जा सके.

चतुराई वाली बात यह है कि भाजपा ने इलाके के साथ जातीय संतुलन को भी सामने रखा है. मुख्यमंत्री के रूप में योगी आदित्यनाथ सबसे प्रभावी रहे. उनको मुख्यमंत्री बनाकर भाजपा ने जाति, धर्म और क्षेत्र तीनों का सतुंलन बना लिया. योगी उत्तर प्रदेश के पूर्वाचंल इलाके से आते हैं. जाति से ठाकुर हैं. योगी की छवि हिन्दुत्व वाली है. जिसका भाजपा को लाभ होगा.

राममंदिर को लेकर योगी सबसे प्रभावी नेताओ में हैं. योगी भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह की पहली पसंद थे. कोई एक नेता मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठ कर प्रभावी न हो सके इसलिये पावर सेंटर का विभाजन कर दिया गया है.

पहले उप मुख्यमंत्री के रूप में प्रदेश अध्यक्ष केशव मौर्य को तरजीह दी गई. उनके जरीये भाजपा उत्तर प्रदेश के बुन्देलखंड इलाके में अपने प्रभाव को बनाये रखने का प्रयास करेगी. केशव मौर्य इलाहाबाद से आते हैं. इलाहाबाद की फूलपुर लोकसभा से सांसद हैं. फूलपुर देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की लोकसभा सीट रह चुकी है. प्रदेश अध्यक्ष के रूप में केशव मौर्य ने भाजपा संगठन पर पकड़ बनाई है. यह पकड़ योगी या दूसरे उप मुख्यमंत्री डॉक्टर दिनेश शर्मा की नहीं है. जातीय समीकरण में केशव मौर्य पिछड़ी जाति से आते हैं. यादवों और कुर्मी बिरादरी के बाद उत्तर प्रदेश में सबसे प्रभावी पिछड़ी जाति है. भाजपा ने केशव मौर्य के जरीये जाति, क्षेत्र, संगठन के फैक्टर को साधने का काम किया है. सरकार और संगठन के बीच संतुलन का काम केशव मौर्य को संभालना होगा.

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