‘कह कबीर कैसे निभे केर बेर के संग, वे डोलत रस आपने ताको पफाटत अंग’ रहीम दास ने बहुत समय पहले लिखा था कि केर यानि केला और बेर का पेड एक जगह रहेगे तो एक दूसरे को ही नुकसान करेगे. केले के पत्ते बेर के कांटों से फट जायेंगे. राजनीति में भी ऐसे रिश्ते लंबे समय तक नहीं निभते.
जम्मू कश्मीर में पीडीपी यानि पीपुल्स डेमोक्रेटिक फ्रंट और भारतीय जनता पार्टी गठबंधन के रिश्तों को भी केर बेर के संग की नजर से देखा जा सकता है. जम्मू कश्मीर में पहली बार भाजपा-पीडीपी गठबंधन की सरकार बनी और पीडीपी नेता मुफ्ती मोहम्मद सईद मुख्यमंत्री बने. सरकार बनने के बाद से ही दोनो दलों में खींचतान चलने लगी थी. कई बार ऐसे मौके आये जब लगा कि यह गठबंधन टूट जायेगा. मुफ्ती मोहम्मद सईद के देहांत के बाद से जम्मू कश्मीर में राष्ट्रपति शासन लगा है. जम्मू कश्मीर में राष्ट्रपति शासन लगने की वजह यह थी कि भाजपा और पीडीपी दोनो ही दल एक दूसरे के साथ सहज भाव से चल नहीं पा रहे है.
जम्मू कश्मीर को लेकर कई ऐसे मुद्दे है जिनमें भाजपा और पीडीपी अलग अलग राय रखते हैं. दोनो ही दलों में खींचतान बना था. राष्ट्रपति शासन का समय पूरा होने को है जिससे राज्य में नया संकट खडा हो सकता है. जम्मू कश्मीर के राज्यपाल एनएन वोहरा ने इस गतिरोध खत्म करने के लिये 29 मार्च को भाजपा और पीडीपी के नेताओं अलग अलग समय में बुलाया है. पीडीपी ने महबूबा मुफ्ती को अपने दल का नेता चुन लिया है. महबूबा मुफ्ती दक्षिण अनंतनाग से सांसद हैं. अगर वह मुख्यमंत्रीं बनती है तो उनको लोकसभा से इस्तीफा देकर विधानसभा या विधान परिषद का सदस्य बनना पडेगा. जम्मू कश्मीर में अब तक कोई भी महिला नेता मुख्यमंत्री नहीं रही है, ऐसे में महबूबा पहली महिला मुख्यमंत्री बन सकती हैं.
पीडीपी-भाजपा की राहे अलग अलग हैं. ऐसे में महबूबा मुफ्ती के मुख्यमंत्री बनने के बाद राजकाज कैसे चलेगा यह समझा जा सकता है. अलग अलग विचारों के बाद भी सरकार चलाने का फार्मूला भाजपा उत्तर प्रदेश में बहुजन समाज पार्टी की नेता मायावती के साथ बना चुकी है. इससे दोनो ही दलो को कोई लाभ नहीं हुआ था. सरकार पूरे समय तक चली नहीं. हर बार गठबंधन टूटा और दोनो ही दलों ने एक दूसरे को बुरा-भला कहा था. महबूबा का प्रयास यह होगा कि वह अपने वोट बैंक को खुश कर सके. भाजपा अपने वोट बैंक को खुश करने का प्रयास करेगी. ऐसे में जम्मू कश्मीर में नया अलगाववाद पनप सकता है. भाजपा का प्रभाव जम्मू इलाके में है और पीडीपी का घाटी इलाके में प्रभाव है. कांग्रेस और नेशनल कांफ्रेस गठबंधन के मुकाबले भाजपा-पीडीपी गठबंधन कैसे चलेगा देखने वाली बात होगी. कांग्रेस और नेशनल कांफ्रेस बहुत सारे मुद्दों पर एकमत थे पर भाजपा-पीडीपी गठबंधन बहुत सारे मुद्दों पर अलग अलग राय रखते है. ऐसे में यह गठबंधन केर बेर के संग जैसा ही दिख रहा है.