उत्तर प्रदेश में सत्तासीन दल सपा मौजूदा दौर में वंशवाद की राजनीति करने में अव्वल दरजे पर है. पितापुत्र, चाचाभतीजा और बहू समेत घर का लगभग हर सदस्य सियासी मैदान में अपनेअपने स्तर पर कुलांचें मार रहा है, इस का लेखाजेखा पेश कर रहे हैं शैलेंद्र सिंह.

गुजरात के मुख्यमंत्री और 2014 के भावी लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी की ओर से प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी ने कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी को ‘शहजादा’ कह कर राजनीति में परिवारवाद और वंशवाद पर चोट करने की कोशिश की. नरेंद्र मोदी भूल जाते हैं कि देश की राजनीति में परिवारवाद की जड़ें गहरे तक फैल चुकी हैं. खुद उन की पार्टी में भी परिवारवाद के तमाम उदाहरण मौजूद हैं.

देश में नेहरूगांधी खानदान से भी राजनीति में बड़ा परिवार है उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी के मुखिया मुलायम सिंह यादव का. लोकसभा और विधानसभा में इस परिवार के 6 सदस्य हैं. देश में ऐसा दूसरा कोई राजनीतिक परिवार नहीं है जिस के इतने सदस्य एकसाथ लोकसभा या विधानसभा के सदस्य हों. मुलायम परिवार के कुल 7 सदस्य सक्रिय राजनीति में हैं तो 3 सदस्य राजनीति की दहलीज पर खडे़ दस्तक दे रहे हैं. यह मुलायम सिंह यादव की सफलता ही कही जाएगी कि खेतीकिसानी करने वाले गांव के एक सामान्य परिवार को देश का सब से बड़ा राजनीतिक  परिवार बना दिया.

सियासत की शुरुआत 

वर्ष 1967 में विधानसभा चुनाव जीत कर मुलायम सिंह यादव पहली बार विधायक बने तो वे सब से कम उम्र के विधायक थे.  खेत की गोड़ाई, गायभैंस की चरवाही और अखाडे़ में ताल ठोंकने से ले कर स्कूल में मास्टरी करने वाले मुलायम सिंह यादव ने विधायक बनने के बाद पीछे मुड़ कर नहीं देखा. मुलायम के पिता सुघर सिंह यादव उन को खेतीकिसानी में लगाना चाहते थे लेकिन मुलायम पढ़ना- लिखना चाहते थे. 1961 में वे इटावा डिगरी कालेज में छात्रसंघ के अध्यक्ष चुने गए. राम मनोहर लोहिया ने जब 1954 में ‘नहर रेट आंदोलन’ शुरू किया तब मुलायम ने उन का साथ दिया और जेल गए. वहीं से मुलायम की राजनीतिक यात्रा शुरू हो गई.

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