समाजवादी पार्टी ने उत्तर प्रदेश के मेधावी छात्रों को हर साल करोड़ों रुपए के लैपटौप व टैबलेट बांटने की घोषणा कर के चुनावी समर भले ही जीत लिया पर इस वादे को पूरा करने के लिए सरकार को न केवल अपने खजाने को खाली करने के लिए विवश होना पड़ रहा है बल्कि प्रदेश की जनता की गाढ़ी कमाई को बरबाद करने के आरोप में जनता की अदालत में खड़ा भी होना पड़ रहा है. पेश है शैलेंद्र सिंह का यह लेख.
विधानसभा चुनाव के समय समाजवादी पार्टी यानी सपा ने युवाओं को लुभाने के लिए मुफ्त में इंटर पास करने वालों को लैपटौप और हाईस्कूल पास करने वालों को टैबलेट देने की बात कही थी. बेरोजगारी भत्ता देना भी इसी कड़ी का एक फैसला था. युवाओं ने भी सपा को अपना पूरा समर्थन दिया. बहुमत से पार्टी जीती और अखिलेश यादव उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बन गए. चुनावी घोषणा करते समय सपा को इस बात का ज्ञान नहीं था कि इन योजनाओं से जनता पर कितना बड़ा बो?ा पड़ जाएगा.
उत्तर प्रदेश में इंटर यानी कक्षा 12 पास करने वालों की संख्या 15 लाख है. हाईस्कूल पास करने वालों की संख्या साल 2012 में 26 लाख से बढ़ कर साल 2013 में 28 लाख हो गई. अखिलेश सरकार के लिए इतनी बड़ी संख्या में लैपटौप और टैबलेट्स का इंतजाम करना मुश्किल हो गया. सरकार बनने के 1 साल बाद 11 मार्च को अखिलेश यादव ने इंटर पास करने वाले मुट्ठीभर छात्रों को लैपटौप बांटने की शुरुआत लखनऊ से की.
जुलाई 2013 तक सरकार केवल1 लाख 25 हजार छात्रों को ही लैपटौप बांट पाई है. ऐसे में अंदाजा लगाया जा सकता है कि 15 लाख छात्रों को हर साल लैपटौप बांटना कितना मुश्किल काम है. अगर अगस्त 2013 तक के आंकड़े देखें तो पता चलता है कि सरकार को 26 लाख टैबलेट की जरूरत हाईस्कूल के छात्रों के लिए है. एक टैबलेट की कीमत 5 हजार रुपए है. इस तरह हाईस्कूल के छात्रों को टैबलेट देने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार को करीब 1,300 करोड़ रुपयों की जरूरत होगी.
इंटर पास छात्रों को जो लैपटौप दिए जा रहे हैं उन की कीमत 19 हजार 58 रुपए है. ऐसे में सरकार को 15 लाख बच्चों को लैपटौप बांटने के लिए 2,850 करोड़ रुपयों की जरूरत पड़ रही है. हाईस्कूल और इंटर के छात्रों को लैपटौप और टैबलेट देने के लिए सरकार को हर साल 4,150 करोड़ रुपयों की जरूरत पड़ेगी. इतनी बड़ी रकम का इंतजाम करना सरकार के लिए आसान काम नहीं है. 5 साल में सरकार को करीब 75 लाख लैपटौप और 1 करोड़ 25 लाख टैबलेट बांटने हैं. सरकार साल 2017 तक लैपटौप बांट पाएगी, इस पर सवालिया निशान लगने लगे हैं.
उत्तर प्रदेश इलैक्ट्रौनिक कौर्पोरेशन के विश्व के सब से बड़े टैंडर में हिस्सा लेने के लिए एचसीएल, लेनोवो, एसर और एचपी के बीच होड़ लगी थी. बाजी एचपी ने मार ली. उत्तर प्रदेश इलैक्ट्रौनिक कौर्पोरेशन ने 15 लाख लैपटौप खरीदने का और्डर कंपनी को दे रखा है. जानकारी के मुताबिक, 9 लाख लैपटौप एचपी ने सरकार को भेज दिए हैं. इन में से तकरीबन डेढ़ लाख लैपटौप ही बंट पाए हैं. बाकी लैपटौप गोदामों में बंद पड़े हैं. जिला प्रशासन स्कूलों में इन लैपटौप को रखवा देती है. कई जगहों पर ठीक तरह से लैपटौप न रखने से ये खराब भी होने लगे हैं. संभल में कैबिनेट मंत्री शिवपाल यादव जब लैपटौप बांटने पहुंचे तो कुछ लैपटौप के कागज वाले कवर में दीमक लग चुकी थी. जानकारी मिलने पर आननफानन उन लैपटौप को बदला गया.
वौलपेपर से जूझ रहे छात्र
इंटर पास करने वाले छात्रों को अखिलेश सरकार ने जो लैपटौप दिए हैं उन्हें एचपी कंपनी से खरीदा गया है. इन लैपटौप में 1 जीबी रैम, 1 जीबी ग्राफिक कार्ड और 500 जीबी हार्ड डिस्क है. एक वौलपेपर खासतौर पर सैट किया गया है जिस से लैपटौप के खुलते ही उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव और समाजवादी पार्टी के नेता मुलायम सिंह यादव की फोटो दिखती है. यह वौलपेपर बायोस पर लगा है जिस से इसे हटाना मुश्किल काम है. इस के बावजूद लैपटौप मिलने के बाद छात्र सब से पहले इस वौलपेपर को ही हटाने की कोशिश करते हैं, जिस के चलते उन का लैपटौप खराब हो जाता है. एचपी कंपनी ने लैपटौप पर 1 साल की वारंटी दे रखी है. कंपनी इस वौलपेपर को नहीं हटाती है. ऐसे में लैपटौप पाने वाले छात्र इसे हटवाने के लिए लैपटौप को कंप्यूटर रिपेयर करने वाली दुकानों में ले जाने लगे हैं.
लखनऊ में नाका हिंडोला में कंप्यूटर की बड़ी मार्केट है. यहां कुछ दुकानदारों ने चोरीछिपे इस वौलपेपर को हटाने के लिए काम करना शुरू कर दिया है. बच्चे अब 400 से 500 रुपए खर्च कर वौलपेपर को हटवाने लगे हैं. इस की वजह बताते हुए एक छात्र का कहना है, ‘‘हम अपनी पसंद का वौलपेपर लगाना चाहते हैं. इस वौलपेपर को देख कर पता चल जाता है कि यह मुफ्त का लैपटौप है. ऐसे में सामने वाले की नजर में लैपटौप का महत्त्व घट जाता है.’’
किस काम का लैपटौप
लैपटौप पाने वाले बच्चे इस का उपयोग केवल लैपटौप पर गाना सुनने, गेम खेलने और फिल्म देखने में करते हैं. लैपटौप पाने वाले बच्चों के मातापिता का मानना है कि अगर लैपटौप की जगह पर सरकार ने 20 हजार रुपए दिए होते तो शायद बच्चों की ग्रेजुएशन की पढ़ाई का खर्च निकल जाता. लखनऊ की रहने वाली एक छात्रा बताती है, ‘‘मैं बीए की पढ़ाई कर रही हूं. इस में लैपटौप की कोई जरूरत नहीं है. युवाओं में लैपटौप का बड़ा क्रेज है. इस कारण छात्र इस को लेना चाहते हैं. मेरा लैपटौप मेरे तो नहीं पर पापा के काम आ रहा है. वे उस पर अपना काम करते हैं.’’
गांव में रहने वाले कुछ बच्चों के पास लैपटौप रखने की जगह तक नहीं है. ऐसे में कई बच्चों ने तो लैपटौप बेच भी दिए हैं. सरकार को यह पता है. इस कारण सरकार ने लैपटौप और कंप्यूटर का कारोबार करने वालों से कहा है कि वे इस लैपटौप को न खरीदें. गांव में रहने वाले एक लड़के का कहना है, ‘‘जब तक यह चल रहा है, हम लोग फिल्म देखने के उपयोग में इस को ला रहे हैं. हमें इस के उपयोग का सही तरीका नहीं आता है.’’
लैपटौप बांटने पर करोड़ों का खर्च
जनता पर केवल लैपटौप के खरीदने का बो?ा ही नहीं पड़ रहा है, इस के बांटने में भी करोड़ों रुपयों का बो?ा पड़ रहा है. अब तक लैपटौप बांटने का काम केवल मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के जरिए ही होता रहा है. ऐसे में उन के आनेजाने व सम्मान समारोह को आयोजित करने में करोड़ों खर्च हो रहे हैं. लैपटौप बांटने की गति को तेज करने के लिए इस काम में सपा के बड़े नेताओं और जिलों के प्रभारी मंत्रियों को भी लगाया गया है. लैपटौप बांटने से पहले अखबारों और खबरिया चैनलों पर ‘यशस्वी भव’ का एक विज्ञापन चलता है, जिस पर भी लाखों रुपए खर्च हो रहे हैं.
कांग्रेस के लखनऊ शहर अध्यक्ष डा. नीरज बोरा कहते हैं, ‘‘लोकलुभावन घोषणाओं को करने से पहले अगर सही अनुमान लगाया गया होता तो ज्यादा अच्छा होता. इन घोषणाओं को पूरा करने के लिए विकास कामों का पैसा इस में लगाया जा रहा है. बिजली की दरों में 35 फीसदी की बढ़ोत्तरी की गई.’’ भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता डा. मनोज मिश्रा कहते हैं, ‘‘सरकार लैपटौप दिए जाने के बजाय उस के आयोजन और प्रदर्शन पर ज्यादा खर्च कर रही है. सरकार को इस खर्च का पूरा विवरण जनता के सामने रखना चाहिए.’’
बहरहाल, चुनावी जंग को जीतने के लिए समाजवादी पार्टी ने हर साल 2,850 करोड़ रुपए के लैपटौप और 1,300 करोड़ रुपए के टैबलेट बांटने की बात कह कर प्रदेश की जनता पर 4,150 करोड़ रुपए का सालाना बोझ तो डाल ही दिया है.