बिहार में नरेंद्र मोदी को मात देने के बाद अब नीतीश और लालू दूसरे राज्यों में भी मोदी के गुब्बारे की हवा निकालने के लिए कमर कस चुके हैं. बिहार विधानसभा चुनाव में महागठबंधन को मिली जबरदस्त कामयाबी के बाद जदयू ने उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, असम और पंजाब में महागठबंधन बनाने की कवायद शुरू कर दी है. पिछले दिनों दिल्ली में पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में इस बात का फैसला लिया गया कि जिन राज्यों में आने वाले दिनों में विधानसभा चुनाव होने हैं, वहां गैरभाजपा दलों का महागठबंधन बनाया जाएगा.
बिहार में महागठबंधन को मिली महाकामयाबी के बाद भाजपा को उस की अनदेखी करना आसान नहीं होगा. शत्रुघ्न सिन्हा, कीर्ति आजाद विवाद समेत कई भीतरी उठापटक झेल रही भाजपा के लिए महागठबंधन खासा सिरदर्द करने वाला होगा.
नीतीश कहते हैं कि उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल और असम के क्षेत्री दलों को यह तय करना होगा कि वे अकेले चुनाव लड़ें या बिहार के महागठबंधन के मौडल की राह पर चल कर भाजपा को तगड़ी चुनौती दें.
243 सदस्यों वाली बिहार विधानसभा में महागठबंधन का 178 सीटों पर कब्जा है. इस में जदयू की झोली में 71, राजद के खाते में 80 और कांगे्रस के हाथ में 27 सीटें हैं. बिहार विधानसभा चुनाव में सब से बड़े विजेता लालू ही रहे. पिछले 10 साल से राज्य की राजनीति में हाशिए पर ढकेल दिए गए लालू अब नई सजधज के साथ एक बार फिर बिहार की सियासत में ताल ठोंक चुके हैं.
पिछले विधानसभा में 22 सीट पर सिमटने वाले राजद ने इस बार 80 सीटें जीत कर अपनी मजबूत जगह बना ली है. महागठबंधन ने राजग को महाझटका देते हुए उसे 58 सीट पर ही समेट डाला था, जिस से महागठबंधन का हौसला बुलंद है.