किसी झूठ को अगर बार बार कहा जाये तो वह सच दिखने लगता है. भाजपा ने इस दांव को कांग्रेस के खिलाफ लोकसभा चुनाव में इस्तेमाल किया. इस दांव से वह कांग्रेस को पटखनी देने में सफल भी हो गई. अब यही दांव भाजपा समाजवादी पार्टी की अखिलेश सरकार पर आजमा रही है. भाजपा के मजबूत प्रचार तंत्र का जवाब देने में समाजवादी पार्टी और अखिलेश सरकार दोनो ही नाकाम हो रही है क्योकि वह सत्ता के नशे में चूर है.
सपा सरकार अपनी कमियों को पहचान कर उसे दूर करने के बजाय कमी बताने वाले को विरोधी समझने का आत्मघाती कदम उठा रही है. जिससे सत्ता का लाभ लेने के लिये लोगो ने सपा सरकार की कमियों को बताने की जगह पर झूठी वाहवाही करनी शुरू कर दी है. सपा सरकार ऐसे अफसरों से घिरी है, जो सरकार को जमीनी सच से दूर रख रहे है.
मथुरा कांड इसकी बहुत बडी मिसाल है. लोकसभा चुनाव की हार के बाद अखिलेश सरकार ने अपने अच्छे कामों से जो इमेज सुधारी थी, मथुरा कांड ने उस पर पानी फेर दिया. चुनावी साल में एक भी गलती पूरी मेहनत पर कैसे पानी फेर देती है इसका अहसास मुजफ्फरनगर कांड के बाद सपा को हो जाना चाहिये था. ‘मथुरा कांड‘ के गरम लोहे पर हथौडा मारते हुये भाजपा ने ‘कैराना के पलायन’ पर सरकार को घेर लिया है. सपा सरकार को तथ्यों के साथ इस ‘कैराना के पलायन’ पर जवाब देना चाहिये. सपा की सरकार और पार्टी दोनो ही स्तर पर इस मसले मजबूत तरीके से नहीं लिया गया. सपा नेता कैराना के बचाव पर गुजरात की चर्चा करने लगे तो सरकार तथ्यों को तलाश नहीं कर पाई.
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