नोटबंदी को अपनी सरकार का सबसे साहसिक काम बताने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपनी चुनावी सभाओं में नोटबंदी को लेकर मौन हैं. उत्तर प्रदेश में तीन चरणों का मतदान हो चुका है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने प्रचार अभियान में कांग्रेस-सपा गठबंधन से लेकर, किसानों के विकास, मुलायम कांग्रेस परिवार, मंदिर मस्जिद, कब्रिस्तान और शमशान घाट तक हर मुद्दे पर बोल रहे हैं. नोटबंदी पर पूरी तरह से मौन हैं. विपक्ष के नोटबंदी पर दिये जा रहे बयान को वह कोई खास तबज्जों नहीं दे रहे हैं. नोटबंदी के दौरान यह कहा गया था कि इससे राजनीति में खर्च घटेंगे. तमाम सारे दल मनमाने तरह से खर्च नहीं कर पायेंगे. चुनाव में किसी भी दल या प्रत्याशी के लाव लश्कर को देखकर नहीं लगा कि नोटबंदी का चुनावों पर कोई असर पड़ा है.
नोटबंदी के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि 50 दिनों के बाद इसका असर देश पर दिखाई देगा. कालाधन आयेगा, मंहगाई घटेगी, बेईमान जेल जायेंगे. 50 दिन के बाद भी कोई असर दिखना शुरू नहीं हुआ. यह उम्मीद की जा रही थी कि प्रधानमंत्री अपनी चुनावी सभाओं में नोटबंदी के पीछे की जरूरत और आगे की अपनी रणनीति पर चर्चा करेंगे. नोटबंदी से भाजपा का मजबूत बनिया वोटर, किसान और मजदूर सबसे अधिक प्रभावित हुआ था. उन सभी को उम्मीद थी कि प्रधानमंत्री नोटबंदी पर बात करेंगे, अपनी आगे की योजना की भी घोषणा करेंगे. जनता को उम्मीद थी कि प्रधानमंत्री जब अलग अलग जगहों पर चुनावी रैली करेंगे तो जनता से अपने मन की बात कर उसका समर्थन नोटबंदी के मुद्दे पर मांग सकते है.