जिस समय समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी के दोनो नेता अखिलेश यादव और मायावती लोकसभा चुनाव को लेकर आपसी तालमेल से सीटों का बंटवारा कर रही थी उसी समय मुलायम सिंह यादव इस गठबंधन पर सवाल उठा रहे थे. सपा-बसपा गठबंधन पर सवाल उठाते हुये मुलायम ने यहां तक कह दिया कि भाजपा चुनाव में आगे निकल गई है. इसके पहले लोकसभा में भाषण देते हुये भी मुलायम सिंह यादव प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की तारीफ करते यहां तक कहा कि वह फिर से चुनाव जीत कर आएं. मुलायम के इस बयान से सहयोगी दलों बहुत असहज हो गये थे. विक्रमादित्य लखनऊ स्थित समाजवादी पार्टी के कार्यालय में जिस समय अखिलेश यादव और गुजरात के नेता हार्दिक पटेल बात कर रहे थे मुलायम वहां आये और कहा ‘मुझे पार्टी का संरक्षक बनाया जबकि कोई जिम्मेदारी नहीं दी.’

मुलायम के इस गुस्से के पीछे सपा-बसपा की दोस्ती को बड़ा कारण माना जा रहा है. 1993 में जब सपा-बसपा में तालमेल हुआ था उस समय मुलायम-कांशीराम के बीच समझौता हुआ था. उस समय मायावती मुलायम के खिलाफ थी. मायावती के विरोध के कारण ही सपा-बसपा की सरकार गिरी. उसके बाद लखनऊ गेस्ट हाउस कांड हुआ. जिसमें मायावती की जान को खतरा बन गया था. मायावती और मुलायम के बीच इसके बाद संबंध खराब हुये तो फिर कभी दोस्ती नहीं हुई. 2018 में अखिलेश और मायावती के बीच तालमेल बना. इस तालमेल के बाद लोकसभा की 37 सीटों पर सपा और 38 पर बसपा चुनाव लड़ेगी. सपा-बसपा की दोस्ती में मुलायम सिंह यादव कभी शामिल नहीं हुये.

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