देश का बच्चा बच्चा जानता है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शादीशुदा हैं जिनकी शादी साल 1968 में गुजरात की ही जसोदा बेन से हुई थी. 2014 के लोकसभा चुनाव के वक्त चुनाव आयोग को दी गई जानकारी में खुद नरेंद्र मोदी ने जसोदा बेन से अपनी शादी की बात मानी थी. देश का बच्चा बच्चा खासतौर से मोदी भक्त तो और बेहतर जानते हैं कि देश सेवा की खातिर उन्होंने अपनी पत्नी को छोड़ दिया था.

प्रधानमंत्री बनने के बाद अक्सर नरेंद्र मोदी की शादी और पत्नी को छोड़ने को लेकर आरोप प्रत्यारोप होते रहे हैं. मोदी की हर मुमकिन कोशिश जिन दो बातों से बचने की होती है उनमें पहला उनकी डिग्री विवाद और दूसरी शादी है. उलट इसके जसोदा बेन हर कभी पति को याद करते जज्बाती हो उठती हैं और उनकी सलामती और कामयाबी के लिए व्रत, उपवास और पूजा पाठ भी करती रहती हैं. यह उनकी समझदारी और बड़प्पन ही कहा जाएगा कि उन्होंने कभी छोडने के बाबत नरेंद्र मोदी को कोसा और न ही कोई इल्जाम उन पर लगाया.

कई इंटरव्यू में जसोदा बेन बता चुकी हैं की शादी के बाद वे कुछ महीने ही ससुराल रही थीं और पति के साथ तो उन्होंने कुल तीन दिन ही गुजारे. अपने ससुराल वालों की भलमनसाहत की भी वे तारीफ करती हैं और यह भी बता चुकी हैं कि नरेंद्र मोदी ने उनसे कहा था कि तुम अभी छोटी हो अपनी पढ़ाई जारी रखो,  मैं देश सेवा के लिए जा रहा हूं और इसके बाद वे हिमालय की तरफ चले भी गए थे. बाद में वे आरएसएस से जुड़ गए और फिर कभी पत्नी की सुध नहीं ली कि वह किस हाल में हैं.

इधर परित्यक्ता जसोदा बेन को समझ आ गया था कि पति, घर गृहस्थी और बाल बच्चों का सुख उनके भाग्य में ही नहीं है तो उन्होंने गुजरात के धोलका में पढ़ाई पूरी की और फिर सरकारी स्कूल में टीचर बन गईं. साल 2010 में रिटायर होने के बाद उनका पूरा वक्त भजन पूजन में गुजरने लगा.

पति के प्रधानमंत्री बनने पर उन्होंने खुशी ही जताई थी लेकिन बाद में कई परेशानियों से भी उन्हें रुबरु होना पड़ा था. प्रधानमंत्री की पत्नी होने के नाते उन्हे जबरन सिक्योरटी दे दी गई तो वे एक दफा इस बात पर सार्वजनिक रूप से झल्लाईं थीं कि अक्सर सुरक्षाकर्मियों का खर्च भी उन्हे ही उठाना पड़ता है.

कई मौकों पर भावुक होकर उन्होने मीरा की तर्ज पर पति को भक्ति भाव से याद किया लेकिन नरेंद्र मोदी हमेशा खामोशी ओढ़े रहे तो यह उनकी जिद, मजबूरी और आत्मग्लानि (अगर हो तो) ही कही जाएगी लेकिन जसोदा बेन के अपनी पत्नी होने से वे कभी मुकर नहीं पाये. इस बाबत कई लोग उन्हें क्रूर पतियों की श्रेणी में रखने से भी नहीं चूकते. पिछले साल सर्दियों में जसोदा बेन राजस्थान में एक सड़क दुर्घटना में बुरी तरह घायल हुईं थीं तब भी मोदी ने उनके हालचाल पूछने या जानने की औपचारिकता या शिष्टाचार नहीं दिखाया था.

पर ये कहती हैं …. – पिछले दिनों मध्यप्रदेश की राज्यपाल आनंदी बेन ने मध्यप्रदेश के हरदा जिले के टिमरनी में यह कहते सनाका सा खींच दिया कि नरेंद्र मोदी अविवाहित हैं और उन्होंने कभी शादी ही नहीं की. आनंदी बेन का वह वीडियो सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रहा है जिसमें एक सरकारी कार्यक्रम में वे मौजूद महिलाओं से यह कहती नजर आ रहीं हैं कि, पूरी दुनिया जानती है कि आपके और आपके बच्चों के लिए नरेंद्र भाई ने शादी नहीं की. लेकिन उन्हें यह पता है कि डिलेवरी के वक्त और बाद में महिलाओं और बच्चों को क्या क्या परेशानियां होती हैं, इसलिए उन्होंने महिलाओं के लिए इतनी योजनाएं बनाई हैं.

हर कोई जानता है कि आनंदी बेन नरेंद्र मोदी की चहेती नेताओं में से एक हैं, जिन्हें मोदी ने दिल्ली जाने से पहले गुजरात के मुख्यमंत्री पद की कुर्सी सौंपी थी. आनंदी बेन का यह सफेद झूठ किसी को हजम नहीं हो रहा है कि जो बात पूरी दुनिया जानती है उसे वे नहीं जानतीं कि नरेंद्र मोदी शादीशुदा हैं. अगर सब कुछ जानते हुये भी वे ऐसा कह रहीं हैं तो मान लेना चाहिए कि सूर्य पश्चिम से उगता है पूर्व से नहीं.

हैरानी इस बात की भी है कि इस झूठ पर हर कोई चुप रहा, यहां तक कि विपक्ष ने भी सुनहरी मौका नहीं भुनाया, जबकि मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव का बिगुल बज चुका है. अगर आनंदी बेन के कहने से नरेंद्र मोदी शादीशुदा से कुंवारे हो जाते हैं तो सोचना लाजिमी है कि वे क्यों नरेंद्र मोदी की वैवाहिक स्थिति या सच हजम नहीं कर पा रहीं. सार्वजनिक रूप से कही इस बात के अगर कोई व्यक्तिगत माने नहीं हैं तो तकाजा तो यह है कि आनंदी बेन खेद व्यक्त करते लोगों और जसोदा बेन से माफी मांगे और वीडियो अगर फर्जी है जिसकी उम्मीद न के बराबर है तो तो उसकी जांच की मांग करें.

ऐसे शक अक्सर पौराणिक पात्रों को लेकर रहते हैं कि किसकी शादी किससे हुई थी और हुई भी थी या नहीं.  अगर आनदी बेन की मंशा और मकसद नरेंद्र मोदी को भगवान टाइप का आदमी साबित करने की है तो एक जोरदार सेल्यूट की हकदार तो वे हैं. वैसे भी नरेंद्र मोदी की ज़िंदगी से ताल्लुक रखते इस बाकिए के जिक्र का न कोई मौसम था न दस्तूर था बस एक मौका जरूर था जिसे आनदी बेन  चूकीं नहीं.

और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...