राहुल गांधी के हर बयान को तोड़मरोड़ कर पेश करना भाजपा की आदत है, इस में प्रधानमंत्री मोदी भी पीछे नहीं हैं. हाल में राहुल के ‘शक्ति’ बयान को मोदी ने धर्म से जोड़ कर यही साबित किया.
18 मार्च को एक बार फिर सिद्ध हो गया कि कांग्रेस नेता राहुल गांधी से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी घबराते हैं, डरते हैं और राहुल की एकएक बात को बड़े ध्यान से देखतेसुनते हैं, फिर उस पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हैं. कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने ‘शक्ति’ वाले अपने बयान पर खड़े हुए राजनीतिक विवाद की पृष्ठभूमि में स्पष्ट कर दिया और कहा, “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मेरी बातों का अर्थ बदलने की कोशिश की है, जबकि मैं ने जिस शक्ति का उल्लेख किया था उस का ‘मुखौटा’ प्रधानमंत्री खुद हैं.”
राहुल गांधी ने यह दावा भी किया, “जिस शक्ति के खिलाफ वे लड़ने की बात कर रहे हैं उस ने सभी संस्थाओं और संवैधानिक ढांचे को अपने चंगुल में दबोच लिया है.”
राहुल गांधी ने रविवार 17 मार्च को ‘भारत जोड़ो न्याय यात्रा’ के समापन के अवसर पर मुंबई के शिवाजी पार्क में आयोजित एक रैली में कहा था, “हिंदू धर्म में शक्ति शब्द होता है. हम शक्ति से लड़ रहे हैं. एक शक्ति से लड़ रहे हैं. अब सवाल उठता है कि वह शक्ति क्या है? जैसे किसी ने यहां कहा कि राजा की आत्मा ईवीएम में है. सही है. सही है कि राजा की आत्मा ईवीएम में है. हिंदुस्तान की हर संस्था में है. ईडी में है, सीबीआई में है. आयकर विभाग में है.”
जैसा कि होना चाहिए था जब नरेंद्र मोदी ने राहुल गांधी की एकएक बात को ध्यान से सुना होगा तो प्रतिक्रिया अपने तरीके से कुछ इस तरह दी मानो राहुल गांधी ने किसी देवी शक्ति की आलोचना की है जबकि देश का बच्चाबच्चा समझ सकता है कि उन्होंने सीधा हमला नरेंद्र मोदी और उन के कामकाज की शैली पर किया है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विपक्षी ‘इंडिया’ गठबंधन पर मुंबई की रैली में ‘शक्ति’ के विनाश का बिगुल फूंकने का आरोप लगाते हुए सोमवार 18 मार्च को कहा, “उन के लिए हर मांबेटी ‘शक्ति’ का स्वरूप है और वे उन के लिए अपनी जान की बाजी लगा देंगे.”
तेलंगाना में प्रधानमंत्री ने कहा, “आगामी लोकसभा चुनाव में लड़ाई ‘शक्ति के विनाशकों’ और ‘शक्ति के उपासकों’ के बीच है तथा 4 जून को स्पष्ट हो जाएगा कि कौन ‘शक्ति’ का विनाश करने वाले हैं और किसे ‘शक्ति’ का आशीर्वाद प्राप्त है.”
आप नरेंद्र मोदी के इस भाषण को सुन समझ कर समझ सकते हैं कि वे हर बात को धर्म से जोड़ देते हैं और लाभ उठाना चाहते हैं. वे राहुल गांधी हों या प्रियंका गांधी अथवा सोनिया गांधी, इं सब की हरेक बात को बड़े ही ध्यान से सुनतेसमझते हैं और फिर अपने तरीके से उन्हें घेरने का प्रयास करते हैं. हम इसीलिए इस आलेख में कह रहे हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कांग्रेस नेता राहुल गांधी से घबराते डरते हैं?
राहुल गांधी ने ‘एक्स’ पर लिखा, “मोदीजी को मेरी बातें अच्छी नहीं लगतीं. किसी न किसी तरह उन्हें घुमा कर वे उन का अर्थ हमेशा बदलने की कोशिश करते हैं क्योंकि वे जानते हैं कि मैं ने एक गहरी सचाई बोली है. जिस शक्ति का मैं ने उल्लेख किया, जिस शक्ति से हम लड़ रहे हैं, उस शक्ति का मुखौटा मोदीजी ही हैं.”
उन्होंने कहा, “वह एक ऐसी शक्ति है जिस ने आज भारत की आवाज को, भारत की संस्थाओं को, सीबीआई, आयकर विभाग, ईडी, चुनाव आयोग, मीडिया, भारत के उद्योग जगत और भारत के समूचे संवैधानिक ढांचे को ही अपने चंगुल में दबोच रखा है.”
राहुल गांधी ने दावा किया, “उसी शक्ति के लिए प्रधानमंत्री भारत के बैंकों से हजारों करोड़ के कर्ज माफ कराते हैं जबकि भारत का किसान कुछ हजार रुपयों का कर्ज न चुका पाने पर आत्महत्या करता है. उसी शक्ति को भारत के बंदरगाह, भारत के हवाई अड्डे दिए जाते हैं जबकि भारत के युवा को अग्निवीर का तोहफा दिया जाता है, जिस से उस की हिम्मत टूट जाती है.”
राहुल गांधी ने आरोप लगाया, “उसी शक्ति को दिनरात सलामी ठोकते हुए देश की मीडिया सचाई को दबा देती है. उसी शक्ति के गुलाम नरेंद्र मोदीजी देश के गरीब पर जीएसटी थोपते हैं, महंगाई पर लगाम न लगाते हुए, उस शक्ति को बढ़ाने के लिए देश की संपत्ति को नीलाम करते हैं.” गांधी ने कहा, “उस शक्ति को मैं पहचानता हूं, उस शक्ति को नरेंद्र मोदीजी भी पहचानते हैं, वह किसी प्रकार की कोई धार्मिक शक्ति नहीं है, वह अधर्म, भ्रष्टाचार और असत्य की शक्ति है. इसलिए जबजब मैं उस के खिलाफ आवाज उठाता हूं, वे और उन की झूठों की मशीन बौखला जाती है, भड़क जाती है.”
सच तो यह है कि जब कोई सच प्रभावशाली होता है तो उस से गुनाहगार घबराते हैं, डरते हैं. आज हकीकत यही है कि नरेंद्र मोदी सचमुच राहुल गांधी से घबराते हैं और इसीलिए उन्होंने राहुल गांधी के शक्ति वाले भाषण पर धर्म को जोड़ने का असफल प्रयास किया है.