लेखक- रोहित

हाल ही में दुनियाभर में प्रैस की स्वतंत्रता और पत्रकारों के अधिकारों के लिए काम करने वाली संस्था ‘रिपोर्ट्स विदाउट बौर्डर्स’ ने 37 ऐसे राष्ट्राध्यक्षों यानी सुप्रीम नेताओं के नाम प्रकाशित किए जो उन के मुताबिक, प्रैस की आजादी पर लगातार हमले कर रहे हैं. ऐसे नेताओं को प्रैस की आजादी के लिए पूरी दुनिया में सब से ज्यादा खतरनाक माना गया. इस लिस्ट में 2 दशकों से ज्यादा समय से प्रैस का दमन करने वाले पुराने नेताओं के नाम तो थे ही, साथ ही, नेताओं की नई खेप भी जोड़ी गई. यानी सीधा मतलब है कि हाल के वर्षों में विश्व में बोलने की आजादी पर बाधा डालने वालों की नई खेप पैदा हुई. 7 जुलाई को अपडेट की गई यह लिस्ट ‘रिपोर्ट्स विदाउट बौर्डर्स’ (आरएसएफ) द्वारा 5 वर्षों बाद जारी की गई. इस से पहले यह 2016 में जारी की गई थी. इस रिपोर्ट के अनुसार, जारी की गई 37 नेताओं की लिस्ट में से 17 नाम पहली बार जोड़े गए. हमारे देश के लिए ध्यान देने वाली बात यह है कि इन नए जोड़े गए नामों में एक नाम भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का है.

रिपोर्ट में कहा गया कि इन नेताओं ने न सिर्फ अभिव्यक्ति पर रोक लगाने का प्रयास किया है बल्कि पत्रकारों को मनमाने ढंग से जेल भी भेजा है. इस लिस्ट में 19 देशों को लाल रंग से दिखाया गया, यानी इन देशों को पत्रकारिता के लिहाज से खराब माना गया. जबकि, 16 देशों को काले रंग से दिखाया गया, जिस का अर्थ उन देशों में स्थिति बेहद चिंताजनक है. खास बात यह रही कि इस लिस्ट में नेताओं के प्रैस पर नियंत्रण लगाने के तौरतरीकों का विवरण भी जारी किया गया जिस में नेताओं के यूनीक तरीकों के बारे में ब्योरेवार बताया गया. आरएसएफ के महासचिव क्रिस्टोफ डेलौयर ने कहा, ‘‘इन में से प्रत्येक नेता की अपनी विशेष शैली है. कुछ सत्ताधारी नेता तर्कहीन और अजीबोगरीब आदेश जारी कर मीडिया की आवाज कुचलते हैं. कुछ शासक कठोर कानूनों के आधार पर सावधानीपूर्वक बनाई गई रणनीति अपनाते हैं. हमें उन के तरीकों को सामान्य नहीं बनने देना चाहिए.’’

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