आध्यात्म , एकात्म और आयुर्वेद का पाखंड
कोरोना वायरस को किसी धार्मिक पाखंड , आयुर्वेद , ज्योतिष , झाडफूंक , तंत्र मंत्र या टोने टोटकों से काबू नहीं किया जा सकता यह बात किसी सबूत की मोहताज नहीं रह गई है लेकिन फिर भी इस बात को अगर बार बार दोहराना पड़ता है तो इसकी बड़ी वजह यह है कि सत्तारूढ़ भाजपा के शीर्ष और जिम्मेदार पदों पर बैठे नेता एक षड्यंत्र और पूर्वाग्रह के चलते इन्हीं पाखंडों को थोपने की कोशिश करते कोरोना के कहर को और बढ़ा ही रहे हैं . एक तरफ दुनिया भर के देशों के नेता और वैज्ञानिक कोरोना का इलाज करने और वेक्सीन बनाने दिन रात एक किए दे रहे हैं तो दूसरी तरफ भाजपाई नेता हकीकत और विज्ञान की सच्चाई को झुठलाते हुये यह जताने की कोशिश जिसे मूर्खता और धूर्तता कहना ज्यादा बेहतर होगा कर रहे हैं कि कोरोना को सनातन धर्म के सिद्धांतों से काबू किया जा सकता है .
इस साजिश को बड़ा मंच दिया मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने जो बीती 28 अप्रेल को साधु संतों की शरण में थे . इस दिन आदि शंकराचार्य की जयंती थी . शिवराज सिंह ने कई नामी संतों और धर्म गुरुओं से वीडियो कांफ्रेसिंग के जरिये रूबरू होते उनसे पूछा कि कोविड 19 से निबटने का रास्ता क्या है . इस पौराणिक से संवाद का विषय रखा गया था , कोविड 19 की चुनौतियाँ और एकात्म बोध . बक़ौल शिवराज सिंह कोरोना से निबटने के लिए नए प्रकाश की जरूरत है . चिकित्सा विज्ञान और डाक्टर अपना काम कर रहे हैं लेकिन अब दर्शन संत और आध्यात्मिक गुरुओं को भी रास्ता दिखाना जरूरी है .