कर्नाटक में विधानसभा चुनाव एक प्रहसन बन गया है . संपूर्ण देश के साथ दुनिया ने देखा कि किस तरह दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र भारत एक राज्य कर्नाटक का चुनाव नैतिकता के सिद्धांतों की पहाड़ी से गिरता चला गया. किस तरह देश की सत्ता संभाल रही भारतीय जनता पार्टी और प्रधानमंत्री नरेंद्र दामोदरदास मोदी ने चुनावी सिद्धांतों को क्षत-विक्षत कर दिया. जब देश का प्रधानमंत्री ही धर्म के नाम पर वोट मांगने लगे तो फिर चुनावी नैतिकता तो तार-तार होनी हीं थी,
सभी ने देखा कि किस तरह कर्नाटक में मात्र सत्ता पाने के लिए राजनीतिक दलों ने खुलेआम सिद्धांतों की बलि चढ़ा दी है . धीरे-धीरे हमारा देश लोकतांत्रिक मूल्यों के राजपथ से हटकर के एक ऐसी पगडंडी पर चलने लगा है जो आने वाले समय में एक अंधेरी गुफा में ले जाएगा और जिसका परिणाम भी देश की आम लोगों को भोगना पड़ेगा. ऐसे में आवश्यकता है देश के हर एक नागरिक को निर्णय लेने की और अपना वोट का महत्व समझने देश की हर एक नागरिक का मत महत्व रखता है और इसीलिए संविधान में हर एक नागरिक को यह अधिकार दिया गया है ताकि हर एक नागरिक यह समझे कि उसका कुछ अधिकार है तो अधिकार है तो दायित्व भी है . ________
नरेंद्र मोदी बनाम प्रियंका गांधी _______
कर्नाटक चुनाव में एक तरफ है स्वयं देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र दामोदरदास मोदी तो दूसरी तरफ प्रियंका गांधी और राहुल गांधी . हालांकि देश का हर एग्जिट पोल यही कह रहा है कि कांग्रेस बहुमत की ओर है और भाजपा की स्थिति अच्छी नहीं इसके बावजूद नरेंद्र मोदी लगातार कर्नाटक में अपनी उपस्थिति बनाए हुए हैं अकेले दम पर चुनाव को विजय बनाना चाहते हैं इसलिए चुनावी शुचिता को छोड़ कर के उन्होंने जिस तरह हिंदुओं के इष्टदेव बजरंगबली का नाम लेकर के मतदान करने की अपील की है वह अपने आप में आपत्तिजनक है मगर प्रधानमंत्री के आभामंडल में चुनाव आयोग खामोश है. ऐसी स्थिति में अब सारा दारोमदार देश के मतदाताओं के कांधे पर है की वह देश को किस दिशा में ले जाते हैं.
दूसरी तरफ कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने बड़े पते की बात कही है " भ्रष्टाचार, लूट-खसोट, महंगाई और बेरोजगारी कर्नाटक में आज असली 'आतंकवाद' है तथा भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सत्ता में रहने के दौरान लोगों के वास्तविक मुद्दों का हल करने में नाकाम रही."
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