कर्नाटक के लिए आज ऐतिहासिक दिन है। 10 मई को सूबे की 224 विधानसभा सीटों पर 72.82 फीसदी लोगों ने वोट डाले थे। सत्ता हथियाने के लिए कर्नाटक में कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी के बीच कांटे की टक्कर है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस इस बार लगभग 120-130 सीटों के साथ 'उल्लेखनीय जीत' हासिल कर सकती है। वहीं कुछ लोग कांग्रेस पार्टी को 137 सीटें मिलने की संभावना जता रहे हैं।

उल्लेखनीय है कि कर्नाटक में 38 साल के चुनावी इतिहास में किसी पार्टी की दोबारा सत्ता में वापसी नहीं हुई है। कर्नाटक में करीब चार दशक से हर 5 साल पर सत्ता बदलने का ट्रेंड रहा है। ऐसे में भाजपा ये ट्रेंड बदलने के प्रयास में है, जबकि कांग्रेस ने अपनी जीत के लिए काफी जोर लगाया है। एग्जिट पोल में भी कांग्रेस के प्रदर्शन को काफी अच्छा बताया गया है। अगर कर्नाटक में कांग्रेस को पूर्ण बहुमत हासिल होता है तो कर्नाटक के बाद 2024 में कांग्रेस के लिए दिल्ली का दरवाजा खुल जाएगा।

अगर कांग्रेस पूर्ण बहुमत हासिल नहीं कर पायी तो ऐसे में जेडीएस के सरकार के गठन में किंगमेकर के रूप में उभरना तय है। इसको देखते हुए सभी पार्टियों में खरीद-फरोख्त को लेकर खौफ का आलम है। भारतीय जनता पार्टी के इतिहास को देखते हुए पूर्व प्रधानमंत्री एच.डी. देवगौड़ा खुद अपने विधायकों को सुरक्षित रखने की कवायद में जुट गए हैं। वहीं उनके बेटे और पूर्व सीएम एच.डी. कुमारस्वामी सिंगापुर से राज्य में स्थिति का संचालन और बारीकी से निगरानी कर रहे हैं।

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