अमेरिकी राष्ट्रपति पद के उम्मीदवारों की दौड़ अब निर्णायक मोड़ पर जा पहुंची है. चुनावी सरगर्मी चरम पर है. उम्मीदवारों के चयन का दौर अंतिम चरण में है. रिपब्लिकन और डैमोके्रटिक दोनों पार्टियों से कौनकौन राष्ट्रपति पद के लिए उम्मीदवार के तौर पर नामित किए जाएंगे, अब शीघ्र ही तय होगा. फिलहाल ओपिनियन पोल में आतंकवाद का मुद्दा सब से ऊपर है. रिपब्लिकन पार्टी की ओर से अमेरिका के जानेमाने अरबपति डोनाल्ड ट्रंप धर्म के ट्रंप कार्ड यानी धर्म को तुरुप के पत्ते के तौर पर इस्तेमाल कर शीर्ष पर खड़े हैं. डैमोक्रेटिक पार्टी में हिलेरी क्लिंटन आगे हैं और फिर बर्नी सैंडर्स हैं.

अमेरिकी राष्ट्रपति के चुनाव के दूरगामी अंतर्राष्ट्रीय प्रभावों के कारण विश्वभर की निगाहें इस चुनाव पर लगी हुई हैं. ओपिनियन पोल बता रहे हैं कि रिपब्लिकन वोटर इसलाम को ले कर काफी आशंकित हैं. अमेरिका को पूरी तरह धर्म के आधार पर बांटने और एकजुट करने की कवायद जारी है. यह अमेरिकी सियासत का खतरनाक रुझान है. विश्व के लोकतंत्र समर्थक देशों ने रिपब्लिकन नेताओं के बयानों की निंदा की है.

विश्व के सब से पुराने लोकतांत्रिक देश में वे तमाम मुद्दे उठ रहे हैं जो भारत में उठते हैं. हर तरह की तिकड़में जारी हैं. धर्म, नस्ल, अमीरी, गरीबी, बेरोजगारी हर उस चीज को राष्ट्रपति पद के दावेदार भुनाने में लगे हैं जिन के बल पर उम्मीदवारी हासिल की जा सके. भले ही अमेरिका आज आर्थिक, बेरोजगारी, नस्लीय भेदभाव जैसी समस्याओं से जूझ रहा है.

इतिहास देखें तो मालूम होता है कि आखिरी पंक्ति के दावेदार भी ऐन वक्त पर शीर्ष, दूसरे या तीसरे स्थान पर आ जाते हैं. इस चुनाव में भी यही दिख रहा है. इस का प्रमुख कारण प्रचार,पैसा और मतदान है. डैमोके्रटिक पार्टी में 4 दावेदार हैं जिन में शीर्ष पर हिलेरी क्लिंटन, फिर बर्नी सैंडर्स, मार्टिन ओमाले और लारेंस लेसिंग हैं. उधर रिपब्लिकन पार्टी में 15 दावेदार हैं. इन में सब से ऊपर डोनाल्ड ट्रेप फिर बेन कार्सन, मार्को रूबियो, जेब बुश, टेड क्रूज प्रमुख हैं. कुछ दिनों पहले रूबियो शीर्ष पर थे.

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