म्युजिक बैरन के तौर पर जाने जाने वाले गुलशन कुमार का हत्यारा दाऊद मर्चेंट जल्द ही भारत लाया जाएगा. पिछले कुछ सालों से वह बांग्लादेश में था. अब बांग्लादेश उसे भारत लौटाने की प्रक्रिया शुरू करने जा रहा है. गौरतलब है कि 12 अगस्त 1997 में मुंबई के अंधेरी स्थित जीतेश्वर महादेव के मंदिर में पूजा के लिए गए गुलशन कुमार की हत्या कर दी गयी थी. आरोप लगा कि इस हत्या में नदीम-श्रावण संगीतकार जोड़ी के नदीम सैफ का हाथ है. गौरतलब है कि गुलशन कुमार नदीम-श्रवण संगीतकार जोड़ी के संरक्षक माने जाते थे.

गुलशन कुमार की हत्याकांड की जांच कर रही मुंबई पुलिस का मानना था कि कैसेट किंग गुलशन कुमार की हत्या के लिए नदीम ने दाऊद इब्राहिम की मदद ली थी. दाऊद के शार्प शूटर और उसके हाथी अब्दुल रशीद ने गुलशन कुमार पर मंदिर के बाहर गोली चला कर हत्या की थी. गौरतलब है कि गुलशन कुमार की हत्या में नदीम सैफ का नाम आने के बाद वह 2000 से लंदन में निर्वासित जीवन जीने लगा. हत्या का मामला चलाने के लिए भारत ने उसके प्रत्यार्पण के लिए बहुत हाथ-पांव मारा. लेकिन सफलता नहीं मिली, क्योंकि ब्रिटेन की हाई कोर्ट ने नदीम के पक्ष में फैसला सुनाते हुए कहा था कि नदीम पर हत्या व हत्या के षडयंत्र में शामिल होने का आरोप नेक इरादे से नहीं लगाए गए हैं. इस तरह नदीम के प्रत्यापर्ण का मामला खारिज हो गया.

इधर मुंबई अदालत में भी पुलिस इस हत्या में नदीम के शामिल होने के आरोप को साबित करने में नाकाम रही. क्योंकि हत्या के समय नदीम लंदन में था. मुंबई की एक सत्र अदालत ने 2002 में गुलशन कुमार की हत्या में शामिल 19 संदिग्ध लोगों में केवल एक को दोषी पाया और वह दाऊद मर्चेंट था. जाहिर है नदीम पर मामला रद्द हो गया. हालांकि इस मामले में नदीम की गिरफ्तारी के वारंट को कभी वापस नहीं लिया गया. इधर दाऊद मार्चेंट पर हत्या का मुकदमा चला. पता चला कि इस हत्या में दाऊद इब्राहिम का हाथ था. गुलशन कुमार की कैसेट कंपनी टी सीरीज की सफलता को देखकर दाऊद इब्राहिम ने एक बड़े रकम की मांग की थ. वह रकम नहीं दिए जाने के कारण गुलशन कुमार की हत्या हुई. इस हत्या के लिए 2002 में दाऊद मर्चेंट को हत्या का दोषी माना और उसे आजीवन कैद की सजा सुनायी गयी थी. लेकिन 2009 में उसे उसके परिवार के किसी बीमार सदस्य को देखने के लिए 14 दिन के पेरौल पर इस शर्त पर छोड़ा गया कि वह हर रोज थाने में हाजिरी देगा. लगातार सात दिनों तक दाऊद मर्चेंट ने थाने में हाजिरी दी, लेकिन इसके बाद उसका कुछ पता नहीं चला. जांच के एक हफ्ता बाद खुफिया पुलिस को पता चला कि वह बांग्लादेश भाग गया है.

बहरहाल, बांग्लादेश में ब्राह्मणबेडिया इलाके से अवैध रूप से सीमा लांघने के जुर्म में 28 मई 2009 को वह गिरफ्तार कर लिया गया. उसके पास से बांग्लादेश पुलिस को बड़े पैमाने पर नकली भारतीय नोट भी पाए गए थे. बांग्लादेश अदालत में उसे सजा हुई. 2 दिसंबर 2014 को जमानत पर जैसे ही रिहा हुआ कि उसे फिर गिरफ्तार कर लिया. दरअसल, दाऊद मार्चेंट के आतंकी कनेक्शन की जांच करने के मकसद से बांग्लादेश कानून के तहत उसे वापस गिरफ्तार किया गया था. तबसे वह बांग्लादेश के गाजीपुर जिला के करीमपुर जेल में ही है.

लेकिन हाल ही में बांग्लादेश के गृहमंत्री असादुज्जमान खान कमाल ने घोषणा कि है कि बांग्लादेश सरकार ने वहां के जेलों में बंद तमाम ऐसे विदेशी कैदियों को उनसे संबंधित देशों को लौटा देने का फैसला किया है, जिनकी बांग्लादेश में सजा की अवधि पूरी हो गयी है. इसके लिए संबंधित दूतावास से बांग्लादेश का गृह मंत्रालय संपर्क कर रहा है. इस आधार पर शेख हसीना सरकार ने भारत को भी इत्तिला दी है कि दाऊद मर्चेंट को भी वह भारत को सौंपना चाहता है. इससे पहले असम के अलगाववादी संगठन के अनूप चेटिया को बांग्लादेश लौटा चुका है.

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