7 अक्टूबर 2023 को हमास के हमले के बाद इजरायल और हमास के बीच शुरू हुआ भयंकर युद्ध अभी समाप्त नहीं हुआ है. इस भयावह युद्ध में जो बेहिसाब बमबारी हुई है उस के चलते गाजा पट्टी तो खंडहर में बदल ही चुकी है इजरायल में भी इमारतों, मकानों, सड़कों, पुलों आदि को भारी नुकसान पहुंचा है. अब जारी युद्ध के बीच ही इजरायल ने इमारतों के पुनः निर्माण की प्रक्रिया शुरू कर दी है और अपने फैसले के तहत उसे सस्ते मजदूरों की दरकार है.

सस्ते मजदूरों के लिए इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने भारत से संपर्क किया है. नेतन्याहू जानते हैं कि भारत में चरम गरीबी का सामना कर रहे भारतीय थोड़े से धन का लालच देते ही इजरायल में काम करने के लिए तैयार हो जाएंगे. उन का सोचना शतप्रतिशत ठीक है क्योंकि गरीब आदमी सोचता है कि यहां भूख से मरने से बेहतर है जान का रिस्क उठा कर दूसरे देश में जा कर कुछ पैसा कमा लें और अपने घर की दशा कुछ ठीक कर लें.

भारत की गरीब आबादी के सामने पेट पालने की मजबूरी हमेशा से रही है. द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान इंग्लैण्ड की तरफ से लड़ने के लिए हजारों भारतीय गरीब किसानों को सैनिक ट्रेनिंग दे कर युद्ध क्षेत्र में झोंक दिया गया. वे युद्ध की विभीषिकाओं से जूझते रहे. अनेक मर गए, कुछ अपंगता की हालत में जीवित बचे. जर्मनी में आज भारत का गरीब अपनी रोजी कमाने के लिए जाता है.

आज करीब 21,000 भारतीय नीले कार्ड पर वहां मजदूरी कर रहे हैं. जर्मनी की हमेशा यह सोच रही कि भारत हमारे लिए एक दिलचस्प श्रम बाजार है और भारत सरकार का भी आप्रवासन के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण है. अरब देशों में हमारे कामगार और मजदूर किन कठिन परिस्थितियों में काम करते हैं, सरकार ने कभी उनकी चिंता नहीं की. कई बार तो उन्हें ले जाने वाले ठेकेदार उन का पासपोर्ट जब्त कर के रख लेते हैं. छोटेछोटे कमरे में 20-20 आदमियों को भेंड़-बकरियों की तरह रखते हैं और दिन में एक वक़्त खाना देते हैं. मगर ये गरीब यह सब सहते हैं ताकि अपने परिवार का पेट दो वक़्त भर सकें.

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