Government of India : विदेशी जेलों में विचाराधीन भारतीय कैदियों की संख्या 10,152 है. कई कैदी जेलों में दम तोड़ चुके हैं और कुछ को मौत की सजा दे दी गई है मगर सरकार इक्कादुक्का मामलों को छोड़ इन कैदियों को ले कर कोई कदम उठा रही हो, ऐसा लगता नहीं है.
उत्तर प्रदेश के बांदा जिले की रहने वाली शहजादी खान, जो यूएई में मौत की सजा का सामना कर रही थी, को आखिरकार 15 फरवरी, 2025 को यूएई के नियमकानून के मुताबिक मौत की सजा दे दी गई. उस पर एक 4 वर्षीय बच्चे की हत्या करने का आरोप था. शहजादी का केस किस ने लड़ा, उस को अपने बचाव का कोई मौका मिला या नहीं, भारत सरकार ने उस की क्या मदद की, उस के लिए जो कानूनी लड़ाई लड़ी वह किस वकील ने लड़ी, उस पर कितना पैसा खर्च हुआ, हुआ भी या नहीं, उस के लिए कोई लड़ा भी या नहीं, इन सब सवालों के जवाब सरकार ने नहीं दिए.
शहजादी के परिवार वाले यानी उस के बूढ़े मांबाप और भाई उस के जनाजे में शामिल नहीं हो सके क्योंकि शहजादी के पिता शब्बीर खान और उन की बीवी इतने कम वक्त में अबूधाबी के सफर का इंतजाम नहीं कर पाए थे. न सरकार ने उन्हें बेटी के अंतिम संस्कार में पहुंचने के लिए कोई मदद मुहैया कराई. बस, दूतावासों से फोनफोन का खेल चलता रहा.
5 मार्च को अबूधाबी के कब्रिस्तान में शहजादी का शव दफना दिया गया. अबूधाबी के अधिकारियों ने पहले ही कह दिया था कि शहजादी की लाश 5 मार्च तक मुर्दाघर में रहेगी. इस के बाद अगर परिवार का कोई शख्स नहीं आता है तो उसे दफना दिया जाएगा.
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