अमेरिकी चुनाव में जो पहले नहीं हुआ, वह 45वें राष्ट्रपति के चुनाव के रूप में डौनल्ड ट्रंप के चयन के समय हुआ. दावा किया जाता है कि अमेरिकी इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ जब लगभग पूरे मीडिया ने चुनाव में किसी एक उम्मीदवार का न सिर्फ समर्थन किया, बल्कि उस के पक्ष में वोट करने की अपील तक की थी. ज्यादातर पत्रपत्रिकाओं और टीवी चैनल्स ने डैमोक्रेटिक पार्टी की उम्मीदवार हिलेरी क्लिंटन के पक्ष में वोट करने की अपील करते हुए कहा था कि रिपब्लिकन पार्टी के उम्मीदवार डौनल्ड ट्रंप अमेरिका के राष्ट्रपति पद के लिए उपयुक्त व्यक्ति नहीं हैं. हालत यह थी कि सीएनएन, न्यूयौर्क टाइम्स, वाशिंगटन पोस्ट सहित 55 मीडिया संस्थानों ने सार्वजनिक तौर पर मतदाताओं से हिलेरी क्लिंटन के पक्ष में वोटिंग करने की अपील की थी. ट्रंप के समर्थन में सिर्फ 2 मीडिया संस्थान थे, लेकिन हैरानी की बात है कि 9 नवंबर, 2016 को जब चुनावी नतीजे सामने आए तो बाजी डौनल्ड ट्रंप के हाथ लगी. अमेरिकी इतिहास में पहली बार ओपीनियन पोल गलत साबित हुए. उल्लेखनीय है कि 95% ओपीनियन पोल हिलेरी क्लिंटन की जीत का अनुमान लगा रहे थे, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. इस तरह जनवरी, 2017 में अमेरिकी राष्ट्रपति के रूप में पद संभालने वाले ट्रंप अमेरिका के उम्रदराज व्यक्ति बन गए.

डौनल्ड ट्रंप 70 साल के हैं, जबकि उन से पहले रोनाल्ड रीगन 69 साल की उम्र में अमेरिकी राष्ट्रपति बने थे. यह भी गौरतलब है कि हिलेरी क्लिंटन भी 69 साल की हैं, जबकि 2009 में व्हाइट हाउस के लिए चुने गए बराक ओबामा राष्ट्रपति पद पर आसीन होते समय सिर्फ 47 साल के थे. ओबामा अमेरिकी इतिहास के 5वें सब से युवा राष्ट्रपति थे. उन से पहले थियोडोर रूजवेल्ट सब से युवा अमेरिकी राष्ट्रपति थे, जो 42 साल की उम्र में इस पद के लिए चुने गए थे.

कारोबारी और बिंदास ट्रंप

डौनल्ड ट्रंप की एक और खास बात है कि उन का संबंध किसी राजनीतिक घराने से नहीं है, इसलिए राजनीति में उन का अनुभव शून्य है. डौनल्ड ट्रंप राजनीति में उतरने से पहले एक सफल बिजनैसमैन रह चुके हैं, जिन के अमेरिका समेत कई देशों में कैसिनो और होटल हैं और उन का रियल एस्टेट का फलताफूलता कारोबार है. ट्रंप से पहले कोई भी बिजनैसमैन अमेरिका का राष्ट्रपति नहीं बना, हालांकि राजनीति से अलग अन्य क्षेत्रों से आए लोग इस पद को सुशोभित कर चुके हैं, जैसे 1929 से 1933 तक राष्ट्रपति रहे हरबर्ट हूवर जो पेशे से इंजीनियर थे. अमेरिकी इतिहास के पिछले 60 वर्ष में यह पहली बार है कि अमेरिका को ट्रंप के रूप में ऐसा राष्ट्रपति मिला है जो कभी कांग्रेस का सदस्य नहीं रहा और न ही किसी राज्य का गवर्नर रहा है. इस के अलावा 1944 के बाद से ऐसा पहली बार हुआ है कि न्यूयौर्क का कोई शख्स राष्ट्रपति बना है. ट्रंप ने साल 2000 में ही चुनाव में अपनी दावेदारी पेश करने की कोशिश की थी. अमेरिका के राष्ट्रपति पद के लिए उन्होंने अपने नामांकन का परचा भरा था, लेकिन वोटिंग शुरू होने से पहले ही उन्होंने अपना नाम वापस ले लिया था.

विवादों से नाता

राष्ट्रपति चुने जाने से पहले डौनल्ड ट्रंप को तीखा विरोध भी झेलना पड़ा. उन के खिलाफ खुद राष्ट्राध्यक्ष बराक ओबामा भी आए और उन्होंने देश की जनता से ट्रंप को खारिज करने की अपील की. ट्रंप के चुनावी अभियान में तमाम विवाद भी जुड़े, जिस में 2005 की एक औडियो रिकौर्डिंग सब से ज्यादा चर्चित रही, जिस में ट्रंप को यह कहते हुए सुना गया कि उन्होंने महिलाओं को जबरदस्ती अपनी तरफ खींचा और उन्हें चूमा. तमाम पीडि़त महिलाएं भी इस दौरान सामने आईं और उन्होंने ट्रंप की हरकतों का खुलासा किया. हालांकि चुनाव के दौरान बदनामी से बचने के लिए ट्रंप ने महिलाओं के प्रति अपने व्यवहार के लिए माफी मांग ली. ट्रंप ने प्रवासियों और मुसलमानों के खिलाफ भी अपनी राय जाहिर की. उन्होंने कहा कि अगर वे राष्ट्रपति बनते हैं तो ड्रग्स के धंधे को रोकने के लिए मैक्सिको बौर्डर पर दीवार खड़ी करवा देंगे. इस से प्रवासियों का आना रुक जाएगा. इसी तरह नवंबर, 2015 में पेरिस हमलों के बाद ट्रंप ने मुसलमानों के अमेरिका में इमीग्रेशन पर अस्थायी प्रतिबंध बैन की भी वकालत की थी, जिस के बाद दुनिया भर में उन की निंदा की गई. उन्होंने वीजा (एच1-बी) में कटौती की बात भी कही, जिस से भारतीय आईटी कंपनियों और आईटी पेशेवरों में चिंता फैल गई.

उल्लेखनीय है कि डौनल्ड ट्रंप ने अपने चुनावी अभियान में प्रवासी रोजगार पर अंकुश लगाते हुए अमेरिकी नागरिकों के लिए रोजगार पैदा करने की बात कही है. प्रवासियों को ले कर ट्रंप का यह रुख हैरान करने वाला है, खासतौर से यह देखते हुए कि खुद उन की मां मैरी ट्रंप प्रवासी थीं जो स्कौटलैंड से अमेरिका आई थीं. 14 जून, 1946 को न्यूयौर्क के क्वींस में पैदा हुए ट्रंप के पिता फ्रेड ट्रंप न्यूयौर्क में रियल एस्टेट का कारोबार करते थे. ट्रंप 5 भाईबहनों में अपने मातापिता की चौथी संतान हैं. उन की एक बहन बैंकर और दूसरी जज हैं. उन के भाई रौबर्ट ट्रंप की कंपनी में अधिकारी हैं. उन के एक भाई फ्रेडी की 1981 में 43 साल की उम्र में ज्यादा शराब पीने की वजह से मौत हो गई थी. ट्रंप खुद कहते हैं कि उन्होंने फ्रेडी का हश्र देखने के बाद ही शराब पीना छोड़ने का फैसला किया था. डौनल्ड ट्रंप को 13 साल की उम्र में न्यूयौर्क मिलिटरी अकादमी में पढ़ने के लिए भेजा गया था. वर्ष 1964 में वे अकादमी से पास हुए. हालांकि इस बीच एक बार गरम मिजाज के कारण उन्हें स्कूल से निकाला भी गया था. इस के बाद 1968 में उन्होंने पेंसिल्वेनिया यूनिवर्सिटी के वार्टन स्कूल इकनौमिक्स से बैचलर्स की डिग्री हासिल की. ट्रंप ने अब तक 3 शादियां की हैं, इस से उन की रंगीनमिजाजी का पता चलता है. ट्रंप के 5 बच्चे और 8 पोतेपोतियां हैं.

पिता से मिली कारोबारी समझ

अपनी पढ़ाई के दौरान ट्रंप जब छुट्टियों में घर आते थे, तो पिता की कंपनी ‘एलिजाबेथ ट्रंप ऐंड संस’ में काम सीखते थे. कालेज की पढ़ाई पूरी होने के बाद वे पूरी तरह अपने पिता फ्रेड ट्रंप की कंपनी से जुड़ गए. उन्होंने 1971 में पिता का पूरा कारोबार संभाल लिया और कंपनी का नाम बदल कर ‘ट्रंप और्गेनाइजेशन कर दिया. इस के कुछ समय बाद ट्रंप ने क्वींस को अलविदा कह दिया और न्यूयौर्क के मैनहटन में अपना निवास बना लिया. मैनहटन आने के बाद ट्रंप ने कई प्रमुख लोगों से संपर्क बढ़ाया. 1971 में ट्रंप ने मैनहट्टन बिल्डिंग प्रोजैक्ट के लिए निर्माण कराना शुरू किया. 1973 में ट्रंप परिवार के कारोबार पर गंभीर सवाल उठे. अमेरिकी सरकार ने उन के पिता और उन की कंपनी पर लोगों को घर बेचने या किराए पर देने में नस्ली भेदभाव का मामला दर्ज किया. ट्रंप ने मामले को निराधार बताते हुए कहा था कि उन की कंपनी नस्ली आधार पर भेदभाव नहीं करती. लंबी कानूनी लड़ाई के बाद 1975 में समझौता हुआ, जिस के तहत उन्हें अपनी कंपनी के कर्मचारियों को नस्ली भेदभाव के कानून के प्रति संवेदनशील बनाने के लिए प्रशिक्षण देने की हामी भरनी पड़ी.

वैसे तो कहा जाता है कि कारोबार खड़ा करने के लिए पिता ने ट्रंप को काफी दौलत दी थी (चुनाव प्रचार के दौरान हिलेरी क्लिंटन ने दावा किया था कि ट्रंप ने 1.4 करोड़ डौलर से अपना कारोबार शुरू किया था और यह रकम उन के पिता ने उन्हें दी थी) लेकिन ट्रंप ने इस दावे को गलत बताया. उन्होंने कहा कि उन के पिता ने 1975 में उन्हें बहुत छोटा सा लोन दिया था. सच चाहे जो हो, ट्रंप के स्वामित्व में उन की कंपनी का कारोबार तेजी से बढ़ा और दुनिया के कई मुल्कों में फैला, जिन में भारत भी शामिल है. विश्वपटल पर ट्रंप 1996 में तब सामने आए जब उन्होंने मिस यूएसए प्रतियोगिता का आयोजन कराया. वर्ष 2015 तक उन्होंने इस तरह के कई आयोजन कराए. बिजनैस मैगजीन फोर्ब्स ने ट्रंप को 2016 में दुनियाभर के रईसों में 324वें स्थान पर और अमेरिकी रईसों में 156वें स्थान पर रखा था.

ताजमहल से नाता

वर्ष 1979 में ट्रंप ने कैसिनो में भी निवेश करना शुरू कर दिया था. उन्होंने 1984 में हौलीडे इन होटल को खरीद कर ट्रंप प्लाजा और कैसिनो खोला. इस के बाद उन्होंने हिल्टन होटल कैसिनो भी खरीद लिया. 1980 में उन्होंने न्यूयौर्क में ग्रैंड हयात होटल का पुनर्निर्माण कराया था. वर्ष 1990 में उन्होंने अटलांटिक सिटी में ‘ताजमहल’ नाम का होटल कैसिनो खोला. इसे दुनिया का सब से बड़ा होटल कैसिनो माना जाता था. रियल एस्टेट और कैसिनो सैक्टर में ट्रंप ने कई दशकों तक अपना दबदबा बनाए रखा और अकूत दौलत कमाई. 1990 के दशक में उन्होंने एयरलाइन सैक्टर में भी हाथ आजमाए, लेकिन वहां उन्हें सफलता नहीं मिली. रियल एस्टेट और कैसिनो से अरबपति बन चुके ट्रंप 2004 में एनबीसी के रिएलिटी सीरीज ‘द अप्रैंटिस’ में शामिल हुए. वे इस शो के निर्माता भी थे. यह शो एनबीसी पर 2004 से 2015 तक सफलतापूर्वक चला और काफी लोकप्रिय हुआ. वर्ष 2012 में ट्रंप ने संकेत दिया कि वे अमेरिका के राष्ट्रपति का चुनाव लड़ सकते हैं. 2015 में अमेरिका काराष्ट्रपति चुनाव लड़ने की घोषणा की. जुलाई 2016 में वे अपने प्रतिद्वंद्वी को हरा कर आधिकारिक रिपब्लिकन उम्मीदवार बने और आखिरकार चुनाव जीतने में सफल रहे.

अमेरिकी चुनाव में भारतीयों की जीत

पिछले कुछ समय से अमेरिकी और ब्रिटिश राजनीति में भारतीय मूल के लोग अपनी उपस्थिति दर्ज कराने में सफल रहे हैं. अमेरिकी राष्ट्रपति के चुनाव में यह परंपरा जारी रही और कई भारतवंशियों ने 2016 के अमेरिकी चुनाव में शानदार प्रदर्शन किया. इस बार के चुनाव के जरिए अमेरिकी सीनेट में पहुंचने वालों में सब से उल्लेखनीय जीत कैलिफोर्निया से 2 बार अटौर्नी जनरल रह चुकीं कमला हैरिस की रही, जिन्होंने कैलिफोर्निया से अमेरिकी सीनेट की सीट जीती. इसी तरह 51 साल की प्रमिला जयपाल ने प्रतिनिधि सभा में प्रवेश के लिए सिएटल से कांग्रेस की सीट जीती. प्रमिला इतनी बड़ी उपलब्धि हासिल करने वाली भारतीय मूल की पहली अमेरिकी महिला हैं. इस के अलावा राजा कृष्णमूर्ति इलिनोइस से प्रतिनिधि सभा की सीट जीतकर कांग्रेस के लिए निर्वाचित हुए, जबकि कैलिफोर्निया के 17वें डिस्ट्रिक्ट से डैमोक्रेटिक उम्मीदवार रो खन्ना ने अपनी पार्टी के सहयोगी माइक होंडा को हरा दिया.

कमाल कमला हैरिस का

भारतीय मूल की 51 वर्षीय, 2 बार अटौर्नी जनरल रह चुकीं कमला हैरिस ने जो सफलता हासिल की है, वह किसी भारतअमेरिकी द्वारा अर्जित पहली कामयाबी है. कमला हैरिस ने कैलिफोर्निया राज्य से अमेरिकी सीनेट की सीट जीत कर इतिहास रचा है. वे अमेरिकी सीनेट में चुनी जाने वाली छठी अश्वेत महिला हैं. यही नहीं, पिछले 20 साल से भी ज्यादा अरसे में उच्च सदन में पहुंचने वाली वे पहली अश्वेत महिला हैं. उन से पहले 5वें अश्वेत के रूप में खुद बराक ओबामा का नाम दर्ज है. कमला ने अपनी ही पार्टी की डैमोक्रेट लौरेटा सांचेज को हरा कर यह उपलब्धि पाई है. उल्लेखनीय है कि कमला की हैरिस की मां श्यामला गोपालन 1960 में चैन्नई से अमेरिका विज्ञान की पढ़ाई करने गई थीं, जबकि उन के पिता जमैका में पलेबढ़े हैं. कमला का जन्म कैलिफोर्निया के औकलैंड में हुआ था. कमला हैरिस ने बारबरा बौक्सर की जगह ली है, जो करीब 2 दशक तक सीनेट में रहीं. बारबरा ने 2014 में रिटायरमैंट ले ली था. माना जा रहा है कि कमला अमेरिकी सीनेट में रह कर भारतअमेरिका संबंधों में मजबूती के लिए काम करेंगी.

प्रतिनिधित्व करेंगी प्रमिला जयपाल

कमला हैरिस की तरह प्रमिला जयपाल की उपलब्धि भी अनोखी है. प्रमिला अमेरिकी प्रतिनिधि सभा में चुनी जाने वाली पहली भारतअमेरिकी महिला हैं. उन्होंने वाशिंगटन राज्य की सीनेट सीट जीती है. वाशिंगटन से 51 साल की प्रमिला जयपाल को 57% वोट मिले, जबकि उन के प्रतिद्वंद्वी ब्रेडी वौकिनशौ को 43% वोट मिले. उन की जीत का श्रेय उन की प्रगतिशील विचारधारा को दिया जाता है. प्रमिला जयपाल ने वाशिंगटन स्टेट के 7वें जिले से चुनाव लड़ा था. इस जिले के तहत सिएटल और आसपास के इलाके आते हैं.

रोहित ‘रो’ खन्ना

भारतीय मूल के अमेरिकी रोहित ‘रो’ खन्ना कैलिफोर्निया के 17वें डिस्ट्रिक्ट से डैमोक्रेटिक उम्मीदवार थे. उन्होंने अपनी ही पार्टी यानी डैमोक्रेटिक पार्टी के सहयोगी माइक होंडा को करीब 19% वोटों से हराया. उल्लेखनीय है कि प्राइमरी चुनाव में ‘रो’ खन्ना को होंडा से अधिक वोट मिले थे. यह भी ध्यान रखने वाली बात है कि कैलिफोर्निया की चुनाव प्रणाली के तहत प्राइमरी चुनावों के 2 शीर्ष विजेताओं को आम चुनाव में खड़े होने की अनुमति दी जाती है, भले ही दोनों एक ही पार्टी से जुड़े हुए क्यों न हों.

डाक्टर एमी बेरा

एमी बेरा अमेरिका में डाक्टर हैं. वे डैमोक्रेटिक पार्टी के सदस्य हैं. प्रतिनिधि सभा के लिए बेरा का मुकाबला रिपब्लिकन पार्टी के स्कौट जोंस से था. 2012 और 2014 में बेरा ने बहुत कम अंतर से जीत दर्ज की थी. वे 2012 में 9,191 वोटों के अंतर से और 2014 में 1,455 वोट से जीते थे.

राजा कृष्णामूर्ति

राजधानी दिल्ली में जन्मे और पेशे से वकील भारतअमेरिकी डैमोक्रेट राजा कृष्णमूर्ति ने इलिनोइसशिकागो के जिस इलाके में जीत दर्ज की, उसे डैमोक्रेटिक पार्टी का गढ़ माना जाता है. उन्होंने रिपब्लिकन पार्टी के पीटर डिकियानी को शिकस्त दे कर अमेरिकी कांग्रेस का चुनाव जीता. डैमोक्रेटिक पार्टी के कृष्णमूर्ति एट्थ कांग्रेसनल डिस्ट्रिक्ट से निर्वाचित घोषित किए गए थे, जिस में शिकागो के आसपास के कुछ उपनगर शामिल हैं. राजा कृष्णमूर्ति को भ्रष्टाचार से संघर्ष करने वाले व्यक्ति के रूप में देखा जाता है. राज्य सहायक अटार्नी जनरल के रूप में और बतौर राज्य उप कोषाध्यक्ष सेवा करते हुए उन्होंने यह जंग छेड़ी थी. कृष्णमर्ति की जड़ें भी चैन्नई से जुड़ती हैं. उन्होंने अमेरिका की प्रिंसटन यूनिवर्सिटी से मेकैनिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की और हार्वर्ड से कानून की डिग्री हासिल की.

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