एक अर्थशास्त्री के रूप में अपने करियर की ऊंचाइयों को छू रहे डॉ. मनमोहन सिंह अचानक राजनीति में कैसे आ गए? यह किस्सा बहुत दिलचस्प है. मनमोहन सिंह को राजनीति में लाने का पूरा श्रेय पूर्व प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव को जाता है.

सन 1991 में नरसिम्हा राव की राजनीतिक पारी का एक तरह से अंत हो चुका था. उनकी किताबों का वजन लादकर एक ट्रक दिल्ली से हैदराबाद की ओर रवाना हो चुका था कि तभी 21 मई 1991 को राजीव गांधी की हत्या हो गयी. इसके बाद तेजी से घटनाक्रम बदलने लगे. नरसिम्हा राव को जरा भी अंदाजा नहीं था कि वह जल्द ही भारत के प्रधानमंत्री बनने वाले हैं.

राजीव की मृत्यु से देश की सहानुभूति कांग्रेस के प्रति उमड़ उठी. 1991 के भारतीय आम चुनाव में, नरसिम्हा राव के नेतृत्व में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने चुनाव लड़ा और 244 सीटें जीतीं और उसके बाद उन्होंने अन्य दलों के बाहरी समर्थन के साथ अल्पमत सरकार बनाई और वह प्रधानमंत्री बने. दक्षिण से आने वाले राव भारत और गैर- हिन्दी भाषी पृष्ठभूमि से प्रधानमंत्री बनने वाले दूसरे व्यक्ति थे.

प्रधानमंत्री बनने से पहले नरसिम्हा राव कई क्षेत्रों के विशेषज्ञ रह चुके थे. स्वास्थ्य और शिक्षा मंत्रालय वह पहले देख चुके थे. वह भारत के विदेश मंत्री भी रह चुके थे. परन्तु एक ही विभाग ऐसा था जिसमें उनका हाथ तंग था, वह था वित्त मंत्रालय. पीएम बनने से दो दिन पहले कैबिनेट सचिव नरेश चंद्रा ने उन्हें 8 पेज का एक नोट थमाया जिसमें बताया गया था कि देश की आर्थिक स्थिति बहुत खराब है.

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