कांग्रेस ने बुलेट ट्रेन की आधारशिला का स्वागत करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से रेल में सफर करने वाले लोगों की चिंता करने की भी मांग की है. पार्टी का कहना है कि पिछले साल दुनिया में सबसे अधिक रेल दुर्घटनाएं भारत में हुई हैं. ऐसे में सरकार को रेलवे की सुरक्षा पर भी ध्यान देना चाहिए.

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मल्लिकार्जुन खड़गे और पार्टी प्रवक्ता आरपीएन सिंह ने कहा कि रेल सुरक्षा के लिए एक लाख दस हजार करोड़ रुपये की जरुरत है. सरकार ने रेलवे को सिर्फ पांच हजार करोड़ रुपये दिए हैं. ऐसे में सरकार को रेलवे पर भी खर्च करना चाहिए.

खड़गे ने इसे चुनावी ट्रेन करार देते हुए कहा कि गुजरात चुनाव को ध्यान में रखते हुए इसकी शुरुआत की गई है. उन्होंने कहा कि यूपीए सरकार ने दिसंबर 2013 में व्यवहार्यता रिपोर्ट का काम सौंपा था. यह रिपोर्ट अगस्त 2015 में सरकार को मिल गई थी. प्रधानमंत्री ने गुजरात चुनाव में लाभ के लिए इसे जानबूझकर दो साल तक रोके रखा. पूर्व रेल मंत्री खड़गे ने कहा कि पिछले साढ़े तीन साल में प्रधानमंत्री ने खासतौर पर चुनावों के लिए बड़ी परियोजनाओं का इस्तेमाल किया है. पैकेज और परियोजनाओं की घोषणा हर चुनाव के पहले एक परिपाटी बन गई है.

रेल नेटवर्क बेहतर बनाने का प्रयास : मोदी

बुलेट ट्रेन परियोजना के शिलान्यास के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रेलवे में सुरक्षा एवं संरक्षा पर उठ रही चिंताओं पर कहा कि वर्तमान रेल व्यवस्था को सुधारने और आधुनिक तकनीक के जरिये नए रेल नेटवर्क के निर्माण दोनों पर बराबर ध्यान दिया जा रहा है. उन्होंने कहा कि हमने रेलवे ट्रैक, उसके दोहरीकरण और विद्युतीकरण के काम को भी तेजी से आगे बढ़ाया है और पहले से ज्यादा तेज गति से काम हो रहा है, जितना निवेश रेलवे में सरकार कर रही है, उतना इसके पहले कभी नहीं हुआ है.

चार राज्यों में इंडस्ट्रियल टाउनशिप बनेंगी

भारत और जापान के बीच 12वें सालाना शिखर सम्मेलन के बाद गुरुवार को 15 समझौतों का ऐलान हुआ. प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि जापान के सहयोग से चार राज्यों में इंडस्ट्रियल टाउनशिप बनाई जाएंगी. ये राज्य गुजरात, राजस्थान, आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु हैं.

शिखर सम्मेलन के दौरान मोदी और अबे ने कारोबार, सुरक्षा और असैन्य परमाणु ऊर्जा क्षेत्र में सहयोग को और गहरा बनाने पर चर्चा की. मोदी ने कहा कि भारत और जापान के रिश्ते द्विपक्षीय या क्षेत्रीय मसलों तक सीमित नहीं हैं, दोनों देश अंतरराष्ट्रीय विषयों पर भी गहरा सहयोग रखते हैं. दोनों नेताओं ने असैन्य परमाणु ऊर्जा करार को आगे बढ़ाने के लिए कार्यसमूह गठित करने का संकेत दिया है. नवंबर 2016 में इस समझौते पर दस्तखत हुए थे. उन्होंने बताया कि जापान ने साल 2016-17 में भारत में 4.7 अरब डॉलर का निवेश किया, जो पिछले साल की तुलना में 80 फीसदी ज्यादा है.

साझा बयान के अनुसार, दोनों देशों ने व्यापार-वाणिज्य समेत अन्य क्षेत्रों में संरक्षणवाद नीतियों का विरोध करने का फैसला किया. दोनों प्रधानमंत्रियों ने आईएमएफ, विश्व बैंक जैसे मंचों में निष्पक्ष, पारदर्शी और न्यायपूर्ण व्यवस्था कायम करने पर जोर दिया. गौरतलब है कि अमेरिकी सरकार जलवायु परिवर्तन समेत कई वैश्विक समझौतों को दरकिनार कर आगे बढ़ रही है. जापान ने 21 शक्तिशाली देशों वाले एपेक समूह में भारत की सदस्यता का समर्थन किया.

हिंद-प्रशांत महासागर में सहयोग बढ़ेगा

दोनों देशों ने चीन के बढ़ते दखल को देखते हुए हिंद-प्रशांत महासागर क्षेत्र में रणनीतिक संबंधों को और प्रगाढ़ करने का फैसला किया. अबे ने मालाबार त्रिपक्षीय नौसैनिक अभ्यास का हवाला देते हुए कहा है कि जापान-भारत-अमेरिका सहयोग को और मजबूत किया जाएगा. दक्षिण चीन सागर में चीन की दादागीरी देखते हुए दोनों देशों ने हिंद और प्रशांत महासागर में संप्रभुता, स्वतंत्र आवाजाही और अंतरराष्ट्रीय कानूनों का पालन करने का आह्वान किया.

भारत-जापान की दोस्ती चीन को संदेश

भारत और जापान के बीच प्रगाढ़ दोस्ती कूटनीतिक रिश्तों में मजबूती के साथ क्षेत्रीय संतुलन के लिहाज से काफी महत्वपूर्ण साबित होगी. कूटनीतिक मामलों के जानकार जापान से भारत की बढ़ती नजदीकी को सामरिक, रणनीतिक और विकास की साझेदारी में फायदे के रूप में देख रहे हैं.

पूर्व विदेश सचिव शशांक ने कहा कि चीन के साथ उतार-चढ़ाव भरे रिश्तों के बीच जापान का भारत के निकट सहयोगी के रूप में उभरना पूरे एशिया क्षेत्र के लिए बेहतर साबित होगा. इससे क्षेत्र में संतुलन बनेगा. चीन जिस तरह से पूरे क्षेत्र में प्रभाव बढ़ाने का प्रयास कर रहा है, उस हिसाब से भारत और जापान का नजदीकी सहयोग संतुलन साधने का काम करेगा.

ऐसे बनेगा संतुलन

पूर्व विदेश सचिव ने कहा अगर जापान चाबहार परियोजना में भारत के साथ जुड़ता है तो यह मध्य एशिया के लिए भी बहुत अहम होगा. भारत ईरान और अफगानिस्तान के साथ चाबहार बंदरगाह को एक ट्रांजिट हब के रूप में विकसित करने के लिए समझौते पर विचार कर रहा है. इसका एक मकसद पाकिस्तान को किनारे कर मध्य एशिया तक पहुंच बनाना है. चाबहार बंदरगाह के विकास पर भारत 50 करोड़ डॉलर खर्च करने के वादे को पाक के ग्वादर में चीन की बंदरगाह परियोजना से संतुलन साधने की कोशिश के रूप में देखा जा रहा है. कूटनीतिक जानकारों का कहना है कि अगर भारत और जापान अफ्रीका ग्रोथ गलियारे पर कदम आगे बढ़ाते हैं तो यह भी काफी अहम साबित होगा. इसे चीन की वन बेल्ट वन रोड परियोजना का जवाब माना जा रहा है.

सामरिक सहयोग बढ़ेगा

कूटनीतिक विशेषज्ञ भारत और जापान के अलावा अमेरिका के साथ सामरिक गठजोड़ बनाने की कोशिश को भी एक नई शुरुआत के रूप में देख रहे हैं. हालांकि शशांक का कहना है कि भारत अमेरिका के लिए उस तरह से प्रॉक्सी का काम नहीं कर सकता जैसा पाकिस्तान उनके लिए करता रहा है इसलिए हमें इस लिहाज से थोड़ा हटकर देखना होगा.

विमान समझौते की उम्मीद

राजनयिक मामलों के जानकार जापान के साथ 12 शिनमायवा यूएस -2 एम्फीबियस (पानी में चलने और हवा में उड़ने) विमानों के प्रस्तावित सौदे से जुड़ी वार्ताओं पर भी निगाह जमाए हुए हैं. इसके तहत भारत को जापान से 12 विमान खरीदना है और इसके बाद 18 विमान भारत में मेक इन इंडिया तहत देश में बनाए जाने हैं.

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