ऋषि सही कह गए कि स्वर्गनर्क, लोकपरलोक वगैरह सब काल्पनिक बातें हैं जो कुछ भी है इसी जन्म और जिंदगी में है, लिहाजा, खूब कर्ज लो और घी पियो. कोई और माने न माने मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह जरूर चार्वाक को फौलो करते हैं. उन की सरकार ने चालू वित्त वर्ष में तीसरी बार 5 हजार करोड़ रुपए का कर्ज लिया है. इस तरह राज्य पर कुल कर्ज 3 लाख करोड़ रुपए का हो गया है. यानी प्रदेशवासियों की तीन पुश्तें अभी ही गलेगले तक घी की दलदल में डूब चुकी हैं.

चुनावी साल में यह कर्ज भोगविलास के लिए नहीं, बल्कि कथित विकास के लिए लिया जा रहा है. सरकार की नई योजना लाड़ली बहनों को एक हजार रुपए महीने देने की है, हालांकि इस से भाजपा का कोर वोटर भड़का हुआ है कि हमारे टैक्स के पैसों से खैरात मत बांटो. जल्द ही लाड़ली दादी, लाड़ली भाभी, लाड़ली मौसी, लाड़ली चाची, लाड़ली नानी और लाड़ली पत्नी जैसी योजनाएं आ जाएं तो हैरानी नहीं होनी चाहिए. उधो, चुनाव चिह्न न भये दसबीस आजकल विधायकों की संख्या कंपनियों के शेयर सरीखी हो गई है. जिस गुट के पास ज्यादा विधायक होते हैं उसे चुनाव चिह्न दे दिया जाता है जो कि किसी मालिकाना हक से कम नहीं होता. लेकिन शिवसेना के मामले में शेयरों की संख्या नहीं, बल्कि उन का बाजार मूल्य देखा गया और चुनाव चिह्न शिंदे गुट को गिफ्ट कर दिया गया. उद्धव ठाकरे की नजर में चुनाव आयोग बिका हुआ है और नरेंद्र मोदी की तानाशाही चल रही है.

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