इस देश में जो लाखों लोग हिंदू राष्ट्र की मांग कर रहे हैं उन पर भी केस दर्ज होना चाहिए, उन पर भी एनएसए के तहत कार्रवाई होनी चाहिए. अगर उन पर ऐक्शन होगा तो हम भी परिणाम भुगतने को तैयार रहेंगे. वैशाखी के बाद हम अपनी मुहिम को ले कर चर्चा करने वाले हैं. हम देश ही नहीं, पूरी दुनिया को बताएंगे कि हमारे लोगों के साथ कैसा बरताव किया जाता है.’’ 27 मार्च को दिए गए सिखों की सर्वोच्च संस्था अकाल तख्त के जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह के इस बयान के माने और मैसेज दोनों बहुत स्पष्ट थे.

उन्होंने अमृतपाल के एजेंडे से किसी भी किस्म की असहमति या सहमति नहीं जताई. हरप्रीत सिंह जिस तख्त पर बैठे हैं उस की अपनी अलग आन, बान और शान होती है. अगर आप सिख हैं तो अकाल तख्त की अवहेलना और अनदेखी का खयाल आप के दिलोदिमाग में आ ही नहीं सकता, जिन के आता है उन के सच्चे सिख होने में शक जताया जा सकता है. इसी दिन तीखे तेवर दिखाते हरप्रीत सिंह ने यह मांग भी की कि पंजाब के जिन भी नौजवानों को पुलिस ने गिरफ्तार किया है उन्हें तुरंत रिहा किया जाए. अगर पंजाब के नौजवानों को पुलिस ने नहीं छोड़ा तो कोई हिंसक प्रदर्शन तो नहीं होगा लेकिन कूटनीतिक तरीके से उचित जवाब दिया जाएगा. दिलचस्प बात है कि यह न तो धमकी थी और न ही आग्रह था,

जो भी था बेहद तल्ख था जिसे सम झने वाले बिना किसी ज्ञानी के सम झाए सम झ गए और 2 दिनों बाद ही उन 348 सिख नौजवानों को ससम्मान जेल से रिहा कर दिया गया जिन्हें अमृतपाल का साथी यानी खालिस्तानी होने के शक या आरोप में गिरफ्तार किया गया था, मानो पुलिस से कोई भारी भूल हो गई थी जो अब सुधार ली गई है. कुछ को पहले असम शिफ्ट किया जा चुका था. कुछ इसी तरह उन के साथ होता है जो हिंदू राष्ट्र की मांग उठाते हुए बहक कर कुछ अनापशनाप बोल देते हैं. रुख भगवंत मान का इस मांग पर पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान मुंह से तो कुछ नहीं बोले लेकिन राज्य सरकार ने युवकों को रिहा करने के आदेश जारी कर उन की घरवापसी का रास्ता साफ कर दिया.

आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें

डिजिटल

(1 साल)
USD10
 
सब्सक्राइब करें

डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन

(1 साल)
USD79
 
सब्सक्राइब करें
और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...