दिल्ली नगर निगम के उपचुनाव में आम आदमी पार्टी यानी आप का जादू चल गया है. उपचुनाव में आप ने पांच में से चार सीटों पर अपना कब्जा जमा लिया है. एक सीट कांग्रेस के खाते में गयी है और भाजपा के हिस्से शून्य आया है. नगर निगम के पांच वार्ड के लिए 28 फरवरी को उपचुनाव हुए थे. जिसमें आप ने भाजपा की राजनीतिक जमीन हिला दी है. मज़ेदार बात यह है कि दिल्ली निकाय चुनाव का रिजल्ट आने के बाद आप कार्यकर्ता ‘हो गया काम, जय श्री राम’ का नारा लगाते दिखाई दिए, जिससे भाजपाई काफी जलभुन गये.

केजरीवाल की पार्टी के उम्मीदवारों को कल्याणपुरी, रोहिणी-सी, शालीमार बाग (नॉर्थ) और त्रिलोकपुरी में प्रशंसनीय जीत मिली है, जबकि चौहान बांगर सीट कांग्रेस के खाते में गई है. यह चुनाव परिणाम भाजपा के लिए बड़े झटके से कम नहीं है. क्योंकि, ‘आप’ ने उससे शालीमार बाग (नॉर्थ) (महिला सीट) की सीट छीन ली है. यहां पर आम आदमी पार्टी की प्रत्याशी सुनीता मिश्रा ने भाजपा की सुरभी जाजू को 2,705 वोटों से हराया है. अभी दिल्ली की तीनों निगमों पर भारतीय जनता पार्टी का कब्जा है और ऐसे में उपचुनाव में एक सीट भी गंवाना उसके लिए गहरे धक्के की बात है.

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बीते एक हफ्ते में आम आदमी पार्टी के लिए दो राज्यों से भी अच्छी खबर आई है. एक तरफ गुजरात में उसने कांग्रेस की जमीन खिसका दी है तो दूसरी ओर सूरत में वह भाजपा के मुकाबले मुख्य विपक्षी पार्टी के तौर पर उभरी है. दिल्ली और गुजरात के निकाय चुनावों के परिणामों ने आम आदमी पार्टी के नेताओं और कार्यकर्ताओं को अगले साल होने वाले दिल्ली नगर निगम और विभिन्न राज्यों की विधानसभा चुनावों के लिए भरपूर जोश से लबरेज कर दिया है. आप का बढ़ता कद जहाँ भाजपा के लिए खतरे की घंटी है तो वहीँ देश की जनता के सामने कांग्रेस का विकल्प प्रस्तुत कर रहा है.

दिल्ली निकाय में उपचुनाव की जीत से उत्साहित दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा, – ‘पांच में से चार सीटें हमें मिलना बहुत बड़ी जीत है. भाजपा के 15 साल के शासन से दिल्ली की जनता तंग आ चुकी है और चाहती है कि झाड़ू लगाकर भाजपा को नगर निगम से पूरी तरह साफ कर दिया जाए. अगले साल होने वाले नगर निगम चुनावों में भी भाजपा का सूपड़ा साफ होगा.’ वहीँ आप नेता गोपाल राय का कहना है कि – ‘दिल्ली नगर निगम में लंबे समय से भाजपा के पार्षदों द्वारा भ्रष्टाचार किया जा रहा है. भजपा के कब्ज़े वाले निगम ने दिल्ली की जनता को काफी परेशान किया है. एमसीडी में काम करने वाले लोगों को वेतन नहीं मिल रहा है.

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पूरी दिल्ली में गलियों, सड़कों को गंदा कर के रखा गया है. जहां देखो वही भ्रष्टाचार हो रहा है. भाजपा शासित साउथ एमसीडी के पास कर्मचारियों को वेतन देने के लिए पैसे नहीं, फिर भी पार्षदों को एक करोड़ और चेयरमैन, वाइस चेयरमैन को 1.5 करोड़ रुपए फण्ड दिया गया. साउथ एमसीडी ने अपने बजट में पार्षद फण्ड को 50 लाख से बढ़ाकर 1 करोड़ कर दिया है, जबकि चेयरमैन, वाइस चेयरमैन को 50 लाख का अतिरिक्त पैकेज देकर उनका फण्ड 1.5 करोड़ कर दिया है, यह दिल्ली वालों के घाव पर नमक छिड़कने जैसा है. भाजपा को समझ में आ गया है कि एमसीडी में उसके सिर्फ एक साल ही बचे हैं, इसलिए भाजपा अब लूट योजना पर काम कर के एमसीडी को लूटने में लगी है. पिछले 5 साल में जिस तरह से उनका निकम्मापन सामने आया है, जिस तरह निगम के तहत काम करने वाले लोगों की तनख्वाहें कई-कई महीनों से नहीं दी गयी हैं. जिस तरह निगम के स्कूलों में अध्यापक छह-छह महीने बिना तनख्वाह के पढ़ा रहे हैं, उसके बाद यह तो होना ही था. दिल्ली की जनता ने एक बड़ा संदेश दिया है वह भाजपा की करतूतों से उकता चुकी है और दिल्ली नगर निगम में अब बदलाव चाहती है.’

उल्लेखनीय है कि निगम चुनाव के प्रचार के दौरान आम आदमी पार्टी ने साफ-सफाई और फंड का मुद्दा जोर-शोर से उठाया था. इस चुनाव को पार्टी साल 2022 में होने वाले एमसीडी चुनाव से पहले सेमीफाइनल के तौर पर देख रही है.

गुजरात निगम चुनाव में भी ‘आप’ मुख्य विपक्षी दल के तौर पर उभरी है. पिछले हफ्ते ही गुजरात में 6 नगर निगम के चुनाव में आम आदमी पार्टी ने धमाकेदार एंट्री की है. पाटीदारों के दबदबे वाले सूरत नगर निगम में उसने कांग्रेस को मुख्य विपक्षी पार्टी की हैसियत से भी बेदखल कर दिया है और 27 सीटें जीत कर आयी है. यहां कांग्रेस एक भी सीट नहीं जीत पायी है. गुजरात में जिला पंचायतों, नगरपालिकाओं और तालुकाओं के भी चुनाव परिणाम आ चुके हैं और इसमें भी आम आदमी पार्टी ने जो कुल 2,097 उम्मीदवार उतारे थे, उनमें से 42 को कामयाबी मिली है.

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आने वाले चंद महीनों में देश के पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं. ऐसे में निकाय चुनाव के परिणाम के उत्साहित आम आदमी पार्टी ने देश भर में भाजपा से टक्कर लेने का मन बना लिया है. भाजपा सरकार के खिलाफ गोवा में सक्रिय आम आदमी पार्टी को स्थानीय निकाय चुनाव में कुछ कामयाबी मिली है. यहां 2022 में विधानसभा चुनाव होने हैं. पार्टी का वहां अपना पहले से बना बनाया संगठन है और वह पिछला चुनाव लड़ भी चुकी है. उसके निगम पार्षदों ने अब वहां भी दिल्ली की तरह सत्ता में आने पर फ्री सेवाएं देने के वादे करने शुरू कर दिए हैं. उल्लेखनीय है कि दिल्ली में फ्री बिजली-पानी का फायदा हज़ारों गरीब और माध्यम वर्गीय परिवारों को लम्बे समय से मिल रहा है.

गोवा में आम आदमी पार्टी एक ‘वीज आंदोलन’ भी चला रही है. गोवा में आप ने ऐलान किया है कि अगर राज्य में उनकी पार्टी सत्ता में आती है तो 48 घंटे में 200 यूनिट तक बिजली मुफ्त कर देगी. वह वहां पर टैक्सी और रिक्शा ड्राइवरों को भी दिल्ली जैसी फ्री सुविधाएं देने की बात कर रही है. पार्टी दिल्ली में मुफ्त बिजली और पानी के मुद्दे को देश भर में खूब भुना रही है. साथ ही महिलाओं के लिए मुफ्त ट्रांसपोर्ट सेवा की बात कहना भी नहीं भूलती है.

दिल्ली, पंजाब, गोवा और गुजरात के बाद अब आम आदमी पार्टी की नजर उत्तर प्रदेश पर भी जा टिकी है. पार्टी 2022 में उत्तर प्रदेश विधानसभा का चुनाव लड़ने का ऐलान कर चुकी है. यहां वह भारतीय जनता पार्टी को टक्कर देने के लिए किसान आंदोलन को अपना जरिया बनाने की कोशिशों में जुटी है. तीन दिन पहले मेरठ में हुई किसान महापंचायत में पार्टी सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल खुद को किसान का ‘बेटा’ और ‘छोटा भाई’ बता आए हैं. वैसे भी किसान आंदोलन की शुरुआत से ही आम आदमी पार्टी दिल्ली की सीमाओं पर धरने पर बैठे किसानों की जरूरतों को पूरा करने का भरसक प्रयास करती आ रही है. उनके लिए पानी के टैंक भिजवाने, बिजली की व्यवस्था करने, शौचालयों की व्यवस्था करने में उसने बढ़चढ़ कर काम किया है. दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल हर वह मुद्दा उठाने की कोशिश कर रहे हैं जो दिल्ली से सटे पश्चिमी उत्तर प्रदेश के लोगों के दिलों को छू सकता है.

गौरतलब है कि अभी तक देश में दो ही पार्टियों को बड़ी पार्टी के रूप में देखा जाता था – कांग्रेस और भाजपा. लेकिन बीते दस सालों के दौरान तमाम अड़ंगों को झेलते हुए भी आम आदमी पार्टी के कार्यों ने जिस तरह जनता का दिल जीता है, वह भाजपा के सामने कांग्रेस के विकल्प के रूप में देखी जाने लगी है. कांग्रेस अपने पुराने घाघ नेताओं के कारण अब टूट की कगार पर है. अध्यक्ष पद को लेकर जारी खींच तान ने पार्टी का तानाबाना उधेड़ दिया है. ऐसे में अरविन्द केजरीवाल का यह दावा कि भाजपा को वही हरा सकते हैं, हकीकत बन कर जमीन पर उतर आये तो कोई आश्चर्य नहीं है. हाल के कुछ स्थानीय निकाय चुनावों से ही पार्टी का मनोबल काफी ऊंचा हो गया है. आम आदमी पार्टी के विधायक और उम्मीदवार पद यात्रा और डोर टू डोर अभियान के तहत जिस तरह प्रचार में जुटे हैं, पार्टी गुजरात, गोवा और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में कांग्रेस के विकल्प के तौर पर जरूर उभर सकती है.

 

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