जब चाहत की बारिश

मन की बगिया में हुई

खुशबू बिखेरने को

खिल गई एक कली

 

मैं नहीं परेशान

मेरा दिल धड़क रहा

कहना है बहुत कुछ

पर जबान सिल गई

 

तू ऐसी नजरों से

न देख मेहरबां

मुझे है लग रहा

मेरी सांस थम रही

 

किया क्या तू ने

असर हुआ इतना गहरा

जीने की मेरी ख्वाहिशें

कुछ और बढ़ गईं.

 

 – बंदना राय

 

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