Download App

मदाना करीमी करेंगी ‘विवाह पूर्व सेक्स’ मुद्दे पर बात

सोशल मीडिया और इंटरनेट अभिव्यक्ति का बड़ा माध्यम बनता जा रहा है. कई कलाकार अब इंटरनेट के यूट्यूब पर विभिन्न लघु फिल्मों या वेब सीरीज की फिल्मों का हिस्सा बनने को आतुर नजर आ रहे हैं. ऐसी ही कलाकारों में से एक हैं मूलतः ईरानी अभिनेत्री, जो कि ‘बिग बास’ के बाद बौलीवुड से भी जुड़ चुकी हैं. मदाना करीमी ने बौलीवुड की कुछ बोल्ड फिल्मों में बोल्ड किरदार निभाने के बाद अब मदाना करीमी वेब चैट शो ‘‘शादी से पहले सेक्स’’ के विभिन्न पहलुओ पर लंबी बात करने जा रही है.

जी हां! बहुत जल्द एक इंटरनेट आधारित चैनल ‘‘वूट’’ शुरू होने जा रहा है. इस पर एमी पुरस्कार से सम्मानित अंग्रेजी के शो ‘‘फर्न’’ पर आधारित एक बोल्ड चैट शो ‘‘सिंस्कारी’’ प्रसारित होगा, जिसका संचालन आलोकनाथ करने वाले हैं. इस चैट शो में ही मदाना करीमी पहले मेहमान के तौर पर बोल्ड विचार रखने वाली हैं.

खुद मदाना करीमी कहती हैं-‘‘यह एडल्ट शो है. इसमें कई बोल्ड संवाद हैं. पर हो सकता है कि कुछ संवादों पर कैंची चल जाए या उन्हे ‘बीप’ कर दिया जाए. लेकिन इस चैट शो को सेंसरशिप नहीं किया गया है. इसलिए काफी रोचक और प्रयोगात्मक होगा. कुछ लोगों को यह घिनौना भी लग सकता है. मै इस शो का हिस्सा बनने के लिए तैयार हुई, क्योंकि इंटरनेट चैनल ‘वूट’ पर टीवी व फिल्म की तरह सेंसरशिप के नियम लागू नहीं होते हैं. मैने कई आनलाइन शो देखे हैं. ‘सिंस्कारी’ में बैडरूम की हर बात की जाएगी. इस शो में विवाह पूर्व सेक्स को लेकर भी बात होगी.’’

हीबा के माता पिता से पर्ल वी पुरी की मुलाकात

एक ही सीरियल या फिल्म में एक साथ काम करते हुए दो कलाकारों के बीच दोस्ती हो जाना लाजमी है. मगर इनके बीच क्या ऐसी दोस्ती भी हो सकती है कि एक कलाकार अपने माता पिता से अपने दोस्त को मिलवाए. फिर वह दोस्त अपने दोस्त के माता पिता से अकेले में बात करे, वह भी, तब जब इनमें से एक लड़की और दूसरा लड़का हो, पर टीवी इंडस्ट्री  में पिछले दिनों ऐसा ही वाकया हुआ. सूत्रों की माने तो सीरियल ‘‘मेरी सासू मां’’ में हीबा नवाब और पर्ल वी पुरी एक साथ अभिनय कर रहे हैं. सीरियल से जुड़े कलाकारो की माने तो इनके बीच कुछ ज्यादा ही अच्छे संबंध हैं.

मगर पिछले दिनों सीरियल से जुड़ा हर शख्स आश्चर्यचकित रह गया, जब सेट पर हीबा नवाब के माता पिता पहुंच गए. उस वक्त पर्ल वी पुरी पत्रकारों से बातें कर रहे थे. जबकि हीबा नवाब अपने माता पिता से पर्ल को मिलवाने के लिए बुला रही थीं. पर्ल जितना देर कर रहे थे, उतना ही हीबा को गुस्सा भी आ रहा था. अंततः पर्ल ने पत्रकारों से माफी मांगी और हीबा के पास चले गए. हीबा ने पर्ल का परिचय अपने माता पिता से कराया. बात यहीं तक सीमित होती, तो आश्चर्यवाली बात न होती. मगर सूत्र बताते हैं कि हीबा ने पर्ल को अपने माता पिता के साथ बैठाया और खुद शूटिंग करने में व्यस्त हो गयी.

पर्ल वी पुरी करीबन एक घंटे तक मेकअप रूम के अंदर हीबा नवाब के माता पिता के साथ बैठे रहे. अब इनके बीच क्या गुफ्तगूं हुई, किसी को पता नहीं. जब हीबा के  माता पिता वापस जा रहे थे, तो पर्ल वी पुरी उन्हे सेट से बाहर तक छोड़ने भी गए. सीरियल ‘‘मेरी सासू मां’’ के मन मे यह जानने की उत्सुकता है कि पर्ल वी पुरी से हीबा नवाब के माता पिता ने क्या बात की. पर इस मुलाकात व गुफ्तगू को लेकर कुछ कहने की बजाए हीबा व पर्ल ने चुप्पी साध रखी है.

इस मुलाकात के दौरान हुई बातचीत को लेकर ज्यादा कुरेदने पर पर्ल वी पुरी ने कहा-‘‘मसला सिर्फ इतना है कि में व हीबा दोनो एक ही सीरियल में एक साथ अभिनय कर रहे हैं. हमारे बीच अच्छी बांडिंग हो गयी. उस दिन उसने सुबह बताया था कि उसके माता पिता सेट पर आने वाले हैं. तो मैंने यूं ही कह दिया कि मुझे उनसे मिलकर खुशी होगी. इसलिए हीबा ने उनसे मुझे मिलवाया. अब सीरियल की शूटिंगग कितनी हैट्कि होती है, आपको भी पता है. उस वक्त मेरे सीन नहीं थे, जबकि हीबा के सीन थे और शूटिंग में देर हो रही थी, इसलिए उसने मुझे जल्दी बुलाया. मैंने उसके माता पिता के साथ समय बिताया, जिससे वह बोर न हो. आखिर सेट पर हम परिवार की तरह होते हैं. इसके अलावा कोई मसला नही है.’’ अब पर्ल वी पुरी कितना सच बोल रहे हैं,यह तो वही जाने या हो सकता है कि इस मुलाकात का राज आनें वाले समय में उजागर हो

सोशल मीडिया में वायरल हुआ ‘मौका-मौका’ का नया वीडियो

टी-20 विश्वकप का खुमार अपने चरम पर है. टीवी से लेकर सोशल मीडिया के विज्ञापनों में इसकी धूम है. पिछली बार की तरह इस बार भी मौका-मौका सीरीज खूब लोकप्रिय हो रहा है.

वेस्टइंडीज के खिलाफ सेमीफाइनल मुकाबले से पहले टीम इंडिया अपनी तैयारियों में जुटी है. तो दूसरी तरफ मौका मौका का एक और वीडियो काफी लोकप्रिय हो रहा है. वीडियो में एक भेलपुरी वाले और गेल के समर्थक को दिखाया गया है. गेल समर्थक उनकी जमकर तारीफ करता है. लेकिन भेलपुरी वाला यह सब सुनता रहता है.

भेलपुरी वाला तीखी भेलपुरी बनाकर उसे देता है, लेकिन जैसे ही गेल समर्थक उसे खाता है तो काफी तीखा लगता है. तभी भेलपुरी वाला कहता है मुंबई में नो गेल सिर्फ भेल. गौरतलब है कि भारत वेस्टइंडीज के बीच सेमीफाइनल मुकाबला मुंबई के वानखेड़े स्टेडियम में होना है. भारत को टी-20 विश्वकप का प्रबल दावेदार माना जा रहा है.

टी-20 वर्ल्ड कप से बाहर हुए युवराज, मनीष पांडे लेंगे जगह

युवराज सिंह के टखने में खिंचाव के चलते उन्हें टीम से बाहर होना पड़ा है. ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ अहम मुकाबले में युवराज सिंह के टखने में खिंचाव आ गया था जिसके चलते उन्हें काफी मुश्किल उठानी पड़ी थी. युवराज सिंह की जगह पर टीम में मनीष पांडे को जगह दी गयी है. युवराज सिंह के टखने में चोट की वजह साफ नहीं हो सकी है.

टीम इंडिया को 31 मार्च को मुंबई के वानखेड़े के मैदान में वेस्टइंडीज से भिड़ना है. युवराज की जगह टीम में शामिल होने वाले मनीष पांडे आईपीएल में बेहतर खेल के लिए जाने जाते हैं. वह लंबे शॉट खेलने में माहिर हैं. टीम इंडिया के लिए भी मनीष पांडे ने अहम विजयी पारी खेली है.

औडी S6 से भी महंगा कोरियन डोसा

चीन से 1 करोड़ रुपए का कोरियन डोसा भारत लाया गया. सुन कर आप को लग रहा होगा कि भला ऐसा भी क्या खास है इस कोरियन डोसा में जो 1 करोड़ का है. तो आप को बता दें कि यह खाने वाला डोसा नहीं, बल्कि कोरियन डोसा मस्टिफ नस्ल का कुत्ता है, जिस की कीमत औडी S6 और अच्छे खासे स्पेस वाले विला से भी ज्यादा है.

इस नस्ल के कुत्ते की खासियत इस की लटकी हुई बौडी और बड़ीबड़ी आंखें हैं. सूंघने की क्षमता भी बहुत जबरदस्त होती है. उम्र भले ही 7 से 12 वर्ष के बीच हो, लेकिन यह इतना वफादार व स्वभाव से इतना शांत होता है कि हर किसी को इस से प्यार हो जाए. इस के चेहरे की मासूमियत पर हर कोई फिदा हो जाता है. अगर आप को वोडाफोन के ऐड में आने वाला कुत्ता देखा होगा तो आप को यह कोरियन डोसा बिलकुल उस से मिलताजुलता लगेगा.

सतीश एस इस नस्ल के कुत्ते को भारत लाने वाले पहले व्यक्ति हैं. वे बेंगलुरु  में इंडियन डौग ब्रीडर एसोसिएशन के प्रधान हैं. इस समय उन के पास 150 से अधिक एक से बढ़ कर एक नस्ल के कुत्ते हैं. जिन्हें वे कुमबलगोदु स्थित अपने फार्म हाउस पर रखते हैं. उन्हें इस नस्ल के कुत्ते की पिछले 20 वर्षों से तलाश थी जो आज उन के कठिन प्रयासों के कारण पूरी हुई. उन की खुशी का ठिकाना उन के चेहरे को देख कर साफ लगाया जा सकता है.

खेल खेल में करें पढ़ाई

माना की आधुनिक युग इंटरनेट युग है लेकिन जरूरी नहीं की हर काम के लिए इंटरनेट पर निर्भर रहा जाए. खासतौर पर बच्चों की पढ़ाई के लिए. बेशक इंटरनेट के बहुत से फायदे हैं लेकिन नुकसान भी कम नहीं है. आजकल स्कूलों में ऐसेऐसे प्रोजेक्ट वर्क और होमवर्क दिए जाते हैं जिन्हें पूरा करने के लिए बच्चों को इंटरनेट की सहायता लेनी पड़ती है.

कई बार मातापिता जानकारी के अभाव में बच्चों को ही इंटरनेट से प्रोजेक्ट और होमवर्क के लिए सामग्री इकट्ठा करने के लिए छोड़ देते हैं. लेकिन इंटरनेट पर जरूरी सामग्री के अतिरिक्त कई बार बच्चों को अनावश्यक और खराब सामग्री भी मिल जाती है. यह उन पर गलत प्रभाव डालती है. लेकिन सवाल यही उठता है कि क्या, इंटरनेट के अलावा बच्चों की पढ़ाई की सामग्री इकट्ठा करने और उन्हें कोर्स बुक के अतिरक्त नई जानकारियां देने व पढ़ाई को रोचक बनाने का कोईर् विकल्प है  तो जवाब है, हां. टाटा स्काई अभिभावकों की इस परेशानी को अपनी एक्टिव इंग्लिश, एक्टिव वेदिक मैथ्स और एक्टिव फन लर्निंग सर्विसेज से हल कर देता है.

टाटा स्काई की इंटरैक्टिव सर्विसेज में बच्चों को क्लासरूम में दिए जाने वाले सैशन की तरह पढ़ाया जाता है. दूसरे विकल्पों की तरह इसमें सिर्फ कंटेंट उपलब्ध ही नहीं कराया जाता है बल्कि ई टीचर्स की मदद से बच्चों को इंटरैक्टिव एजुकेशन दी जाती है. इन एक्टिव सर्विसेज के कई फायदे हैं. आइए जानते हैं कौन सी एक्टिव सर्विस से आपको और आपके बच्चे को क्या लाभ मिलेगा:

एक्टिव वैदिक मैथ्स सर्विस

अकसर देखा जाता है कि गणित का विषय बच्चों के लिए बोझ बन जाता है. लेकिन यह एक स्कोरिंग सबजेक्ट है. सबसे बड़ी बात तो यह है कि यह एक ऐसा विषय है जो आईआईटी, कैट, मैट, सीए इंट्रैंस, आईएस, पीसीएस, एसएससी जैसे सभी कौंपेटेटिव एग्जाम्स में मैथ्स के बिना काम नहीं चलता और यदि वैदिक मैथ्स में बच्चा माहिर है तो इन एग्जाम्स को पास करना आसान हो जाता है. टाटा स्काई की एक्टिव वैदिक मैथ्स सर्विस बच्चों की इन सभी इंट्रैंस एग्जाम्स को क्लीयर करने में मदद करती हैं. इसलिए गणित सीखने का यह पुराना तरीका बेहद ही फायदेमंद है. बस इसे सही तरीके से कोई सिखाने वाला होना चाहिए और इसलिए एक्टिव वैदिक मैथ्स से अच्छा विकल्प और कोई नहीं हो सकता.

– वैदिक मैथ्स की सबसे बड़ी खासियत है कि यह जल्दी काउंटिंग करना सिखा देती है और अंकगणित और बीजगणित के बड़ेबड़े अंकों को चुटकियों में हल करना भी.

– वैदिक मैथ्स के आने से बच्चों में एकाग्रता और आत्मविश्वास भी बढ़ता है.

– यह मानसिक गणना को प्रोत्साहित करती है.

– इससे बच्चों में गणित एक कठिन विषय है जैसा जो भ्रम होता है, वह भी दूर हो जाता है.

एक्टिव इंग्लिश सर्विस

अंग्रेजी एक इंटरनैशनल लैंग्वेज है. इसलिए आज के समय में इस भाषा का ज्ञान सभी के लिए आवश्यक है. फिर चाहे बच्चे हों या बूड़े. खासतौर पर जो माताएं अपने बच्चों को स्वयं पढ़ाती हैं उनके लिए इस भाषा की जानकारी अतिआवश्यक है. और इसमें उनकी मदद करती है एक्टिव इंग्लिश सर्विस. इस सर्विस द्वारा अंग्रेजी की बेसिक जानकारी और जरूरी पाठ पढ़ाए जाते हैं.

यह पाठ बच्चों के साथ उनकी माताओं को भी लाभ पहुंचाते हैं. दरअसल कई माताएं अंग्रेजी न आने की वजह से अपने बच्चों के स्कूल पीटीए मीटिंग्स, कोचिंग यहां तक की सोसाइटी में अंग्रेजी बोलने वाले लोगों से बात करने में हिचकती हैं. लेकिन यह एक्टिव सर्विस महिलाओं को अंग्रेजी समझने और बोलने दोनों में मदद करती है और उनके आत्मविश्वास को बढ़ाती है. इस का एक फायदा यह भी है कि यदि आप बच्चों के साथ बैठ कर इस एक्टिव सर्विस का हिस्सा बनेंगे तो वे और भी एकाग्रता के साथ इंटरैक्टिव क्लास का लुत्फ उठा सकेंगे. इस सर्विस में बताए गए पाठ से बच्चों को उनके कोर्स के अतिरिक्त भी बहुत कुछ सीखने को मिलेगा.

एक्टिव फन लर्निंग सर्विस

एक्टिव फन लर्निंग सर्विस टाटा स्काई की सबसे पुरानी सर्विस है. मगर वक्त के साथ इसमें काफी बदलाव किए गए हैं. 1 से 10 साल के बच्चों को पढ़ने के लिए प्रोत्साहित करने का सबसे अच्छा विकल्प है  टाटा स्काई की एक्टिव फन लर्निंग सर्विस. सबसे बड़ी बात तो यह है कि इस सर्विस की मदद से बच्चे खेलखेल में ही बहुत कुछ सीख जाएंगे और इससे उनके कोर्स को पूरा करने में भी मदद मिलेगी. इस सर्विस में एंट्री करने के भी 2 विकल्प हैं. एक छोटे बच्चों के लिए और दूसरा बड़े बच्चों के लिए. इस सर्विस द्वारा बच्चों को आर्ट एंड क्राफ्ट की जानकारी दी जाएगी और छोटी छोटी वस्तुओं को बनाना सिखाया जाएगा जो उनकी रोजाना की जिंदगी में फायदेमंद साबित होगा. साथ ही इसमें कई तरह की हिंदी और अंग्रेजी राइम्स भी मौजूद हैं.

क्या आपने देखी धोनी की बेटी के साथ कोहली की ये तस्वीर

टी20 वर्ल्ड कप में टीम इंडिया का मुकाबला वेस्टइंडीज के साथ होना है. सेमीफाइनल से पहले टीम इंडिया ने खूब मस्ती की. मुंबई में सेलिब्रेट की गई इस पार्टी में जीवा ने भी पापा धोनी के साथ खूब वक्त बिताया और जमकर मस्ती की.

ऐसा नहीं है कि सिर्फ धोनी ने बेटी जीवा के साथ मस्ती की. क्यूट जीवा के साथ मस्ती करने में स्टार बल्लेबाज विराट कोहली भी पीछे नहीं रहे. विराट ने अपने फेसबुक पेज पर बेबी धोनी के साथ अपनी सेल्फी पोस्ट की है और लिखा विद बेबी धोनी. कोहली ने लिखा है वह भी सुंदर और मनमोहक है.

वहीं वेस्टइंडीज के ऑल राउंडर क्रिकेटर ब्रावो ने भी जीवा की तस्वीर ट्विटर पर पोस्ट किया है. आपको बता दें कि टीम इंडिया का मुकाबला सेमीफाइनल में वेस्टइंडीज के साथ होना है. ऑस्ट्रेलिया के साथ शानदार तरीके से मैच जीतने के बाद टीम इंडिया का मनोबल काफी ऊंचा है. ऐसे में कल की रुकावट पार करने के बाद टीम इंडिया फाइनल तक पहुंच जाएगी.

जब महिला हो ड्राइविंग सीट पर

‘‘करीब 50 वर्षीय उस व्यक्ति ने जब मेरी बाइक के पास से अपनी कार निकाली और फिर अपनी विंडो का ग्लास नीचे किया तो मुझे उस का गुस्से वाला चेहरा साफसाफ दिखाई दिया. मुझे उस के द्वारा कहे जा रहे अपशब्द भी साफ सुनाई दे रहे थे. फिर अचानक वह मेरे नजदीक आया और गुस्से से ऊंचे स्वर में बोला कि यू बिच, रुक जाओ वरना मैं तुम्हें बहुत मारूंगा.

‘‘मैं ने अपनी बाइक रोकी और कहा कि ठीक है शुरू हो जाओ, पर जो भी करना है जल्दी करो. मुझे काम पर जाना है. फिर जैसे ही मैं ने अपना हैलमेट उतार कर अपने लंबे बालों को लहराया तो मुझे देख कर उस के होश उड़ गए. उस समय उस का चेहरा देखने लायक था. फिर बिना एक पल रुके मेरी नजरों से वह ओझलहो गया.’’

यह आपबीती न्यूयौर्क के प्रोफैशनल बीएमएक्स रेसर और औटो जर्नलिस्ट जैक बरुथ की है. जैक बरुथ कहते हैं कि जब से उन्होंने अपने बालों को लड़कियों की तरह लंबा रखना शुरू किया तब से जाना कि कैसे अमेरिकी सड़कों पर कायर रोड रेजर्स महिलाओं की बुलिंग करते हैं. इस घटना में जैक बरुथ के लंबे बालों को देख कर उस कार ड्राइवर को उन के महिला होने का मुगालता हो गया था, इसलिए उस ने जैक बरुथ के साथ दुर्व्यवहार किया था.

जैक बरुथ कहते हैं, ‘‘मेरे साथ ऐसी घटनाएं कई बार घटित हो चुकी हैं, जब सड़क पर मुझे महिला समझ कर मेरे साथ दुर्व्यवहार हुआ है. हालांकि मेरे लंबे बालों को देख कर अगर किसी को मेरे महिला होने का धोखा होता है तो यह उस की गलती है, क्योंकि मैं 6 फुट 2 इंच लंबा और करीब 109 किलोग्राम वजन का बांका जवान हूं.’’

आगे वे कहते हैं, ‘‘दरअसल, होता यह है कि जब मैं सड़क पर पुरुष ड्राइवरों को परेशान करने के लिए उन के सामने से लेन चेंज करते हुए उन्हें ओवरटेक करता हूं तो पीछे से मेरे लंबे बालों को देख कर वे बरदाश्त नहीं कर पाते कि एक महिला भला इतनी अच्छी ड्राइविंग कैसे कर सकती है और फिर वे मेरा पीछा करते हैं, हौकिंग करते हैं, मेरा ध्यान बंटाने की कोशिश करते हैं. लेकिन जैसे ही मैं अपना हैलमेट उतारता हूं और वे अपने सामने एक पुरुष को देखते हैं तो डर कर बिना कुछ कहे आगे निकल जाते हैं जैसे कुछ हुआ ही नहीं हो.

‘‘अमेरिकी सड़कों पर महिलाओं के साथ बुलिंग की एक और घटना मैं आप के साथ शेयर करना चाहता हूं. एक बार मैं अपने औफिस की पार्किंग से अपनी गाड़ी निकालने की कोशिश कर रहा था. मेरी गाड़ी तीसरे नंबर पर थी. मेरे आगे की गाड़ी में एक महिला ड्राइवर और उस के आगे एक पुरुष ड्राइवर अपनी गाड़ी में था. पुरुष ड्राइवर पर्याप्त जगह होने के बावजूद अपनी गाड़ी निकाल नहीं पा रहा था. मैं परेशान हो कर हौर्न बजा रहा था. तभी मैं ने देखा कि वह पुरुष ड्राइवर बाहर निकला और पिछली कार में बैठी महिला ड्राइवर की कार की खिड़की को गुस्से से जोरजोर से पीटना शुरू कर दिया. तभी मैं अपनी गाड़ी से बाहर निकला और उसे समझाया कि हौर्न मैं बजा रहा था न कि यह महिला. मुझे समझ नहीं आता कैसे कुछ पुरुष ट्रैफिक जोन का फायदा उठा कर महिलाओं को परेशान करते हैं और उन्हें डरातेधमकाते हैं.’’

जैक बरुथ का कहना है, ‘‘मैं कोई सामाजिक न्याय की लड़ाई लड़ने वाला क्रांतिकारी नहीं हूं, लेकिन अपने लंबे बालों की वजह से जो मैं ने देखा और महसूस किया उस का खंडन नहीं किया जा सकता कि कैसे अमेरिकी सड़कों पर भी पुरुषों की अपेक्षा महिलाएं रोजरोज अपशब्दों की मार का शिकार होती हैं. मेरे दोस्त मुझे कहते हैं कि मैं अपने बाल छोटे करवा लूं और अपना गर्ली हैलमेट बदल लूं, लेकिन मैं ऐसा हरगिज नहीं करने वाला हूं सिर्फ इसलिए कि मैं महिलाओं के साथ होने वाले बर्ताव और विद्वेष से बच सकूं, बल्कि मैं तो चाहूंगा कि मेरे लंबे बालों की वजह से जो मेरे साथ घटित होता है उस से पुरुष एक सबक लें और महिलाओं के प्रति अपना व्यवहार बदलें, उन्हें सम्मान दें.’’

भारतीय सड़कों पर महिलाओं की स्थिति

अगर भारतीय सड़कों पर महिला ड्राइवरों के साथ होने वाले व्यवहार की बात की जाए तो यहां भी हालात अमेरिका से कुछ इतर नहीं हैं. भारत जैसे पुरुषप्रधान देश में पहले महिलाएं घर की जिम्मेदारियां संभालती थीं और पुरुष के हाथों में स्टेयरिंग होता था. लेकिन अब समय बदल गया है. महिलाएं घर और बाहर दोनों जिम्मेदारियां उठाने लगीं, तो उन्हेें स्टेयरिंग संभालने का भी अवसर मिला. लेकिन महिला ड्राइवरों को देख कर पुरुषों को उन की यह आजादी पची नहीं और आज भी जब वे किसी महिला ड्राइवर को ड्राइव करते देखते हैं तो उन से बरदाश्त नहीं होता और उन के मुंह से एक ही बात निकलती है कि पता नहीं क्यों दे देते हैं इन्हें गाड़ी चलाने को  अगर वह धीरे गाड़ी चला रही है तो कहेंगे कि अच्छा अभी नईनई सीखी है और अगर वह कौन्फिडैंटली स्पीड में गाड़ी चलाए तो उस का पीछा कर के उसे ओवरटेक करने की कोशिश करते हैं, उस के साथ रेस लगाते हैं.

जरूरत सोच बदलने की

40 वर्षीय आकृति बंसल जो कालेज टाइम से ड्राइविंग कर रही हैं और परफैक्ट ड्राइविंग करती हैं, का इस बारे में कहना है, ‘‘सड़कों पर महिला ड्राइवरों के प्रति पुरुषों का रवैया बहुत खराब होता है. वे हमेशा महिला ड्राइवरों का ध्यान बंटाने की कोशिश करते हैं. अगर पुरुष ड्राइवर उन के साथ रेस लगा रहे हों और उन्हें अपनी स्पीड कम कर के आगे बढ़ने दे दिया जाए तो वे खुश हो कर इसे अपनी जीत समझते हैं. कई पुरुष तो महिला ड्राइवर को ड्राइविंग सीट पर देख कर उस का फोटो खींचने लगते हैं. इस के पीछे उन की मंशा महिला को ड्राइविंग सीट पर देख कर हैरान या तारीफ करने के बजाय उसे विचलित करने की होती है. उन के इस चाइल्डिश व्यवहार पर हंसी आती है. ड्राइव करती महिला कोई अजूबा नहीं है. वह भी आप ही की तरह है. ऐसे में उस का हौसला बढ़ाने के बजाय अंडरएस्टिमेट करने की कोशिश उन के छोटेपन को दर्शाती है. जरूरत है कि पुरुष महिला ड्राइवरों के प्रति अपनी सोच में बदलाव लाएं और उन्हें कमतर न समझें.’’

सड़कों पर झेले जाने वाले झटके

सलाम है उन लड़कियों और महिलाओं को जो पुरुषों की बुलिंग के बाद भी सक्षमता से सड़कों पर ड्राइविंग कर रही हैं. पुरुषों को महिलाओं का ड्राइविंग करते देखना बरदाश्त नहीं होता. महिलाओं के आत्मविश्वास को कम करने के लिए वे सड़कों पर ऐसी हरकतें करते हैं, जो महिला ड्राइवरों के लिए किसी झटके से कम नहीं होतीं.

आइए, जानते हैं भारतीय सड़कों पर पुरुषों द्वारा महिला ड्राइवरों के साथ किए जाने वाले आम दुर्व्यवहार के कुछ नजारे:

– अगर कोई महिला ड्राइवर पुरुष ड्राइवर की गाड़ी को ओवरटेक कर ले तो उस के अहम को ठेस पहुंचती है और वह भिन्नभिन्न तरीकों से महिला ड्राइवर के मन में घबराहट पैदा करने की कोशिश करता है. मसलन, वह ओवरटेक करता है, बिना सिग्नल दिए मुड़ जाता है, भले ही इस में उस की जान को भी खतरा क्यों न हो. लेकिन महिला ड्राइवर के मन में घबराहट पैदा करने में उसे मजा आता है और वह उसे अपनी जीत समझता है.

– अगर कोई महिला एक बार में पार्किंग में गाड़ी पार्क कर दे तो पुरुष उसे ऐसे घूरते हैं कि उस ने इतनी आसानी से गाड़ी कैसे पार्क कर दी. यहां भी वे महिलाओं को कम आंकते हैं. महिलाओं का परफैक्ट ड्राइव करना उन्हें पचता नहीं.

– अगर कोई महिला ड्राइवर पुरुष की गाड़ी को ओवरटेक कर दे तो यह उस के लिए प्रैस्टिज इश्यू बन जाता है और वह स्पीड बढ़ा कर महिला ड्राइवर को जरूर ओवरटेक करता है. जब कोई महिला लेन चेंज करती है, तो उसे जज करते हैं और सभी पुरुष ड्राइवर उस की तरफ हैरानी से देखते हैं जैसे उस की काबीलियत पर भरोसा न हो.

– अगर कोई महिला ड्राइवर गाड़ी को पार्किंग में लगा रही होती हो तो पुरुष उस की मदद के लिए आ जाते हैं. उन्हें लगता है कि यह काम उस के बस का नहीं. वे उसे दिशानिर्देश देने लगते हैं. अगर महिला जाल में फंस जाए तो सुनने को मिल जाएगा कि आप से नहीं होगा, मैं कर देता हूं.

– कुछ पुरुष तो बस इस मौके की तलाश में रहते हैं कि महिला ड्राइवर कोई गलती करे और उन्हें उस का मजाक उड़ाने का मौका मिले.

– कुछ सड़कछाप तो पीछा करने तक से बाज नहीं आते. इस चक्कर में भले ही वे अपना रास्ता भूल जाएं.

– कुछ पुरुष ड्राइवर सड़क पर साथ चलती महिला ड्राइवर को देख कर उस की गाड़ी के पास अपनी गाड़ी ला कर विंडो से कमैंट पास करने से भी बाज नहीं आते, तो कुछ पुरुष अपना म्यूजिक सिस्टम हाई वौल्यूम पर कर के महिला ड्राइवर का ध्यान बंटाने की कोशिश करते हैं.

– कुछ पुरुष सड़क पर यह तय नहीं कर पाते कि उन्हें महिला ड्राइवर का पीछा करना है या ओवरटेक, बस वे अपनी गाड़ी उस की गाड़ी के पीछे रखते हैं और लगातार डिपर मारते रहते हैं और दिन हो तो हौकिंग कर के परेशान करते हैं.            

सुरक्षित ड्राइवर

हाल ही में न्यू साउथ वेल्स ट्रांसपोर्ट और रोड सेफ्टी यूनिट द्वारा हुई रिसर्च में यह बात सामने आई है कि महिला ड्राइवर अधिक सुरक्षित ड्राइविंग करती हैं. यातायात के नियमों का पालन करती हैं. कम ओवरटेक करती हैं. पुरुषों की तरह तेज स्पीड में गाड़ी नहीं चलातीं. सीट बैल्ट और हैलमेट पहनने में भी महिलाएं पुरुषों से आगे हैं. वे पूरी सतर्कता के साथ

महिलाओं की ड्राइविंग पर जोक्स

मैं लड़कियों की ड्राइविंग के हरगिज खिलाफ नहीं, लेकिन ऐक्सीडैंट के समय ब्रेक मारने की जगह चीख मारना, यह कहां का इंसाफ है

डाक्टर: जब तुम्हें पता था कि कार एक लड़की चला रही है तो तुम्हें सड़क से दूर चलना चाहिए था.

मरीज: कौन सी सड़क, डाक्टर साहब  मैं तो बाग में बैठा भुट्टा खा रहा था.

जब बहकने लगें इनके कदम

पुलिस की 25 साल से भी ज्यादा नौकरी कर चुके 59 साला सबइंस्पैक्टर मोहन सक्सेना को मध्य प्रदेश के मालवा इलाके के शहर शाजापुर में हर कोई जानता था. इस की एकलौती वजह यह नहीं थी कि वे पुलिस महकमे में थे और वरदी पहन कर शहर में निकलते थे, तो लोग इज्जत से सिर झुका कर उन्हें सलाम ठोंकते थे. दूसरी वजह थी उन का एक इज्जतदार कायस्थ घराने से होना. तीसरी अहम वजह जो बीते 2 साल में पैदा हुई थी, वह उन की बहू मालती (बदला नाम) थी, जिस के बारे में हर कोई जानता था कि वह ड्राइवर अंकित चौरसिया से अकसर चोरीछिपे मिला करती थी.

दुनियाभर के लोगों को सही रास्ते पर आने की नसीहत देने वाले दारोगाजी खुद अपनी बहू के बहकते कदम नहीं संभाल पा रहे थे. खून तो खूब खौलता था, लेकिन क्या करें यह उन की समझ में नहीं आ रहा था.

यों बहकी बहू

24 साला अंकित चौरसिया पेशे से ड्राइवर था, जो फिलहाल शाजापुर की ही एक मालदार व इज्जतदार औरत निर्मला गौर की कार चला रहा था. गोराचिट्टा खूबसूरत बांका अंकित खुशमिजाज और बातूनी था. जल्दी ही वह घर के सभी लोगों से घुलमिल गया था. इस के पहले वह मोहन सक्सेना की कार चलाता था. लेकिन 25 साला बहू मालती ड्राइवर अंकित चौरसिया से जरूरत से ज्यादा घुलमिल गई थी. शुरू में तो किसी ने इस बात पर गौर नहीं किया, लेकिन जल्दी ही वे दोनों चोरीछिपे मिलनेजुलने लगे और उन के प्यार की सुगबुगाहट दारोगाजी के कानों में पड़ी, तो उन्होंने तुरंत अंकित को नौकरी से निकाल दिया और आइंदा मालती से दूर रहने की धमकी दे डाली. यह नसीहत और धौंस बेकार साबित हुई. अंकित की नौकरी छूटी थी, महबूबा नहीं. लिहाजा, वह मोहन सक्सेना और नितिन की परवाह किए बिना मालती से मिलता रहा.

और एक दिन…

बदनामी का पानी तो काफी पहले ही सिर से गुजर चुका था, पर अब इतना लबालब भर गया था कि मोहन सक्सेना को सांस लेना भी मुहाल हो चला था. लिहाजा, उन्होंने नए साल की शुरुआत में कसम खा ली थी कि अगर अंकित सीधे बात नहीं मानता है, तो उसे सबक सिखाने के लिए जो भी रास्ता अख्तियार करना पड़े वे करेंगे. जब किसी भी तरह मानमनोव्वल और धौंस के अलावा तंत्रमंत्र से भी बात नहीं बनी, तो मोहन सक्सेना का अक्ल और सब्र से नाता टूट गया. लेकिन इस बाबत उन्होंने जो रास्ता चुना, वह बेहद खतरनाक था.

झमेला तंत्रमंत्र का

संजय व्यास जैसे तांत्रिकों की छोटे शहरों में बड़ी धाक और पूछपरख रहती है, जिन के बारे में यह मशहूर रहा है कि उन के नीबू काटने की देर भर है,  अच्छेअच्छे रास्ते पर आ जाते हैं. इस मामले में एक बात बड़ी दिलचस्प रही कि मोहन सक्सेना और नितिन तो इस तांत्रिक के चक्कर काट ही रहे थे, लेकिन इस बात से अनजान अंकित भी उस के फेर में आ गया था, जिस की परेशानी यह थी कि मालती उस के वश में पूरी तरह नहीं आ रही थी. वह उसे पसंद तो करती थी, पर शादी करने के लिए राजी नहीं हो रही थी. कुछ दिन तो मजे ले कर संजय व्यास ने उन दोनों से पैसा झटका, पर अंकित गरीब था, इसलिए अनुष्ठानों के नाम पर ज्यादा चढ़ावा नहीं दे पा रहा था. इसी बीच काम हो जाने के लिए लगातार दबाव बना रहे मोहन सक्सेना को वह यह समझा पाने में कामयाब हो गया कि बहू के ऊपर कोई बड़ी बला है, इसलिए अंकित को रास्ते से हटाने का एकलौता उपाय उसे इस दुनिया से ही उठा देना है.

योजना के मुताबिक, संजय व्यास ने अंकित को यह झांसा दिया कि मालती हमेशा के लिए उस के वश में हो सकती है, लेकिन इस के लिए एक खास किस्म का अनुष्ठान करना पड़ेगा. उम्मीद के मुताबिक, मालती के लिए पगलाया अंकित पूजा कराने को तुरंत तैयार हो गया. संजय ने उसे बताया था कि यह खास किस्म की तांत्रिक क्रिया दूर किसी सुनसान सिद्ध जगह पर करनी पड़ेगी. इस पर अंकित ने एतराज नहीं जताया, न ही कोई सवाल किया. 17 जनवरी, 2016 की सुबह अंकित अपनी मालकिन निर्मला गौर के पास गया और उज्जैन जाने के लिए उन की कार मांगी. उस ने बहाना यह बनाया कि वह कुछ दोस्तों के साथ महाकाल मंदिर के दर्शन करने जाना चाहता है. उस की बात पर निर्मला गौर को कोई शक नहीं हुआ, इसलिए उन्होंने अपनी कार उसे दे दी.

दोस्त तो नहीं, पर अपने कातिलों में से एक संजय व्यास को उस ने कार में बैठाया और बजाय उज्जैन जाने के तांत्रिक के बताए रास्ते पर गाड़ी दौड़ा दी. बैरसिया तहसील के पास भोजपुरा के घने जंगलों में संजय व्यास ने कार रुकवाई और कहा कि यहीं पूजा होगी. उधर पहले से ही बनाई योजना के मुताबिक, मोहन सक्सेना और नितिन बैरसिया होते हुए भोजपुरा पहुंच गए थे. एक सुनसान जगह को तांत्रिक क्रियाओं के लिए मशहूर बताते हुए संजय व्यास ने अंकित को पूजापाठ के लिए बैठाया. कुछ देर ऊलजलूल क्रियाएं करने के बाद तांत्रिक ने उसे आंखें बंद करने को कहा, तो अंकित ने तुरंत उस के हुक्म की तामील की. अंकित ने जैसे ही अपनी आंखें बंद कीं, तभी पीछे से मोहन सक्सेना और नितिन आ गए. अंकित ने आहट पा कर जैसे ही आंखें खोलीं, तो उन दोनों ने उस की आंखों में पिसी लाल मिर्च झोंक दी. तिलमिलाया अंकित समझ तो गया कि उस के साथ धोखा हुआ है, लेकिन कुछ कर पाता इस के पहले ही उन तीनों ने लोहे की छड़ उस के सिर पर दे मारी. कहीं वह जिंदा न बच जाए, इसलिए वहशी हो गए मोहन सक्सेना, नितिन और संजय ने उस पर पत्थरों से भी हमले किए. जब उस के मरने की तसल्ली हो गई, तो वे तीनों वहां से फरार हो गए.

यों पकड़े गए

17 जनवरी, 2016 की ही दोपहर को बैरसिया पुलिस को एक नौजवान की लाश जंगल में पड़ी होने की खबर मिली, तो लाश बरामद कर कातिलों को ढूंढ़ने का काम शुरू हो गया. हत्या की जगह से कुछ दूर ही खड़ी कार की पड़ताल से पता चला कि यह कार तो शाजापुर की निर्मला गौर नाम की औरत की है. जब उन से पुलिस ने पूछताछ की, तो उन्होंने तुरंत बता दिया कि उन का ड्राइवर अंकित उन से उज्जैन जाने की कह कर कार ले गया था. बैरसिया कैसे पहुंच गया, यह उन्हें नहीं मालूम. इधर मोहन सक्सेना इंदौर होते हुए शाजापुर लौट आए और थाने में शिकायत दर्ज करा दी. उन तीनों ने होशियारी दिखाते हुए मोबाइल फोन साथ नहीं रखे थे, क्योंकि इस से तुरंत लोकेशन पता चल जाती. लेकिन बैरसिया के पैट्रोल पंप पर अंकित ने कार में पैट्रोल डलवाया था. वहां के मुलाजिमों ने कार में संजय व्यास के होने की शिनाख्त की, तो पुलिस वालों के पास अब कहने और करने को ज्यादा कुछ नहीं रह गया था.

हत्या के जुर्म में गिरफ्तार होते ही संजय व्यास तमाम तंत्रमंत्र भूल गया और सारी बात सच उगल दी. जल्दी ही मोहन सक्सेना और नितिन को भी गिरफ्तार कर लिया गया. पूछताछ में मोहन सक्सेना ने अपने ही महकमे के मुलाजिमों को गुमराह करने की कोशिश की, लेकिन कहानी में दम नहीं रह गया था, इसलिए उन्होंने भी अपना जुर्म कबूल कर लिया.

क्या करें घर वाले

जैसे ही बहू, बेटी या घर की दूसरी किसी औरत के बाहरी मर्द से संबंध पकड़े जाते हैं या बदनामी की वजह बनने लगते हैं, तो घर वालों को समझ नहीं आता कि ऐसा क्या करें कि सांप भी मर जाए और लाठी भी न टूटे. बहकी औरत अगर बहू है, तो ज्यादा रोकने या मारपीट करने पर दहेज का मुकदमा दर्ज कराने की धौंस देती है यानी ससुराल वालों की बेबसी का पूरा फायदा उठाती है और वहीं रह कर उन के सामने ही गलत रास्ते पर चलते रहना चाहती है, क्योंकि यह महफूज रहता है. अगर वह औरत बेटी है, तो डर उस के भागने या पेट से होने का बना रहता है. तीसरा बड़ा डर खुदकुशी कर लेने का होता है, जिस की धौंस पराए मर्द की मुहब्बत में पड़ चुकी औरत अकसर देती भी रहती है. जिस्मानी और जज्बाती तौर पर दूसरे की गिरफ्त में आ चुकी औरत किसी का कहना नहीं मानती और न ही उसे घर की इज्जत और समाज के कायदेकानूनों के अलावा नातेरिश्तों से कोई वास्ता रहता. बात उस समय और बिगड़ती है, जब उस का आशिक भी हौसले दिखाने लगता है. दोनों ही अपने मांबाप और दुनियाजहान के बारे में नहीं सोचते, तो साफ है कि उन्हें समझाने या रोकनेटोकने से कोई फायदा नहीं होता.

इसलिए बेहतर यही है कि जब औरत के कदम बहकने लगे और तमाम नसीहतों के बाद भी वह न माने तो बजाय जुर्म का रास्ता चुनने के उसे अपनी मरजी से जीने दिया जाना चाहिए. इज्जत और समाज की बात इसलिए माने नहीं रखती कि कोई इश्क कभी छिपता नहीं, बल्कि जितना छिपाया जाए उलटे ज्यादा ही विस्फोटक तरीके से दुनिया के सामने आता है. समझाने पर न माने जैसा कि ऐसे मामलों में अकसर होता है, तो कानूनी लिखापढ़ी कर औरत को उस के आशिक के साथ जाने दे कर अपना पिंड छुड़ा लेना एक बेहतर रास्ता है.

हालांकि इस में जगहंसाई भी होगी, पर वैसी और उतनी खतरनाक नुकसानदेह नहीं होगी, जैसी मोहन सक्सेना के मामले में हुई.

औरतें भी समझें हकीकत

पराए मर्द के प्यार में जिन औरतों के पैर संभाले नहीं संभलते हों, उन्हें इस मामले से सबक लेना चाहिए कि जो मर्द उन्हें ब्याह कर लाया है, उस में कोई कमी या कमजोरी हो सकती है, पर उस का यह मतलब कतई नहीं कि उस से इस तरह बदला लिया जाए. दूसरा, यह भी सोचसमझ लेना चाहिए कि ऐसे रिश्तों की उम्र ज्यादा नहीं होती और न ही अंजाम हमेशा अच्छा होता है. इस के अलावा दूसरा मर्द यानी आशिक वफादार ही होगा, इस की कोई गारंटी नहीं होती. कई मामलों से साफ हो चुका है कि वह जिस्म से खेलता है, पैसे ऐंठता है और जोर डालने पर बीच भंवर में छोड़ कर भाग भी जाता है. ऐसी औरत कहीं की नहीं रह पाती.

ऐसे ताल्लुकों से किसी को कुछ हासिल नहीं होता, सिवाय तांत्रिकों के, जो दोनों पार्टियों से पैसा ऐंठते हैं और फिर बात न बनने पर कत्ल जैसे संगीन जुर्म के लिए उकसाते हैं और ज्यादा पैसों के लालच में उस में साथ भी देते हैं. अगर वे नहीं पकड़े जाते तो तय है कि तांत्रिक संजय व्यास जिंदगीभर सक्सेना परिवार को ब्लैकमेल कर उन से रकम ऐंठता रहता. सब से बड़ा तनाव झेलने वाले घर वालों को चाहिए कि वे चार लोगों को बैठा कर सारा सच खुद उगलें और औरत को भी साथ बैठा लें, जिस से वह कोई झूठ न बोल सके और न ही गलत इलजाम लगा सके. इस से बदनामी जो आज नहीं तो कल होती जरूर होगी, लेकिन जिंदगी बची रहेगी और औरत की गलती भी सामने आ जाएगी.                      

क्यों बहकती हैं औरतें

* पति से जिस्मानी सुख न मिल पाना और शर्म के मारे इस की बात किसी से न कर पाना.

* ससुराल वालों खासतौर से पति से जज्बाती लगाव का पैदा न हो पाना.

* कम उम्र में ही पराए मर्दों से घुलनेमिलने या सैक्स की आदत पड़ जाना.

* घर या ससुराल में बंदिशों का ज्यादा होना और रोजरोज कलह होना.

* दिलफेंक, खूबसूरत जवां मर्दों पर दिल आ जाना, उन की लच्छेदार बातों में फंस जाना, फिर छुटकारा पाने की कोशिश में और उस के जाल में और फंसते जाना.

* पति से समय न मिलना.

* पति का उम्मीद के मुताबिक रोमांटिक न हो पाना.

* इस बात का फायदा उठाना कि ससुराल या घर वाले तो इज्जत के लिए खामोश रहेंगे.

* घर में मन न लगना और हमेशा रोमांटिक और सैक्सी खयालों में डूबे रहना.

‘भारत माता की जय’ पर भागवत का यू-टर्न

भारत माता की जय बोलने को लेकर राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ और भारतीय जनता पार्टी के नेताओं सहित अन्य संगठनों ने जिस तरह से देश में एक महौल बनाया उसका विरोध भी शुरू हो गया. औल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुसलमिन यानि एआईएमआईएम के प्रमुख सांसद असुदुद्दीन ओवैसी ने कहा था कि कोई मेरी गरदन पर छुरा रख दे, तो भी मैं भारत माता की जय नहीं बोलूंगा. ओवैसी ने संविधान का हवाला देते हुए तर्क दिया कि संविधान में भी कहीं भारत माता की जय बोलने को नहीं कहा गया है. ओवैसी ने भारत माता की जय की जगह पर जय हिंद के नारे लगाने का समर्थन किया. पूरे देश में एक तरह की बहस छिड गई. जिसमें भारत माता की जय बोलने और न बोलने को लेकर विवाद हो गया. लखनऊ में किसान संघ के के नवनिर्मित भवन का लोकापर्ण करने आये राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ के सरसंघ चालक मोहन भागवत ने साफ कहा ‘भारत माता की जय को किसी पर थोपने की जरूरत नहीं है. हमें अपने आदर्शो से ऐसे भारत का निर्माण करना है कि लोग खुद भारत माता की जय बोलने लगे’. इसे संघ प्रमुख के यू-टर्न के रूप में देखा जा रहा है.

दरअसल संघ प्रमुख मोहन भागवत के यू-टर्न की अपनी कुछ खास वजहें हैं. सबसे बडी वजह जम्मू कश्मीर में पीडीपी और भाजपा की सरकार का बनना है. जम्मू कश्मीर में भाजपा-पीडीपी गठबंधन की सरकार पहले बनी थी. उस समय के मुख्यमंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद के निधन के बाद करीब 2 माह तक यह गठबंधन अधर में लटका रहा. पीडीपी नेता महबूबा मुफ्ती भाजपा के साथ गठबंधन को लेकर एकमत नहीं थी. 2 माह बाद यह गठबंधन वापस पटरी पर आ रहा था, इसी बीच भारत माता की जय के नारे का विवाद उठ खडा हुआ. संघ और भाजपा अब इस तरह की विवादित नारे को किनारे रखकर आगे बढना चाहते हैं. केरल, पश्चिम बंगाल, असम और तमिलनाडु विधानसभा चुनावों में ऐसे नारे नुकसान पहुंचा सकते हैं. ऐसे में संघ प्रमुख मोहन भागवत ने भारत माता की जय के नारे पर सही समय पर यूटर्न लेना ही सही समझा.

संघ प्रमुख ने कहा कि ‘संघ का काम किसकी को जीतना या उस पर अपने विचारों को थोपना नहीं है. अटल बिहारी वाजपेई और रज्जू भैया जैसे संघ और भाजपा के नेताओं ने कभी अपने विचारों को थोपने का काम नहीं किया. इन लोगों ने संघ के विचारों को इस तरह से सामने रखा कि लोग खुद इससे जुडते गये. इस विचारधारा पर काम करने वाले बहुत सारे संगठन है, इनको संघ परिवार के रूप में देखा जाता है. बिहार में विधान सभा चुनाव के पहले संघ प्रमुख मोहन भागवत ने आरक्षण के समर्थन में बयान देकर पार्टी के सामने असहज हालात पैदा कर दिये थे. बिहार चुनाव में हार के लिये इस बयान को काफी हद तक जिम्मेदार माना जाता है. ऐसे में केरल, पश्चिम बंगाल, असम और तमिलनाडु विधानसभा चुनावों के पहले संघ प्रमुख कोई गलती दोहराना नहीं चाहते हैं. ऐसे में भारत माता की जय पर यूटर्न लेना ही सही कदम है.

अनलिमिटेड कहानियां-आर्टिकल पढ़ने के लिएसब्सक्राइब करें