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जानिए, कैसे बनाएं बेहतर रिज्यूमे

अगर आप नौकरी की तलाश मे हैं तो जरा ठहरे! क्योंकि उसके लिये जरूरी है एक बेहतर रिज्यूमे का होना. कहीं भी आप जौब के लिए जाते हैं तो नियुक्ता  आप से पहले आपका रिज्यूमे ही देखता है और उसके बाद वो आपके बारे में  राय बनाता है. रिज्यूमे आपका पहला इम्प्रेशन होता  है. कई लोग रिज्यूमे बनाते तो हैं  लेकिन वही पुराने तरीके से . आज कल नए ट्रेंड का दौर  है हर चीज में समय समय पर बदलाव होते रहे है तो रिज्यूमे भी इस प्रतिस्पद्धा मे पीछे क्यों रहे.  इसमे भी एक्सपर्ट्स द्वारा बदलाव होते रहे है. जरूरी है की रिज्यूमे बनाते वक्त आप अपडेट रहे और इन बातों का रखें ख्याल .

ज्यादा  लम्बा  न  बनाये  

नियोक्ता आपकी सीवी पर सिर्फ 6 सेकेंड खर्च करता है. इसमें ही उसे समझ आ जाता है कि इस पर आगे बढ़ना है या नहीं. आपके लिए इसी छह सेकेंड का महत्व है. अपने रिज्यूमे को पढ़ने में आसान बनायें.कम शब्दों मे ज्यादा जानकारी देते हुए अपने रिज्यूमे को बनाये . ज्यादा लम्बा रिज्यूमे उबाऊ लगता है अगर आप यह सोचते है की लम्बे रिज्यूमे से आप ज्यादा टेलेंटेड दिखते है तो यह बिलकुल गलत है . सीधा, सटीक रिज्यूमे इंटरव्यू लेने वाले के लिए पढ़ना भी आसान  होता है और वह आपके बारे मे आपकी महत्वपूर्ण जानकारी हासिल कर पाता है.

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व्याकरण की गलती न करें

अधिकतर लोग  रिज्यूमे मे व्याकरण व स्पेलिंग की गलतियां कर बैठते है तो  उससे बचे क्यों की नियुक्ता आपकी छोटी छोटी गलतियों को ही देखते है और यही गलतियां आपके इंटरव्यू से पहले ही आपकी छवि उनकी नज़रों मे खराब कर देती हैं . कहीं भी रिज्यूमे भेजने से पहले खुद भी चेक करें और हो सके तो किसी और को भी एक बार दिखा दे .

फौण्ट व साइज का रखें ख्याल

रिज्यूमे बनाते समय साइज ऐसा ले जो पढ़ने मे सुविधाजनक हो अगर आप ज्यादा छोटा लिखते है तो वो समझ नहीं आता या बड़ा लिखते है तो वो भद्दा  नज़र आता है वैसे स्टैण्डर्ड साइज 12 -13  व  फॉण्ट  टाइम्स न्यू रोमन को स्टैण्डर्ड माना जाता है.

अनुभव और योग्यता

अगर आप फ्रेशर है तो अपनी  योग्यता  को तवज्जो देते हुए अपने शौक ,और एक्स्ट्रा करिकुलर एक्टिविटी मे पारंगत होने के प्रमाण  दें. यदि आप अनुभवी हैं तो अपनी जौब डिस्क्रिप्शन के हिसाब से रिज्यूमे को लुभवना बनाये  15 -20  साल का अनुभव है तो पहले  10  साल के  अनुभव की एक ही लाइन मे उसकी जानकारी दें. अपना फोन नंबर ,मेल ,वेबसाइट और लिंक्ड इन प्रोफाइल की जानकारी शेयर जरूर करें.  जिससे की नियुक्ता आपसे सम्पर्क कर सके .

झूठ का सहारा न लें

जौब पाने के लिये झूठ बोलने की गलती न करे. आपकी ये एक गलती आपका करियर  खराब कर सकती है कोई भी झूठा  सर्टिफिकेट या फ़र्ज़ी सैलेरी स्लिप आपको भारी  नुकसान पहुंचा सकती है यहां  तक की आप पर क्रिमिनल केस बनाकर  सलाखों के पीछे भी डाला जा सकता है आपके कागजों में गलती आपके करियर मे रोड़ा बन सकती है व आपका भविष्य भी खराब कर सकती है.

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पति पत्नी का परायापन: भाग 2

पति पत्नी का परायापन: भाग 1

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आखिरी भाग

शैली को एकटक देखते हुए उस ने कहा, ‘‘शैली, मैं चाहता तो नहीं हूं कि तुम कहीं काम करो, लेकिन हालात को देखते हुए तुम से नौकरी करने के लिए कहना पड़ रहा है. अगर तुम्हें नौकरी करनी ही है तो कहीं पास में ही नौकरी तलाश करो.’’

पति को चिंतित देख शैली ने उसे तसल्ली देते हुए कहा, ‘‘तुम मेरी चिंता मत करो, अपना अच्छाबुरा मैं अच्छी तरह जानती हूं.’’

इस के बाद वह अगले दिन से ही अपने लिए नौकरी की तलाश में जुट गई. थोड़ी कोशिश के बाद उसे एक बिल्डर के यहां नौकरी मिल गई. अब वह भी नौकरी पर जाने लगी. पत्नी के नौकरी करने से पंकज की आर्थिक स्थिति ठीक होने लगी. पैसे आए तो दोनों के चेहरों पर खुशी की लाली थिरकने लगी.

कुछ महीने तक तो पंकज के घर में सब कुछ ठीक था, परंतु एक साल गुजरने के बाद शैली के रंगढंग में काफी कुछ बदलाव आ गया. उस के रहनसहन और पहनावे को देख कर लगता था कि वह मौडर्न घराने से ताल्लुक रखती है.

औफिस से घर आने में वह कई बार लेट भी हो जाती थी. पंकज ने इस दौरान महसूस किया था कि शैली की चालढाल अब वैसी नहीं रही जैसी पहले थी. अब उस के पास महंगा मोबाइल फोन आ गया था, जिस पर वह हमेशा व्यस्त रहती थी.

एक दिन पंकज शैली के मोबाइल का वाट्सऐप देख रहा था. उसे वहां कुछ ऐसे फोटो देखने को मिले, जिस में वह एक अपरिचित आदमी के साथ काफी खुश नजर आ रही थी. उस फोटो के बारे में पूछने के लिए पंकज ने शैली को अपने पास बुलाया तो उस के चेहरे की रंगत उड़ गई.

वह कहने लगी कि यह औफिस में ही काम करने वाला व्यक्ति है. मगर पंकज को उस की बातों पर विश्वास नहीं हुआ. इस के बाद उन दोनों के बीच किसी न किसी बात को ले कर नोकझोंक होने लगी. अब तक पंकज को पूरी तरह यकीन हो गया था कि शैली फोटो में जिस व्यक्ति के साथ है, उस से उस के अवैध संबंध होंगे.

एक दिन तो हद ही हो गई. उस रात शैली देर से घर लौटी थी. पंकज ने उस पर आरोप लगाया कि वह अपने प्रेमी के साथ गुलछर्रे उड़ा रही होगी, तभी घर आने में देर हो गई. पंकज ने उस समय उसे काफी भलाबुरा कहा था. शैली भी कहां चुप रहने वाली थी. उस ने भी कह दिया कि तुम मेरे ऊपर इतना शक करते हो तो मुझे तलाक दे दो. मेरी तुम्हारे साथ अब नहीं निभ सकती.

शैली की बात सुन कर पंकज सन्न रह गया. उसे उम्मीद नहीं थी कि शैली कभी उसे छोड़ कर सदा के लिए उस से दूर जाने का इरादा बना लेगी. लड़झगड़ कर उस रात दोनों सो गए. लेकिन उस दिन के बाद शैली हर 2-4 दिनों के बाद पंकज से तलाक ले कर अलग रहने पर दबाव बनाने लगी.

दरअसल, शैली जहां नौकरी करती थी, उस की बगल में सेक्टर-82 निवासी सुरेश सिधवानी की दुकान थी. सुरेश सिधवानी मूलरूप से राजस्थान का रहने वाला था. वह शादीशुदा था लेकिन अपनी पत्नी से अधिक शैली को प्यार करता था. जब उस की पत्नी को शैली के साथ उस के अवैध संबंधों की जानकारी हुई तो उस ने उसे रोकने की कोशिश की.

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लेकिन सुरेश सिधवानी के सिर पर शैली के इश्क का भूल चढ़ा था, इसलिए उस ने पत्नी की बात एक कान से सुन कर दूसरे से निकाल दी. आखिर वह सुरेश को छोड़ कर चली गई.

पत्नी के घर छोड़ चले जाने के बाद सुरेश ने शैली को अपने पति से तलाक लेने पर जोर डालना शुरू कर दिया, ताकि दोनों हमेशा के लिए एक हो कर रह सकें. लेकिन पंकज मिश्रा इस के लिए राजी नहीं हुआ. उसे अपने बेटे और खानदान की इज्जत अधिक प्यारी थी.

जब शैली को लगा कि पंकज उसे तलाक नहीं देगा तब उस ने सुरेश से कहा, ‘‘सुरेश, अगर तुम मुझे सच में प्यार करते हो और हमेशा के लिए अपना बनाना चाहते हो तो पहले पंकज को खत्म करना होगा.’’

सुरेश भी यही चाहता था, इसलिए उस ने कहा कि तुम अब परेशान मत होना, मैं इस का इंतजाम कर दूंगा.

सुरेश सिधवानी के पास नगला चरणजीतदास का रहने वाला मोटर मैकेनिक इंद्रजीत आता रहता था. वह उस का विश्वासपात्र भी था. सुरेश ने पंकज की हत्या के बारे में उस से बात की. साथ ही यह भी कहा कि इस काम के एवज में वह उसे 10 लाख रुपए देगा.

इतनी बड़ी रकम के लालच में इंद्रजीत तैयार हो गया. उस ने पंकज की हत्या करने के लिए 50 हजार रुपए की पेशगी भी ले ली.

पंकज की हत्या करने की सुपारी लेने के बाद इंद्रजीत इस काम के लिए अपने दोस्त ककराला फेज-2 निवासी मोनू से मिला. उस ने मोनू से सारी बात तय कर के उसे .32 बोर की एक पिस्तौल तथा 3 गोलियां सौंप दीं.

मोनू ने गेझा, नोएडा निवासी अपने दोस्त सूरज तंवर को अपने साथ लिया. इस के बाद वे सभी पंकज की रेकी करने लगे. उन्होंने पता लगा लिया कि पंकज अपनी ड्यूटी के लिए किस रास्ते से आताजाता है. पूरी योजना बनाने के बाद 20 जून, 2019 को ये लोग पंकज का पीछा करने लगे. जैसे ही पंकज एक सुनसान जगह पर पहुंचा तो उसे रोकने के बाद गोली मार दी, जिस से घटनास्थल पर ही पंकज की मृत्यु हो गई.

पुलिस ने उन दोनों से पूछताछ के बाद इंद्रजीत, मोनू और सूरज को भी गिरफ्तार कर लिया. उन की निशानदेही पर वारदात में इस्तेमाल पिस्तौल और बिना नंबर प्लेट वाली मोटरसाइकिल भी बरामद हो गई.

थानाप्रभारी भुवनेश कुमार ने पंकज हत्याकांड के पांचों आरोपियों सुरेश सिधवानी, शैली मिश्रा, इंद्रजीत, मोनू और सूरज तंवर को गौतमबुद्धनगर की अदालत में पेश किया, जहां से सभी को न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया गया.

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सूरज तंवर की उम्र 19 साल है और वह गेझा गांव के स्कूल में 12वीं का छात्र है. वह अपनी गर्लफ्रैंड की जरूरतों को पूरा करने के लालच में इस हत्याकांड में शामिल हुआ था. पंकज की हत्या और शैली मिश्रा के जेल चले जाने के बाद पंकज का 7 वर्षीय बेटा अपने चाचा के पास था.

पहला विद्रोही: भाग 2- अनुपम ने आश्रम से दूर क्या देखा?

‘‘मैं एक अबला और उस पर भी शूद्रा, भला आप को क्या चुनौती दे सकती हूं. परंतु मैं ने जो भी कहा है वह यथार्थ है, नभ में चमकते इस चंद्रमा की तरह,’’ कहते हुए उस ने आकाश में चमकते चंद्रमा को इंगित किया.

‘‘नहीं, गुर्णवी, तुम ने पृषघ्र को केवल चाहा है, प्रेम किया है. उस की शक्ति और बाह्य रूप को देखा है, उस के अंतर्मन को नहीं जाना. आओ, तुम्हें विश्वास दिला दूं,’’ कहते हुए पृषघ्र ने उस का हाथ पकड़ा और झटके से उठा कर अपने बाईर्ं ओर चट्टान पर खड़ा कर लिया.

‘‘सुनो, दसों दिशाओे, दिग्पालो और पंचभूतात्माओ, सभी मेरी घोषणा सुनो. मैं वैवस्वत मनु का पुत्र, कुमार पृषघ्र आज से, इसी क्षण से इस गुर्णवी (जूती) को, जो शूद्री (अछूत कन्या) है, शूद्रता से मुक्त करता हूं. इस का नाम अब से गुणमाला होगा,’’ कुमार की यह घोषणा रात्रि के अंधकार में गूंज उठी.

परंतु यह घोषणा गुणमाला को प्रसन्न न कर सकी. वह वसिष्ठ के भय से आतंकित हो, स्थिर नेत्रों से पृषघ्र को देखती रह गई.

‘‘चलो, गुणमाला, तुम्हें तुम्हारे आवास पर पहुंचा दूं,’’ कुमार ने उस की कटि में अपनी दीर्घ भुजा डाल कर कहा, ‘‘अब तुम निश्ंिचत और प्रसन्न रहो. मेरी शिक्षा पूर्ण होने पर यथासमय हम विवाह करेंगे. तुम राजरानी बनोगी,’’ पृषघ्र ने हथेली से उस का चेहरा थपथपा दिया.

उस मृगनयनी के अश्रु छलक गए.

कुमार पृषघ्र की घोषणा वायुमंडल में गूंजती हुई ऋषिवर वसिष्ठ तक भी पहुंची. वे विचलित हो गए. वसिष्ठ गुणमाला के बुद्धिकौशल और अनुपम रूपराशि के जादू से परिचित थे. उन्हें लगा, धरती पैरों तले खिसक रही है और वे शून्य में गिरते चले जा रहे हैं, कहीं ठौर नहीं मिल रहा है.

एकाएक वे सावधान हो कर बैठ गए, ‘कुछ करना ही होगा. यह युवक संपूर्ण सामाजिक व्यवस्था को नष्ट कर देगा,’ वे सोचते रहे, ‘हो सकता है, पृषघ्र उस से विवाह भी करना चाहे. तब तो ब्राह्मणों का समाज में वर्चस्व ही समाप्त हो जाएगा क्योंकि वर्चस्व की सारी शक्तियां क्षत्रियों के बल पर ही तो आश्रित हैं. यदि शूद्र स्त्रियां क्षत्रियों के हृदय मार्ग से हो कर महलों में प्रवेश कर गईं तो राजा और राजनीति दोनों ही ब्राह्मणों के हाथों से चली जाएंगी. और जिस दिन ऐसा होगा, इन के सारे घाव हरे हो जाएंगे…और फिर…फिर…’ भयानक बदले के एहसास से वे कांप उठे.

प्रात: हवन आदि के पश्चात ऋषि वसिष्ठ ने सभी शिष्यों की उपस्थिति में पृषघ्र से कठोर स्वर में पूछा, ‘‘तुम ने कल रात क्या अनर्थ किया, जानते हो?’’

‘‘क्या अनर्थ किया है?’’ शांत स्वर में उस ने प्रतिप्रश्न किया.

‘‘भोले मत बनो कुमार, तुम ने एक शूद्र कन्या को उस की शूद्रता से मुक्त किया है. तुम पतित हो रहे हो.’’

‘‘मैं पतित हो रहा हूं, पर कैसे? एक नारी को शूद्रता की दासता से मुक्त करने से मैं पतित कैसे हो गया, गुरुदेव?’’ पृषघ्र का स्वर अत्यंत नम्र था.

‘‘तुम ऐसा नहीं कर सकते. ऐसा करने से एक क्रम बन सकता है जो हमारी सामाजिक व्यवस्था को छिन्न- भिन्न कर देगा,’’ वसिष्ठ कठोर स्वर में बोले.

‘‘यह कैसी सामाजिक व्यवस्था है गुरुदेव, जिस में मानव ही मानव को हेयदृष्टि से देखता है, उस का शोषण और तिरस्कार करता है. इस व्यवस्था को बदलना होगा.’’

‘‘किसी भी बदलाव के लिए न तो तुम अधिकृत हो और न ही सक्षम. यह कार्य हम ऋषियों की अनुमति के बगैर नहीं हो सकता. तुम होते कौन हो?’’ गुरु वसिष्ठ क्रोधित होने लगे.

‘‘क्षमा करें, गुरुदेव मैं यह कार्य प्रारंभ कर चुका हूं. जैसे प्रकृति अपने परिवर्तन के लिए किसी की मोहताज नहीं होती वैसे ही मैं ने भी शुरुआत की है,’’ पृषघ्र बोला.

‘‘तुम उद्दंड हो रहे हो,’’ क्रोधावेश में वसिष्ठ बोले, ‘‘आज तुम ने उस शूद्री को मुक्त करने की बात की है और कल उस से विवाह भी कर सकते हो.’’

‘‘हां, गुरुदेव, शिक्षा पूर्ण होते ही मैं उसे अपनी अर्धांगिनी बनाऊंगा,’’ पृषघ्र ने शांत भाव से उत्तर दिया.

वसिष्ठ की आशंका सच निकली. ‘कल को तो यह समस्त शूद्र जाति को सवर्णों में सम्मिलित कर देगा. क्रोध से यह मानने वाला नहीं लगता. कोई युक्ति करनी होगी,’ उन्होंने विचार किया.

‘‘तुम क्या कह रहे हो, पुत्र? तुम उस से विवाह भी करोगे, यह कैसे हो सकता है? तुम जानते हो, एक शूद्री से उत्पन्न की हुई जारज संतान तुम्हारी उत्तराधिकारी नहीं हो सकेगी. उसे कोई मान्यता नहीं देगा. तुम राजवंशी हो और वह एक छोटे कुल की स्त्री,’’ वसिष्ठ ने कोमल स्वर में समझाने का प्रयास किया.

‘‘नहीं, गुरुदेव, छोटे या घटिया तो कर्म होते हैं, कोई कुल नहीं…और स्त्री तो धरती है. धरती की कोई जाति नहीं होती. वह तो बीज (पुरुष) है, जो विभिन्न किस्मों में उगता है. इस में धरती का कोई दोष नहीं होता. दोषी तो बीज होता है.’’

‘‘तुम मुझे ही पढ़ाने लगे हो. स्मरण रखो, तुम इस गुरुकुल में विद्या अध्ययन के लिए आए हो, गुरु को पढ़ाने नहीं,’’ वसिष्ठ खीज कर बोले.

‘‘स्मरण है, गुरुदेव.’’

‘‘तो फिर अब से तुम उस युवती से नहीं मिलोगे और यहां रहते न तो कोई और घोषणा करोगे और न ही किसी को कोई वचन दोगे.’’

‘‘तो क्या अपना वचन मिथ्या हो जाने दूं. यह संसार मुझ पर थूकेगा नहीं?’’

‘‘तुम आखिर चाहते क्या हो? क्या तुम्हें मनमानी करने दूं? क्या तुम मुझे सामाजिक व्यवस्था का पाठ पढ़ाना चाहते हो?’’ वसिष्ठ ने झल्ला कर पूछा.

‘‘मैं आप के पास पढ़ने आया हूं, गुरुदेव,’’ पृषघ्र करबद्ध हो कर बोला, ‘‘मैं एक ऐसे समाज की रचना करना चाहता हूं जिस में चारों वर्णों के लोग एक ही ‘मनुष्य वर्ण’ के नाम से जाने जाएं. न कोई ऊंचा हो न कोई नीचा. कोई वर्ण भेद न हो…सर्वत्र समभाव हो. इस में आप मेरे मार्गदर्शक बनें.’’

सुन कर वृद्ध ऋषि सकते में आ गए. उन्होंने समझ लिया कि बहस से इस युवक को परास्त नहीं किया जा सकेगा. यह दृढ़निश्चयी है. इस का कुछ करना होगा. सोचते हुए उन्होंने आग्नेय नेत्रों से पृषघ्र को देखा और बगैर उत्तर दिए वहां से चल दिए.

आकाश में बादलों की भयंकर गर्जना के साथ वर्षा वेगवती हो रही थी. ऋषि वसिष्ठ ने उसी दिन से पृषघ्र को गोशाला का कार्य सौंप दिया था. भारी वर्षा के कारण 3 दिन से पशुओं के लिए घास की व्यवस्था नहीं हुई थी. गोवंश भूखा ही था. स्वयं पृषघ्र का आश्रम से बाहर जाना प्रतिबंधित था. उस ने सुना था कि आश्रम में 2-3 दिन से सूखी लकड़ी न होने से पाकशाला भी ठंडी ही है. उसे भी अन्न का दाना नहीं मिला था.

संध्या होतेहोते गहन अंधकार छा गया. गोशाला में जगहजगह पानी टपक रहा था. बड़ी कठिनाई से थोड़ा स्थान खोज कर वह बैठ सका. भूखी गायों का रंभाना उसे भारी पीड़ा दे रहा था. संतोष था तो केवल यही कि वह स्वयं भी निराहार था. उस की इच्छा हुई कि गोशाला की छत तोड़ कर उसी की घास पशुओं को खिला दे, परंतु यह संभव नहीं था.

बैठेबैठे ही पृषघ्र को नींद के झोंके आने लगे थे. वह कब सो गया, स्वयं भी न जान सका. अर्द्धरात्रि में गोवंश के रंभाने की आवाज से उस की नींद खुली. गहन अंधकार था. पानी अभी भी बरस रहा था. एकाएक वह कुछ समझ न पाया. अंधकार में दृष्टि फाड़ कर देखने का प्रयास किया, तभी एक गर्जना से वह चौंक पड़ा.

गोशाला में सिंह घुस आया था. वह तुरंत अपनी तलवार तान कर खड़ा हो गया और सावधानी से गायों की ओर बढ़ा. 2-3 गाएं सींगों की सहायता से सिंह से जान बचाने को प्रयासरत थीं. पृषघ्र ने निकट पहुंच कर बिजली की फुरती से सिंह पर भरपूर वार किया. वनराज पृषघ्र से भी फुरतीला निकला और एक गाय की गरदन कट गई. सिंह तेजी से निकल कर भाग गया.

आ गया जिलेटिन का शाकाहारी पर्याय

खाने की दुनिया में बहुत कुछ नया हो रहा है जो थोड़ा ऐक्साइटिंग है तो थोड़ा पृथ्वी को बचाने वाला भी. पशुओं को मारे बिना मीट बनाने की प्रक्रिया चालू हो रही है. लैबों में पैदा सैल्स को कई गुना कर के असली स्वाद वाला मीट बन सकता है. इस से लाखों पशुओं को सिर्फ मार कर मीट के लिए पैदा नहीं किया जाएगा और वे पृथ्वी पर बोझ नहीं बनेंगे. इसी तरह बिना पशुओं का दूध बनने जा रहा है, जिस का गुण और स्वाद असली दूध की तरह होगा. चिकन भी ऐसा ही होगा.

यही जिलेटिन के साथ होगा. जिलेटिन पशुओं की हड्डियों से बनता है और दवाओं के कैप्सूलों में इस्तेमाल होता है. पेट में जाने पर जिलेटिन पानी में घुल जाता है और दवा अपना काम शुरू कर देती है. जो वैजीटेरियन हैं वे कैप्सूल नहीं लेना चाहते और वैजिटेरियन कैप्सूलों की मांग बन रही है.

दवा कंपनियों का कहना है कि वैजिटेरियन कैप्सूल महंगे होंगे. फिलहाल चुनावों के कारण यह काम टल गया है. जिलेटिन खाने में डलता है और मीठी गोलियों, केकों, मार्शमैलो आदि में भराव का भी काम करता है और वसा यानी फैट की कमी को भी पूरा करता है. रबड़ की तरह का जो स्वाद बहुत सी खाने की चीजों में आता है वह जिलेटिन के कारण ही है.

जिलेटिन का फूड में इस्तेमाल असल में जिलेटिन का इस्तेमाल फूड इंडस्ट्री में फार्मा इंडस्ट्री से ज्यादा होता है.

इसे वैजिटेरियन खाने में भी डाल दिया जाता है जबकि यह सूअर, गाय, मछली की खाल व हड्डियों को गला कर ही बनाया जाता है.

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होने को तो जिलेटिन के वैजिटेरियन पर्याय हैं पर इस्तेमाल करने वाले उत्पादकों के लिए महंगे और प्रोसैस करने में मुश्किल हैं. अब जैलजेन नाम की कंपनी पशु मुक्त जिलेटिन टाइप का कैमिकल बना रही है जो खाने, दवाओं, कौस्मैटिक्स में इस्तेमाल हो सकता है. डा. निक ओजुनोव और डा. एलैक्स लोरेस्टानी मौलिक्यूलर बायोलौजिस्ट हैं और सिंथैटिक बायोलौजी पर काम करते हुए उन्होंने सोचा कि जैसा इंसुलिन के लिए हुआ कि सुअर के भगनाशय से निकली इंसुलिन की जगह कृत्रिम इंसुलिन बना लिया गया, वही काम जिलेटिन के लिए क्यों नहीं हो सकता.

पशु मुक्त जिलेटिन

जैलजेन जिस का नाम लैलटोर है अब जिलेटिन के उत्पादन को पशु मुक्त बनाने में लग गई है. ये लोग बिना पशु मारे सैल्स से बैक्टीरिया को मल्टीप्लाई कर के जिलेटिन बना रहे हैं. वैजिटेरियन उत्पादों की दुनियाभर में मांग बढ़ रही है और उस के पीछे धार्मिक कारण तो हैं ही, पर्यावरण संतुलन भी है.

पशुओं से बनने वाला मीट, स्किन, दूसरे कैमिकल प्रकृति पर भारी पड़ते हैं. पशु बेहद पानी, जगह, कैमिकल, दवाएं इस्तेमाल करते हैं और अब ये मार दिए जाते हैं. मारने के बाद बचे कूड़े के निबटान में भी बड़ी समस्याएं हैं और गरीब देशों में इस कूड़े को ऐसे ही ढेरों में फेंक दिया जाता है जहां से बदबू और बीमारियां

फैलती हैं. जो भारतीय उत्पादक इन से संपर्क करना चाहते हैं.  अमेरिका के कैलिफोर्निया में स्थित यह कंपनी पर्यावरण संरक्षण में बड़ा सहयोग दे रही है.

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बहू का रिवीलिंग लिबास क्या करें सास

सुशीला का विवाह 30 साल पहले एक गांव में हुआ था. उन दिनों को याद करते हुए वह अकसर सोचती कि उस ने गांव में कितनी कठिनाइयों का सामना किया. उस की सास उसे हर समय घूंघट निकाले रखने को कहती. पढ़ीलिखी सुशीला के लिए ऐसा करना बहुत मुश्किल था. जब विवाह के कुछ समय बाद उस के पति नौकरी के सिलसिले में शहर आ गए तो उसे राहत की सांस मिली. पहले लंबा घूंघट छूटा और फिर अपने आसपास वालों की देखादेखी साड़ी की जगह सूट पहनना शुरू हो गया. सूट उसे साड़ी के मुकाबले आरामदायक और सुविधाजनक लगता. कुछ समय बाद सूट से दुपट्टा भी गायब हो गया.

अब जब कभी उस की सास गांव से उस के पास रहने आती तो वह उस के कपड़ों को देख कर खूब मुंह बनाती और बारबार ताने मारती. ‘‘क्या जमाना आ गया है. बहुओं ने लाजशरम बिलकुल छोड़ रखी है… नंगे सिर, बिना दुपट्टे परकटी बन घूम रही है. हमारा पल्लू आज भी सिर से नीचे नहीं गया. मेरी सास मुझे यों देखती तो मार ही डालती.’’

ऐसी तानाकशी से दुखी सुशीला मुंह बंद कर के रह जाती और सास के वापस जाने के दिन गिनती. उस वक्त सुशीला सोचा करती कि वह अपनी बहू के साथ कभी ऐसा नहीं करेगी.

धीरेधीरे समय बदला. सुशीला के बच्चे बड़े हुए. उस की बेटी जींस पहनती तो उसे बुरा नहीं लगता. उसे लगता कि वह समय के साथ बदल गई है और अपनी सास की तरह दकियानूसी नहीं है. उस के बेटे की मुंबई में अच्छी नौकरी लगी. वहीं एक सहकर्मी से प्यार हुआ और दोनों ने परिवार की रजामंदी से शादी कर ली.

सुशीला के पति का देहांत हो गया था, इसलिए वह भी बेटेबहू के साथ मुंबई रहने आ गई. शादी के शुरूशुरू में बहू ने एक आदर्श बहू वाले पारंपरिक कपड़े पहने, मगर धीरेधीरे वह उन्हीं पुराने सुविधाजनक कपड़ों में रहने लगी जो शादी से पहले पहना करती थी जैसे कैप्री, शौर्ट्स, विदाउट स्लीव और औफ शोल्डर टौप, मिडीज आदि. मगर सुशीला को बहू का ऐसा रिवीलिंग पहनावा अखरने लगा.

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वह बहू को अकसर टोकने लगी, ‘‘शादी के बाद भी कोई ऐसे कपड़े पहनता है भला?’’

एक दिन तो हद हो गई जब बहूबेटे दोनों एक पार्टी में जा रहे थे. बहू ने औफशौल्डर टौप और स्कर्ट पहन लिया. उस दिन सुशीला भड़क उठी, ‘‘तुम लोगों के ज्यादा पर निकल आए हैं… बिलकुल नंगापन मचा रखा है. मैं भी कभी बहू थी, मगर हमारी क्या मजाल थी जो अपने सासससुर के सामने ऐसे कपड़े पहन लेते. मेरी सास मुझे ऐसा देखती तो मार ही डालती.’’

यह सुन कर सुशीला का बेटा बोला, ‘‘अरे मम्मी यह तो सेम वही डायलौग है न जो दादी आप को सुनाया करती थीं. आप ने यह हमें कितनी बार बताया है.’’

यह सुन कर सुशीला को एक झटका लगा कि अरे हां, सही तो है मेरी सास मुझे सूट पहनने पर ऐसे ही तो ताने मारा करती थी. मगर सूट अलग बात थी. उस में शरीर ढका रहता है. मगर बहू के कपड़े… इन्हें कैसे बरदाश्त करूं?

जो सुशीला की स्थिति है, वही आजकल की बहुत सी सासों की है. उन की सोच में बदलाव तो आ रहे हैं, मगर उतनी तेजी से नहीं जितनी तेजी से नई पीढ़ी आगे बढ़ रही है. दोनों पीढि़यों की गति में बहुत अंतर है. सामान्यतया बहू जब भी कुछ ऐसा पहनती है जो सास को अशोभनीय लगता है तो वह तुरंत मुंह बनाते हुए अपने जमाने में पहुंच जाती है और कहती है कि अरे, हमारे जमाने में तो ऐसा नहीं होता था. उन की इस प्रतिक्रिया के कारण सासबहू का रिश्ता तनावपूर्ण रहता है और बहू सास से अलग रहने के मौके ढूंढ़ती है. ऐसा न हो, इस के लिए कुछ बातों को समझना जरूरी है.

बदलाव को स्वीकारें

एक बहुत प्रसिद्ध कहावत है कि परिवर्तन संसार का नियम है. संसार में रोज कुछ न कुछ परिवर्तन हो रहे हैं. जलवायु में, सुविधाओं में, तकनीक में, रहनसहन में, रिश्तों में… हर जगह कुछ भी पहले जैसा नहीं है और न ही हो सकता है. यही बात पहनावे की भी है. पीढ़ीदरपीढ़ी लोगों के खासकर महिलाओं के पहनावे में परिवर्तन होता आ रहा है और आगे भी होता रहेगा. समय के बदलते दौर की नब्ज पकड़ें और उसे स्वीकार कर अपनी सोच को लचीला बनाएं.

रिवीलिंग का यदि शाब्दिक अर्थ पकड़ें तो वह ‘राहत’ या ‘सुविधाजनक’ होता है. सुविधा की परिभाषा सब के लिए अलगअलग है. सुशीला की सास को उस का सूट पहनना पसंद नहीं था जबकि वह उस के लिए सुविधाजनक था. इसी तरह सुशीला को बहू का कैप्री, स्लीवलैस टौप, मिडीज पहनना पसंद नहीं है, जबकि बहू को ये ड्रैस सुविधाजनक लगती हैं. सास यानी सुशीला को समझना चाहिए कि बहू अपनी सुविधानुसार कपड़े पहनेगी उन की सोच के हिसाब से नहीं. और यदि दबाव में पहन भी लिए तो यह ज्यादा दिन तक नहीं चलेगा. बेहतर है सुशीला अपने दृष्टिकोण में बदलाव करे ताकि दोनों के बीच फालतू का तनाव न पैदा हो.

कोई भी पहनावा अच्छा या बुरा नहीं होता. उसे अच्छा या बुरा हमारी सोच बनाती है. हम उसे जिस नजरिए से देख रहे हैं वह नजरिया उस पहनावे की परिभाषा तय करता है. जैसे तीखा खाने वाले के सामने सादा भोजन रख दिया जाए तो वह बकवास बताएगा और सादा खाने वाले के सामने तीखा भोजन रख दिया जाए तो वह उस की बुराई करेगा. जरा सोचिए, क्या आज आप स्वयं अपनी पुरानी पीढ़ी के पहनावे को पहन रहे हैं? पुरुषों की धोतियां, महिलाओं के घूंघट लगभग गायब हो चुके हैं. इसी तरह आजकल की बहुएं अपने समय के अनुसार कपड़े पहन रही हैं.

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न बनें टिपिकल सास

जब कोई मां अपने पढ़ेलिखे बेटे के लिए बहू ढूंढ़ती है तो उस की चाहत होती है उस की बहू भी आधुनिक और पढ़ीलिखी हो जो उस के बेटे के साथ कदम से कदम मिला कर चल सके. मगर जब रहनसहन और पहनावे की बात आती है तो वह वही टिपिकल सास बन जाती है, जो चाहती है उस की बहू उस की सोच के हिसाब से चले. जो उसे अच्छा नहीं लगता वह न पहने. मगर ऐसा नहीं होता. आप को यह समझना जरूरी है कि आप की बहू एक आत्मनिर्भर व्यक्तित्व है. उस की अपनी सोच, अपनी पसंदनापसंद है. वह

आप के आदर की वजह से आप की बात मान सकती है, मगर आप अपनी सोच उस पर थोप नहीं सकतीं.

यदि आप को बहू की रिवीलिंग ड्रैस पर कोई आपत्ति है और आप यह बात उस तक पहुंचाना चाहती हैं तो इस तरह से कहें कि उसे बुरा भी न लगे और आप भी अपनी बात कह पाएं. लेकिन क्या पहनना है क्या नहीं, इस का निर्णय उसी पर छोड़ देना चाहिए.

रमा की बहू एक फैमिली फंक्शन में जाने के लिए औफशौल्डर गाउन पहन कर तैयार हो रही थी. जहां उन्हें जाना था वहां का माहौल रूढि़वादी था. रमा ने जब उसे देखा तो पहले उस की बहुत तारीफ करते हुए बोलीं, ‘‘अरे, वाह बहू, आज तो तुम गजब ढा रही हो. बहुत ही सुंदर लग रही हो, मगर आज जहां यह पार्टी है उन लोगों का नजरिया थोड़ा पुराना है. हो सकता है उन्हें तुम्हारा यह आधुनिक पहनावा अच्छा न लगे, वे तुम पर कुछ कमैंट करें. और मेरी प्यारी बहू के लिए कोई उलटासीधा बोलेगा तो मुझे बिलकुल अच्छा नहीं लगेगा, इसलिए मैं चाहूंगी कि तुम कोई पारंपरिक डै्रस पहन लो. लेकिन

मैं तुम्हें फोर्स नहीं करूंगी, जैसा तुम्हें सही लगे तुम करो.’’

बहू ने सास की प्यार से कही गई बात को सुना और तुरंत चेंज करने के लिए तैयार हो गई.

बहू को बदलने के बजाय सास ही जमाने की नब्ज पकड़ कर अपने पहनावे में बदलाव ले आए. टिपटौप बहू के साथ वह भी आधुनिक बन जाए. वह बहू के साथ जींसशर्ट पहन कर कदम से कदम मिला कर चले और 2 पीढि़यों का भेद ही मिटा दे. लगेगा जैसे उम्र आगे बढ़ने के बजाय पीछे जा रही है और आप स्वयं को आउटडेटेड भी महसूस नहीं करेगी.

आजकल की लड़कियां आजकल चलने वाले कपड़े ही पहनेंगी. सिर्फ इसलिए कि उन की शादी आप के बेटे से हो गई, उन की सोच, उन का व्यक्तित्व और पसंद बदल नहीं जाएगी. बेहतर है, आप उन्हें अपना पहनावा चुनने की और पहनने की आजादी दें. उन पर कोई दबाव न बनाएं. यदि आप को उन का पहनावा पसंद आ रहा है तो खुल कर तारीफ करें और यदि नहीं आ रहा है तो मुंह बनाने या ताने मारने जैसी छोटी हरकतें तो बिलकुल न करें. वह आप की बहू है, उसे उस की पसंदनापसंद के साथ पूरे प्यार से स्वीकार करें. यह कदम आप के रिश्तों में मिठास घोल देगा.

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ऐसे करें तिल की खेती

खरीफ का मौसम तिलहन की खेती के लिए विशेष महत्त्व रखता है. इस में मूंगफली, सोयाबीन व तिल की खेती का खास स्थान है. इस सीजन में बोई जाने वाली तिलहन फसलों का खाने के तेल के अलावा और भी कई तरीकों से प्रयोग किया जाता है. मूंगफली को भून कर खाने के अलावा या उस के दानों का विभिन्न मिठाइयों में प्रयोग किया जाता है. इसी तरह सोयाबीन को सब्जी या आटे के रूप में प्रयोग किया जाता है.

लेकिन इन सभी तिलहन वाली फसलों में तिल की खेती का खास महत्त्व है. तिल से न केवल तेल निकाला जाता है, बल्कि इस से भी कई तरह की मिठाइयां बनाई जाती हैं.

तिल की 2 प्रजातियां होती हैं, काला तिल व सफेद तिल. तिल का प्रयोग विभिन्न त्योहारों में भी किया जाता है. यह खासा महंगा भी होता है.

खरीफ सीजन की सब से खास तिलहनी फसल के रूप में तिल की बोआई बलुई, बलुई दोमट व मैदानी इलाकों की मिट्टी में आसानी से की जा सकती है. उत्तर प्रदेश के मैदानी इलाकों में तिल की बोआई अकसर सहफसली खेती के रूप में अरहर, ज्वार या बाजरा के साथ भी की जाती है.

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तिल की बोआई से पहले खेत की 2 बार जुताई कल्टीवेटर या रोटावेटर से कर देनी चाहिए, जिस से खेत के खरपतवार नष्ट हो जाएं. इस के बाद जून के दूसरे सप्ताह में जुताई किए गए खेत में गोबर की खाद मिट्टी में मिला देनी चाहिए. फिर जून के आखिरी हफ्ते से जुलाई के आखिरी हफ्ते के बीच में तिल के

3 से 4 किलोग्राम बीज प्रति हेक्टेयर की दर से 200 ग्राम कार्बंडाजिम या 50 ग्राम थीरम से उपचारित कर के बोआई करनी चाहिए. बोआई के समय यह ध्यान देना चाहिए कि बीज ज्यादा गहराई में न जाने पाए.

उर्वरकों का इस्तेमाल : तिल की खेती में उर्वरकों का इस्तेमाल करने से पहले किसानों को मिट्टी जांच जरूर करा लेनी चाहिए. इस से फसल में खादों की संतुलित मात्रा का इस्तेमाल करने में आसानी होती है.

वैसे, तिल की बोआई के समय 30 किलोग्राम नाइट्रोजन, 15 किलोग्राम फास्फोरस व 12.50 किलोग्राम गंधक का प्रति हेक्टेयर की दर से इस्तेमाल करना चाहिए. निराईगुड़ाई के समय 12.50 किलोग्राम गंधक प्रति हेक्टेयर की दर से डालनी चाहिए. अगर तिल की खेती राकड (बंजर) जमीन में की गई हो तो

15 किलोग्राम पोटाश की मात्रा का प्रयोग भी प्रति हेक्टेयर की दर से करना चाहिए. निराईगुड़ाई व सिंचाई : तिल की फसल में खरपतवार नियंत्रण बेहद जरूरी है, क्योंकि खरपतवार होने से तिल का उत्पादन घट जाता?है. बोआई के 20 दिनों के भीतर पहली निराईगुड़ाई करनी चाहिए. इस के बाद 35 दिनों के भीतर दूसरी बार फसल की निराईगुड़ाई करनी चाहिए. फसल में ज्यादा खरपतवार होने पर एलाक्लोर 50 ईसी का 1.25 लिटर प्रति हेक्टेयर की दर से बोआई के 3 दिनों के भीतर छिड़काव कर देना चाहिए.

चूंकि तिल बारिश की फसल है इसलिए इसे सिंचाई की जरूरत नहीं पड़ती?है. अगर तिल की फसल में 50 फीसदी तक फली आ गई हों और बारिश न हुई हो तो फसल की 1 सिंचाई कर देनी चाहिए.

फसल सुरक्षा: बरसात में तिल की फसल में लगने वाले प्रमुख कीट के रूप में पत्ती लपेटक व फलीबेधक का प्रकोप ज्यादा होता है. तिल में सूंडि़यों के रूप में लगने वाले कीट पत्तियों में जाली बना कर पत्तियों व फलियों को खा जाते हैं. ऐसे में क्पिनालफास 25 ईजी का 1.5 लिटर प्रति हेक्टेयर या मिथाइल पैराथियान के 2 फीसदी चूर्ण का 25 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करना चाहिए.

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तिल में लगने वाले रोगों में फाइलोडी रोग खास है. इस रोग से फूल गुच्छेदार हो कर खराब हो जाते हैं. इस रोग का कारण फुदका कीट होता है. तिल की फसल को फाइलोडी रोग से बचाने के लिए बोआई 10 जुलाई से 20 जुलाई के बीच करना ज्यादा सही होता है. फाइलोडी रोग से बचने के लिए फोरेट 10 जी को 15 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से मिट्टी में बोआई के समय ही मिला देना चाहिए. फसल में इस रोग का प्रकोप हो जाने पर मिथाइल ओ डिमेटान 25 ईसी का 1 लिटर प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करना चाहिए.

तिल की फसल में फाइटोफ्थेरा रोग लगने से पत्तियां तेजी से झुलस जाती हैं, जिस का सीधा असर उत्पादन पर पड़ता है. इस रोग की रोकथाम के लिए 3 किलोग्राम कौपर औक्सीक्लोराइड या 2.5 किलोग्राम मैंकोजेब का प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करना चाहिए.

फसल की कटाई व भंडारण : तिल की फसल की कटाई का समय आमतौर पर अक्तूबर से नवंबर माह के बीच होता है. जब पौधों की पत्तियां सूख कर गिर जाएं और फसल की कलियां सूखने लगें, तब फसल की कटाई कर लेनी चाहिए और फलियों को डंडे से पीट कर दानों को साफ कर अलग कर लेना चाहिए. फिर अलग किए गए दानों को 4 घंटे धूप में सुखा कर बोरे में भर कर सूखी जगह पर भंडारण करना चाहिए.

लाभ : तिल का औसत उत्पादन 8-12 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक पाया गया है, जिस में 1 हेक्टेयर खेत में तकरीबन 6,000 से 8,000 रुपए की लागत आती है. इस आधार पर वर्तमान बाजार भाव को देखते हुए 80 रुपए प्रति किलोग्राम की दर से औसतन 10 क्विंटल से 80,000 रुपए की आमदनी होती है.

अगर लागत को निकाल दिया जाए तो 4 माह की फसल से किसान को 72,000 रुपए का शुद्ध लाभ होता है इसलिए कोई भी किसान तिल की खेती को नकदी फसल के रूप में कर के अच्छा मुनाफा कमा सकता है.

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सेहतमंद रहना है तो लाइफस्टाइल बदलें

आज का युवा औसतन पूरे दिन में लगभग दस से चौदह घंटे मोबाइल फोन, टीवी, कम्प्यूटर, टैबलेट जैसे इलेक्ट्रौनिक डिवाइस के साथ समय बिताता है. इन इलेक्ट्रौनिक चीजों के लगातार इस्तेमाल से सेहत पर बुरा असर पड़ता है. मानसिक तनाव बढ़ने से कई रोग शरीर को घेर लेते हैं. यही वजह है कि आजकल युवाओं में तनाव, डिप्रेशन, डायबिटीज, ब्लड प्रेशर जैसी बीमारियां बढ़ रही है. डौक्टर कहते हैं अगर इलेक्ट्रानिक चीजों के साथ बिताए जा रहे समय को कसरत करने, पढ़ने लिखने, म्यूजिक सुनने जैसी चीजों में खर्च किया जाए तो इससे आपका दिन व्यर्थ नहीं जाएगा और सेहत पर भी सकारात्मक असर पड़ेगा. सुखी और स्वस्थ रहने के लिए अपने लाइफस्टाइल में थोड़ा सा बदलाव लाएं और देखें कि नतीजे कितने सुखद होते हैं.

लंबी वाक पर जाएं

आप रोज के कई घंटे अपनी सीट पर बैठकर कम्प्यूटर के सामने बिताते हैं, इससे शरीर तो सुस्त पड़ता ही है, साथ ही दिमाग पर भी तनाव बढ़ जाता है. इसलिए ये जरूरी है कि काम से अलग रोज कुछ समय आप वाकिंग को दें. पैदल चलने से हृदय सुचारू रूप से काम करता है जिससे ज्यादा खून और औक्सीजन दिमाग सहित पूरे शरीर में पहुंचता है और आप तरोताजा फील करते हैं.

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संगीत सुनें

मोबाइल और टीवी पर समय व्यर्थ करने से बेहतर है कि आप वह टाइम म्यूजिक सुनने में बिताएं. एक अध्ययन के मुताबिक संगीत सभी तरह के कामों को बेहतर बना देता है. संगीत की धुन दिमाग में तरंगे पैदा करती है जो आपके मूड को ठीक करती है, आपको ऊर्जा देती है, सकारात्मकता और एकाग्रता बढ़ाती है.

एक काम पूरा होने के बाद दूसरा शुरू करें

दिन का सदुपयोग करने का एक तरीका यह भी है कि आप तब तक कोई दूसरा काम शुरू न करें जब तक पहला काम खत्म न हो जाए. एक ही समय पर कई अधूरे टास्क लेने से समय और क्षमता की बर्बादी ही होती है. इसके लिए सबसे बेहतर तरीका है कि रोज अपने कार्यों की लिस्ट बनाएं, जो सबसे मुश्किल से शुरू होकर सबसे आसान पर खत्म होती हो.

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जल्दी उठना शुरू करें

सुबह जल्दी उठना दिन को बेहतर बनाने का सबसे अच्छा उपाय है. इससे आप अपने पूरे दिन को प्लान कर सकते हैं. अपने वर्किंग आवर्स शुरू होने से दो-तीन घंटा पहले उठने से पूरा दिन व्यवस्थित रहता है और किसी भी काम को लेकर हड़बड़ी नहीं होती है. इससे आप हमेशा तनावमुक्त बने रहते हैं.

न कहना सीखें

विशेषज्ञों का माना है कि अगर आप औफिस में हर काम को ‘हां’  कहकर उसे करने की कोशिश करेंगे तो सिर्फ अपना बोझ ही बढ़ाएंगे. इनकार करना, आपकी कमजोरी नहीं दर्शाता है, बल्कि यह अपने काम को प्राथमिकता देने की प्रक्रिया है. इससे आप सही समय पर सही मौकों को चुनते हैं. इसलिए बौस की नजर में अच्छा बनने के लिए फालतू के कामों के लिए ‘हां’  कहने से बचें और वह काम करें जो ज्यादा जरूरी हैं.

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GARBA SPECIAL 2019: देर तक टिकेगा आपका मेकअप

अगर आप गरबा में जाने वाली हैं तो आपको अपने मेकअप का खास ख्याल रखना होगा. क्योंकि गरबा में देर रात तक आपको डांडिया भी तो खेलनी होगी. बेशक आप चाहती होंगी कि आपका लुक फ्रेश रहे और आपके चेहरे पर निखार रहे. आज हम आपको बताते हैं  गरबा में जाने के लिए आप कैसे मेकअप करें.

गरबा में जाने के लिए ऐसे करें मेकअप

  1. चेहरे को फ्रेश और नेचुरल लुक देने के लिए सबसे पहले कंसीलर का इस्‍तेमाल करें. फाउंडेशन से पहले चेहरे पर कंसीलर लगाने से मेकअप लंबे समय तक चलता है और चेहरे पर फाउंडेशन अच्छी तरह से लगता है.

2. कंसीलर लगाने के बाद अपनी स्किन के कलर का फाउंडेशन अप्लाई करें. फाउंडेशन लगाने के लिए ब्रश का इस्तेमाल करें.

3. इसके बाद चेहरे पर पाउडर लगाएं. इससे आपका फाउंडेशन अच्छी तरह सेट हो जाएगा.

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4. आपकी आंखें आपके चेहरे की पहचान होती है, इसलिए इनका मेकअप करते समय खास ख्‍याल रखें. सबसे पहले लाइट कलर के फाउंडेशन से बेस तैयार कर लें. इसके बाद हल्‍के ग्रे कलर की आईलाइनर पेंसिल से ऊपर से नीचे की ओर लाइनर लगाएं. बाद में इसे उंगलियों की सहायता से स्‍मज कर दें. इससे स्‍मोकी लुक आ जाता है. इसके बाद मसकारा लगाएं.

5. अपने लिप्‍स को सुंदर और बोल्‍ड दिखाने के लिए सबसे पहले लिप्‍स पर कंसीलर लगाएं. उसके बाद जिस कलर की लिपस्टिक आप लगाने जा रही हैं, उसी कलर के लिपलाइनर से होठों की आउटलाइनिंग करें. ऐसा करने से आपके लिप्‍स बहुत आकर्षक लगेंगे और आपकी लिपस्टिक लंबे समय तक टिकी रहेगी.

6. अगर चेहरे की खूबसूरती को निखारना चाहती हैं, तो लिप्‍स पर डार्क कलर की लिपस्टिक लगाएं और चेहरे का मेकअप हल्‍का रखें.

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अजब गजब: चूहा पकड़ने का संदेश मिलेगा आपके फोन पर

आपको अपने स्‍मार्टफोन पर चूहा पकड़ने का संदेश देखने को मिल सकता है. एक कंपनी के कुछ तेइंजीनियर्स ने चूहा पकड़ने की एक ऐसी मशीन बना डाली है, जो चूहा पकड़ने के फौरन बाद आपके स्‍मार्टफोन पर संदेश भेज देगी.

अब वाईफाई का कुछ ज्‍यादा ही इस्‍तेमाल होने लगा है, तभी तो ये कंपनी वाईफाई से संबद्ध चूहा पकड़ने की मशीन लेकर बाजार में आ गई है.  हाल ही में इस कंपनी ने एक ऐसा माउस ट्रैप किट खोजा है, जिसमें लगी है खास वाईफाई डिवाइस, जो ठीक उसी समय अपने मालिक के स्‍मार्टफोन पर एक संदेश भेजती है, जैसे ही कोई चूहा इस ट्रैप में फंस जाता है. अगर आपके भी घर में चूहों ने आतंक फैला रखा है तो आप भी इस माउस ट्रैप का इस्तेमाल कर सकते हैं.

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इस माउस ट्रैप टूल में लगी है एक मोशन सेंसर डिवाइस जो चूहे और मशीन दोनों की गतिविधि ट्रैक करती है. सबसे मजेदार बात तो यह है कि इस माउस ट्रैप का मोशन सेंसर बिल्‍कुल चीज जैसा नजर आता है. इसीलिए हर चूहा खुश हो जाता है और उसे खाने के लिए दौड़ पड़ता है, लेकिन जैसे ही वो इस ट्रैप में फंसता है, वैसे ही यह मोशन सेंसर संब‍ंधित व्‍यक्ति के स्‍मार्टफोन ऐप पर एक नोटिफिकेशन भेजता है कि आपका एक शिकार पकड़ा गया है.

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क्यों फूट फूट कर रोईं राखी सावंत, वायरल हुआ ये वीडियो

कौन्ट्रोवर्सी क्वीन और एक्ट्रेस राखी सावंत पिछले काफी समय से अपनी शादी को लेकर सुर्खियों में बनी हुई हैं. अब एक बार फिर से राखी ने एक वीडियो सोशल मीडिया पर शेयर किया है. जी हां, इस वीडियो ने सबको हैरान कर दिया है. राखी के इस वीडियो को देखने के बाद ये अंदाजा लगाया जा रहा है कि राखी की शादीशुदा जिंदगी में कुछ परेशानी आ गई है.

वीडियो को देखने के बाद यूजर्स कमेंट कर रहे हैं कि क्या उनकी शादी खतरे में हैं या फिर एक बार राखी न्यूज में बने रहने के लिए ऐसा कर रही हैं. इसके साथ ही कुछ लोगों का कहना है कि ये राखी का पब्लिसी स्टंट है.

आपको राखी के इस वीडियो के बारे में बताते है, इस वीडियो में राखी बुरी तरह से रोती और परेशान दिखाई दे रही हैं. इसके साथ ही वीडियो में आप देख सकते हैं कि राखी कहती हैं,  तुम जो बोलोगे मैं करूंगी जो बोलोगे सुनूंगी, लेकिन हमें इग्नोर मत करो यार. मैं नहीं रह सकती हूं. आपको मेरे ऊपर जरा भी तरस नहीं आता है ना. मैं आपको बहुत प्यार करती हूं.

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इसके साथ ही राखी ने कुछ और वीडियोज भी पोस्ट किए हैं जिनमें वो अपने पति रितेश को लेकर बातें करती दिखाई दे रही हैं. आपको बता दें कि कुछ ही समय पहले राखी ने सोशल मीडिया पर ब्राइडल लुक में अपनी तस्वीरें पोस्ट की थीं. पहले तो वायरल होने के बाद राखी ने कहा है कि एक फोटोशूट था. लेकिन बाद में जब राखी के चूड़े पर लिखा रितेश नाम भी सामने आया तो राखी ने कुबूल किया कि उन्होंने बिजनेसमैन रितेश के साथ शादी कर ली है जो विदेश में रहते हैं. राखी के काम की बात करें तो राखी हाल ही में रिलीज हुए गाने ‘छप्पन छुरी’ में जबरदस्त डांस करती दिखाई दी हैं.

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