उत्तर प्रदेश में अपराध हर सरकार के लिये बडा मुद्दा रहा है. भाजपा ने भी ‘कानून के राज’ के नाम पर विधानसभा का चुनाव लड़ा. मुख्यमंत्री बनने के बाद योगी आदित्यनाथ ने अपराध कम करने का पहला वादा किया था. बहुत सारे बदलाव के बाद भी जब योगी सरकार की ‘हनक’ कायम होती नहीं दिखी, तो जनता सड़कों पर उतर कर अपराध के खिलाफ आवाज बुलंद कर रही है. जनता में फैलता यह संदेश योगी सरकार के खिलाफ जा रहा है. इससे योगी की छवि को धूमिल करने की कोशिश भी हो रही है. राजधानी लखनऊ, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकसभा सीट वाराणसी और कृष्ण की नगरी मथुरा सभी अपराध के दर्द से कराह रहे हैं.

राजधानी लखनऊ में पावर विंग ने तमाम संगठनों और लोगों के साथ मिलकर 1090 चैराहे पर प्रदर्शन किया. पावर विंग की अध्यक्ष सुमन रावत ने कहा कि ‘अपराध पर रोक लगनी ही चाहिये. जिस तरह से हत्या, बलात्कार, लूट और चोरी की घटनाओं का खुलासा नहीं हो रहा और घटनायें बढ़ रही हैं, इससे जनता में योगी सरकार के खिलाफ गलत मैसेज जा रहा है’ चैतन्य वेलफेयर फांउडेशन की ओम कुमारी सिंह ने कहा कि अपराध करने वालों के खिलाफ बिना किसी भेदभाव के कड़ी कानूनी सजा दी जाये. इन प्रदर्शन करने वालों का मानना था कि महिला अपराधों के खिलाफ त्वरित कार्यवाई की जाये.

अप्रैल माह में प्रधानमंत्री की लोकसभा सीट वाराणसी में सीताराम सर्राफ के यहां शहर की सबसे बड़ी चोरी हुई. इसमें 12 किलो सोना चोरी चला गया. पुलिस पर मामलें को खोलने का दवाब पड़ने लगा. पुलिस ने जिन लोगों को पकड़ा, उनसे मात्र 1 किलो सोना ही मिला. सीताराम सर्राफ के परिजन इस खुलासे से संतुष्ट नहीं हैं. ऐसे में वह पुलिस के हर अफसर तक अपनी बात पहुंचा चुके हैं. सीताराम सर्राफ के परिजनो में नुपूर अग्रवाल कहती है ‘पुलिस ने जिस तरह से मामले को खोला है अब उस पर यकीन करना संभव नहीं है. अगर सही लोग पकड़े गये होते तो पूरा माल बरामद हो जाता. पुलिस अब सीताराम सर्राफ के परिजनों को ही गलत तहरीर देने की बात कह रही है. पुलिस का मानना है के सीताराम सर्राफ के परिजनों ने ज्यादा सोना चोरी होने की बात लिखवाई थी.

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