बड़ी संख्या में बाहरी लोगों को पार्टी का टिकट देने से नाराज भाजपा कार्यकर्ताओं और नेताओं को समझाने के लिये पार्टी ने अपने घोषणापत्र में राम मंदिर को सबसे नीचे जगह दी है. राम मंदिर के लिये भाजपा के घोषणापत्र और प्रदेश अध्यक्ष का बयान आपस में मेल नहीं खाता. भाजपा के घोषणापत्र में कहा गया है कि संवैधानिक तरीके से हल निकाल कर पार्टी राम मंदिर बनवाने का काम करेगी. भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष केशव मौर्य कहते हैं ‘प्रदेश में बहुमत की सरकार बनते ही राम मंदिर के बनाने का रास्ता साफ हो जायेगा.’ अपने कैडर को खुश करने के लिये भाजपा ने मुसलिम वर्ग के प्रत्याशी को टिकट नहीं दिया है.

असल में भाजपा के नेता और कार्यकर्ता दोनो को ही राम मंदिर बनाने में कोई दिलचस्पी नहीं है. दूसरे दलों की ही तरह से यह लोग भी चुनाव जीतने और सत्ता में रहने की कोशिश में रहते हैं. जब भी नाराजगी का मसला आता है तो राम मंदिर की याद आ जाती है. भाजपा ने उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में पार्टी के कमजोर होते जनाधार को देखते हुये बड़ी संख्या में दलबदल को बढ़ावा दिया. दूसरे दलों के नेताओं के आने से भाजपा का वोटर नाराज न हो इसके लिये पार्टी ने राम मंदिर की बात को कह दिया.

इसके पहले पार्टी कई बार यह की चुकी है कि राम मंदिर का मुद्दा उनका चुनावी एजेंडा नहीं है. अगर राम मंदिर चुनावी मुद्दा नहीं है तो इसे घोषणापत्र में शामिल क्यों किया गया? असल में राम मंदिर के मलहम को लगा भाजपा अपने नाराज लोगों को पार्टी से जोड़े रखना चाहती है. पार्टी अंदरखाने यह प्रचार भी कर रही है कि वह अकेली ऐसी पार्टी है जिसने एक भी मुसलिम को चुनाव लड़ने के लिये टिकट नहीं दिया है.

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