20 मई को भाजपा सांसद तरुण विजय और दलित नेता दौलत कुंअर पर हमले की घटना से जातीय घृणा, ऊंचनीच, वैमनस्य और राजनीतिक स्वार्थ की सचाई उजागर हुई है.

20 मई को सुबह करीब 11 बजे देहरादून जिले की विकासनगर तहसील के ब्लाक मुख्यालय से 85 किलोमीटर दूर पोखरी गांव के लिए जौनसार बावर परिवर्तन यात्रा शुरू होने से पहले तरुण विजय, दौलत कुंअर और कई दलित युवा कार्यकर्ता काफी उत्साहित नजर आ रहे थे. तरुण विजय ने इस प्रतिनिधि को परिवर्तन यात्रा का उद्देश्य बताते कहा कि मोदी जी देश में समरसता चाहते हैं. समाज में किसी के साथ भेदभाव न हो. बीचबीच में वह कार्यकर्ताओं से भी बात कर रहे थे.

एस्कोर्ट समेत 4 गाडि़यों के साथ पहाड़ पर स्थित पोखरी गांव के सिलगुर देवता मंदिर पहुंचे, तो वहां ग्रामीणों की भीड़ थी. औरतें, नौजवान, बच्चे, बूढे मंदिर परिसर के ईर्दगिर्द खड़े थे. मंदिर के साइड में टैंट लगा था और भंडारा चल रहा था. माइक पर भंडारा में भोजन करने का आग्रह किया जा रहा था. गाडि़यां खड़ी कर के सब लोग करीब पचासों सीढियां चढ कर ऊपर मंदिर में पहुंचे. सांसद तरुण विजय के अगलबगल में उन के गनर और पुलिस के जवान चल रहे थे. भीड़ को हटाते हुए हम ऊपर मंदिर परिसर में पहुंच गए. सीढियां खत्म होते ही सामने बड़ा सा परिसर था, जहां लोगों की भीड़ थी. परिसर के बगल में फिर 10-12 सीढियां चढ कर तरुण विजय, दौलत कुंअर, सरस्वती कुंअर और दूसरे दलित युवकों में मंदिर में देवता के दर्शन किए. दरवाजे पर ही पंडित बैठा था, पास में बड़ा सा दानपात्र रखा हुआ था. दानपात्र और पंडित दरवाजे पर इस तरह आड़े थे कि कोई अंदर मूर्ति तक प्रवेश न कर सके.

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