उत्तर प्रदेश में अगले वर्ष विधानसभा चुनाव होने हैं और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ व भाजपा अब दलितों को भी अपने पाले में करने के लिए कोई कोरकसर नहीं छोड़ना चाहते. भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने दलित के घर खाना खाया. इस घटना को पूरे देश में बिना सच को जाने प्रचारित किया गया. भाजपा ने भी इस बात का कहीं कोई खंडन नहीं किया. मीडिया से ले कर राजनीतिक पार्टियों तक में अमित शाह के इस भोजन पर सियासी तूफान खड़ा हो गया. उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से ले कर बसपा नेता मायावती और भाजपा प्रदेश अध्यक्ष केशव मौर्य तक ने अमित शाह के दलित के घर भोजन करने पर अपनीअपनी प्रतिक्रिया दी. यह माना गया कि अमित शाह ने दलित के घर भोजन कर प्रदेश की राजनीति में नए संकेत दिए हैं.

सचाई यह है कि अमित शाह ने दलित के घर नहीं, बल्कि अति पिछड़े वर्ग में आने वाले बिंद के घर भोजन किया. बिंद बस्ती में अमित शाह का खाना गिरिजापति बिंद के घर पर तय किया गया. बिंद और मल्लाह जातियां अति पिछड़े वर्ग में आती हैं. इन के यहां अगड़ी जातियां हमेशा से भोजन करती रही हैं. इन से किसी तरह का छुआछूत का व्यवहार नहीं होता है. ऐसे में भाजपा अध्यक्ष के भोजन करने को मुद्दा बनाने का काम क्यों किया गया, समझ से बाहर की बात है. भाजपा ने इस बात पर पूरी चुप्पी साध ली जिस से यह बात साफ हो गई कि दलित के घर खाना खाने के हो रहे प्रचार में वह अपना भला देख ही रही है.

आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें

डिजिटल

(1 साल)
USD10
 
सब्सक्राइब करें

डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन

(1 साल)
USD79
 
सब्सक्राइब करें
और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...