मामाभांजे पवन कुमार बंसल और विजय सिंगला की घोटाला ऐक्सप्रैस को घूस कांड के खुलासे ने भले ही पटरी से उतार दिया हो लेकिन इस ऐक्सप्रैस में सवार व मुनाफे में हिस्सेदार रिश्तेदारों, अफसरशाहों और हमराजों पर शिकंजा कसना बाकी है. पढि़ए घूसखोरों के इस पूरे कुनबे की पड़ताल करती रिपोर्ट.

देश के नियोजित और सब से खूबसूरत व आधुनिक शहर चंडीगढ़ की राजनीतिक आबोहवा में इन दिनों भ्रष्टाचार की गंध घुली हुई है. शहर के राजनीतिक हलकों में जबरदस्त गहमागहमी दिखाई दे रही थी. यहां से लोकसभा के लिए चुन कर भेजे गए सांसद व रेल मंत्री पवन कुमार बंसल के भविष्य पर निर्णय की घड़ी का इंतजार था. वजह थी, इस शहर के नुमाइंदे रेल मंत्री के महकमे में प्रमोशन व पोस्टिंग को ले कर खरीदफरोख्त का परदाफाश होना. बंसल के रिश्तेदार बिचौलिए की भूमिका निभाते रंगेहाथों पकड़े गए. मामले में बंसल सहित रिश्तेदारों की गरदन सीबीआई के शिकंजे में फंस गई.

10 मई को शाम के करीब साढ़े 6 बजे चंडीगढ़ प्रदेश कांग्रेस कार्यालय में मुर्दनी छाई हुई थी तो सैक्टर 33 में मेन मार्केट के सामने स्थित भारतीय जनता पार्टी के कार्यालय कमलम में बैठे लोगों के चेहरे खिले हुए थे. चंडीगढ़ प्रदेश भाजपा के महासचिव चंद्रशेखर समेत दूसरे पदाधिकारियोें की निगाहें मीटिंग हौल में लगे टैलीविजन सैट पर लगी हुई थीं. ये लोग एक नैशनल न्यूज चैनल पर अपने पूर्व सांसद व राष्ट्रीय लीगल सैल के प्रभारी सत्यपाल जैन को प्रतिद्वंद्वी पवन  कुमार बंसल के खिलाफ जोरदार तर्क देते हुए देख रहे थे.

रेल मंत्री का हटना अंतिम लक्ष्य नहीं

पवन बंसल को मंत्री पद से हटवा कर आप का मकसद पूरा हो गया?
यह हमारा अंतिम लक्ष्य नहीं था. यह एक पड़ाव है. अब हम चाहते हैं कि सीबीआई बंसल से पूछताछ कर के कठोर कार्यवाही करे.

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