जनता दल यूनाइटेड के नेता व बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ अपने 2 बेटों को लगा कर राष्ट्रीय जनता दल के मुखिया लालू प्रसाद यादव राजनीतिक अखाड़े में ताल ठोंकने की तैयारी कर रहे हैं. वे साफतौर पर कहते हैं कि नीतीश बिहार संभाल रहे हैं, वे दिल्ली पहुंच कर भाजपा को धूल चटाने के लिए कसरत शुरू करेंगे. दिल्ली में टिकने के लिए उन्होंने उपाय भी ढूंढ़ लिया है. अपनी बड़ी बेटी मीसा भारती को राज्यसभा पहुंचाने के बाद उन्हें दिल्ली में रहने का सरकारी ठिकाना मिल जाएगा. विधानसभा चुनाव में दमदार वापसी करने के बाद लालू की राजनीति में काफी बदलाव दिखने लगा है. अब वे ‘दिल’ के बजाय ‘दिमाग’ से राजनीति करने के फायदे को समझ चुके हैं और पिछली सारी कमियों को दूर करने की पूरी कोशिश कर रहे हैं. उन की कोशिश रंग लाती भी दिखने लगी है. दिलचस्प बात यह है कि उन्होंने अपने ठेठ गंवई अंदाज को छोड़ दिया है.

लालू यादव को विरोधियों के जंगलराज के आरोप के सच होने के खतरे का एहसास है तभी तो उन्होंने नीतीश कुमार से साफ कह दिया है कि कानून व्यवस्था को चुनौती देने वालों से कड़ाई से निबटा जाए. ऐसे मामलों में पुलिस की कार्यवाही में उन की पार्टी दखल नहीं देगी. लालू को उन के कुछ बिगड़ैल नेताओं और समर्थकों की मनमानी की वजह से उन्हें 10 साल तक सत्ता से दूर रहना पड़ा. लाठी रैली में कभी यकीन रखने वाले लालू अब इस बात का पूरा खयाल रख रहे हैं कि उन से मिलने आए किसी भी नेता, समर्थक या कार्यकर्ता के हाथों में लाठी, पिस्तौल, राइफल या बंदूक नहीं हो. उन्होंने अपने सिक्योरिटी स्टाफ को हिदायत दे रखी है कि ऐसे किसी भी आदमी को उन के घर में न घुसने दिया जाए. लालू ने पार्टी के झंडा और बैनरों को गाडि़यों पर लगाने के लिए भी सख्त मनाही कर रखी है. गौरतलब है कि साल 2005 में पहली बार मुख्यमंत्री बनने के बाद नीतीश कुमार ने पार्टी के अलावा किसी को भी पार्टी के झंडों को गाडि़यों पर लगाने पर पाबंदी लगा दी थी. लालू यादव इस मामले में भी नीतीश कुमार का साथ दे रहे हैं.

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