हर साल मौसम के बदलते ही कोई न कोई वायरस देश में अटैक कर देता है और एक छोटे से इलाके से फैलते हुए पूरे देश को अपनी चपेट में ले लेता है. हाल में जीका वायरस का आतंक भी जयपुर से शुरू होकर बिहार तक हाई अलर्ट का मसला बन चुका है. स्वाइन फ्लू, डेंगू, मलेरिया, स्क्रबटाइटस के बाद जयपुर में जहां जीका  वायरस के 29 केस पौजिटिव मिले हैं वहीं कई मरीज अभी जांच के दौर में हैं. जीका वायरस के ग्रसित 29 लोगों में 3 गर्भवती महिलाएं भी शामिल हैं. इसके बाद पीएमओ ने स्वास्थ्य मंत्रालय से इस बारे में विस्तृत रिपार्ट मांगी है. जाहिर है यह आंकड़े स्वास्थ्य विभाग ने दिए हैं जबकि ऐसे मामलों में आंकड़े स्वास्थ्य विभाग के अंदाजन आकंड़ों से कहीं ज्यादा होते हैं.

बहरहाल जैसे ही इसके कुछ मामले सामने आए, आमजन में दहशत फैलने लगी. मुश्किल यह भी है जहां लोग बदलते मौसम और बीमारियों से अभी उबर भी नहीं पाए थे कि चिकित्सीय विभाग की जांच के बाद जीका वायरस के मामलों और स्क्रब टायफस से हो रही मौतों से राजस्थान में भय का माहौल पैदा हो गया है.

स्वास्थ्य विभाग इस मामले को गंभीरता से लेते हुए ये पता लगाने में लगा हुआ है कि जीका वायरस कहां से प्रदेश में आया और कितने लोग इससे पीड़ित हैं. हालांकि, मामला सामने आते ही इस संबंध में एक टीम का गठन कर दिया गया है, जो घरों में जाकर सर्वे करेगी. साथ ही नगर निगम ने भी पूरी मुस्तैदी के साथ शास्त्री नगर में फोगिंग और मच्छरों को खत्म करने के आदेश दिए गए हैं हालांकि शहर के अन्य जिलों में फोगिंग के लिए टीम अभी तक नहीं पहुंची है.

बिहार पंहुचा जीका संक्रमित

स्वस्थ्य विभाग को राजस्थान के बाद बिहार में भी जीका वायरस को लेकर हाई अलर्ट घोषित करना पड़ा. ऐसा इसलिए क्योंकि जयपुर के शास्त्री नगर इलाके में इस वायरस के शिकार मिले हैं और संक्रमित लोगों में से एक शख्स बिहार के सीवान में अपने घर से हाल ही में लौटा है. ऐसे में इस व्यक्ति के जरिये जीका वायरस राज्य में अन्य लोगों को भी संक्रमित कर सकता है. इस लिहाज से बिहार स्वस्थ्य विभाग सचेत है. बता दें कि जीका विषाणु जनित रोग दुनिया भर के 86 देशों में दर्ज किया गया है. भारत में जनवरी और फरवरी 2017 में पहली बार इसके प्रसार की पुष्टि अहमदाबाद में हुई थी. इसके बाद तमिलनाडु में भी इसकी पुष्टि हुई थी.

क्या होता है इससे

डब्ल्यूएचओ प्रमुख मार्गरेट चान की मानें तो ‘जीका’ वायरस जन्म दोष में तेजी से बढ़ोतरी का प्रमुख कारक है. जबकि अन्य चिकित्सा विशेषज्ञ भी मानते हैं कि जीका वायरस जन्म दोष और माइक्रोसेफली जैसी मस्तिष्क संबंधी विकारों के लिए जिम्मेदार है. माइक्रोसेफली के कारण बच्चे असामान्य रूप से छोटे सिर के साथ पैदा होते हैं. वायरस संक्रमित महिला के गर्भ में फैल सकता है और शिशुओं में माइक्रोसिफेली और अन्य गंभीर मस्तिष्क रोगों का कारण बन सकता है.

क्या बला है जीका वायरस ?

बहुत कम लोग जानते हैं कि जीका वायरस का प्रकोप 2015 में ब्राजील से शुरू हुआ था और तब से यह करीब 24 अमेरिकी देशों में फैल चुका है. डब्ल्यूएचओ के मुताबिक जीका वायरस एडीज मच्छर से फैलता है जो दिन के समय काटता है. संक्रमण फैलने का सबसे ज्यादा खतरा गर्भवती महिलाओं और बच्चों को है. दरअसल जीका वायरस कुछ कुछ डेंगू, मलेरिया और चिकनगुनिया की तरह ही काम करता है. इस वायरस की चपेट में आये लोग खुद को बीमार महसूस नहीं करते. यदि मच्छर किसी संक्रमित व्यक्ति को काटता है, जिसके खून में वायरस मौजूद हैं, तो यह किसी अन्य व्यक्ति को काटकर वायरस फैला सकता है.

कैसे निबटें

इस वायरस को लेकर सबसे चिंताजनक बात यह है कि जीका वायरस संक्रमण के लिए कोई टीका नहीं है. ऐसे में इसके बचाव को लेकर बहुत ज्तादा सावधानी बरतने की दरकार है. जितना हो सके हाई रिस्क वाले इलाकों में जाने या सफर करने से बचें. खासतौर पर प्रेग्नेंट महिलाओं को मच्छरों से भलीभांति बचाव करना चाहिए. चूंकि इस वायरस को फैलाने वाले मच्चार मच्छर दिन के दौरान, सुबह बहुत जल्दी और सूर्यास्त से कुछ घंटे पहले काटते हैं. इसलिए इस समय अलर्ट रहे. बाहर निकलें तो खुद को अच्छे से कवर करने वाली ड्रेस पहनें.

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