सीमा पिछले कुछ माह से तनाव में चल रही थी. वजह थी उसके बेटे रुद्राक्ष की दसवीं की बोर्ड परीक्षा .सीमा खुद भी स्थानी यस्कूल में शिक्षिका थी.वहीं उसके पति सत्यानिजी बैंक में कार्यत थे. सीमा को बेटे रुद्राक्ष को पढ़ाने के लिये छुट्टियां लेनी होती थी पर हर बार उसकी प्रिंसिपल ये बोलकर छुट्टियां देने से मना कर देती थी "अगर तुम छुट्टी लोगी तो तुम्हारी कक्षा के बच्चो का क्या होगा?"
ये बात एक हद तक सही भी थी ,इस कारण सीमा चुप लगा जाती थी. परन्तु जब वो पास पड़ोस में रहने वाली महिलाओं को देखती थी तो सीमा के मन मे टीससी उठती थी. सब प्राइवेटफर्म में कार्यत थी और जब भी बच्चों की परीक्षा ये होती थी तो वो आराम से वर्कफ्रॉमहोम कर लेती थी.
मार्च की आहट होते ही कोरोना ने भी धीरे धीरे भारत पर अपने शिकंजा कसना शुरू क र दिया था .बच्चो की सेहत को मद्दे नजर रखते हुये स्कूल बंद हो गए और टीचर्स को घर पर रहकरही अब उनकी ऑनलाइनक्लासेस लेनी थी. आखिरकार अब सीमा को भी वर्कफ्रॉमहोम करने का मौका मिल गया था.
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सीमा ने राहत की सांस ली क्योंकि अब वो घर पर रहकर काम के साथ-साथ घर- परिवार की सेहत का ध्यान रख सकतीहैं.सुबह जल्दी उठने का तनाव नही था.बच्चो कीऑनलाइन क्लास का समय सुबह 9 बजे था.सीमा के घर पर रहने के कारण परिवार भी थोड़ा रिलैक्स हो गया था.भागमभाग वाले नाश्ते की जगह बच्चो ने आजपूरी ,आलू औ रहलवे की फरमाइश कर दी थी.सीमा को भी लगा इतना तो कर सकती हैं.