संबंधों का मतलब है साथ सहयोग द्वारा जीवनयात्रा का आनंद प्राप्त करना, समस्याओं का मिलजुल कर हल निकालना और सही मंजिल तक पहुंचना. खासकर, पतिपत्नी को एकदूसरे का पूरक बन कर रहना. आर्थिक, सामाजिक, पारिवारिक और मानसिक समस्याओं की आग तीक्ष्ण न बने, यह देखने की जिम्मेदारी पतिपत्नी दोनों की ही है परंतु कुछ लोग स्वभाव से पलायनवादी होते हैं. इस स्थिति में भ्रम अधिक पैदा होता है, जिस से संबंधों में तनाव बढ़ता है. यह पलायनवाद जीवन में अलगअलग मौके पर अलगअलग असर डालता है.

परिवार में आर्थिक जिम्मेदारी अत्यंत महत्त्वपूर्ण होती है. बिल, बच्चों की फीस, दवा और घर के रूटीन खर्च को व्यवस्थित रूप से चलाना बहुत जरूरी है. कई ऐसे पति हैं जो सबकुछ जानते हुए भी इस से भागते हैं. वे इस दिशा में सोचना ही नहीं चाहते. परिणामस्वरूप, घर में क्राइसिस बढ़ती है. भागने की यह प्रवृत्ति पहले से व्यवस्था करने से दूर होती है. अगर कोई व्यवस्था न हो तो मेहनत करने या उसे हल करने की दिशा कहां से मिलेगी?

जीवन में अनेक मौकों पर पलायनवाद की अपेक्षा मुकाबला करने की हिम्मत ज्यादा महत्त्वपूर्ण है. जिम्मेदारी से भागने से यह कम नहीं होती, जबकि और समस्याएं पैदा करती है.

मात्र आर्थिक जिम्मेदारी ही नहीं, तमाम ऐसे लोग हैं जो घर के छोटेमोटे कामकाज की जिम्मेदारी से भी भागते हैं. जैसे किसी छोटीमोटी बीमारी में डाक्टर के यहां जाने में बहाने बनाते हैं और जब बीमारी बढ़ जाती है तो दूसरे को परेशान करते हैं. ऐसे लोग इस भ्रम में रहते हैं कि किसी जादुई छड़ी से सारी समस्याओं का हल निकल आएगा. एक आदमी बचने का रास्ता खोजता है तो दूसरों की जिम्मेदारी और तनाव दोनों बढ़ जाते हैं.

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