युवा एडवैंचर टूरिज्म खूब पसंद करते हैं जहां थ्रिल और थोड़ाबहुत रिस्क हो. दूरदूर तक फैले ग्लेशियर के पहाड़ों की ट्रेकिंग, जंगल सफारी, बंजिंग जम्पिंग, स्कूबा डाइविंग यह सब युवाओं की पसंद रहती है. लेकिन इस तरह के टूरिज्म में कुछ तरह की सावधानियां बरतनी जरूरी हैं. पिछले साल की बात है.

27 सितंबर को ‘वर्ल्ड टूरिज्म डे’ के अवसर पर भारत सरकार के पर्यटन मंत्रालय ने दिल्ली में एक कार्यक्रम आयोजित किया था, जिस में उत्तराखंड को ‘बैस्ट एडवैंचर टूरिज्म डैस्टिनेशन’ का फर्स्ट प्राइज दिया गया था. इस मौके पर उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा था कि इस उपलब्धि से उत्तराखंड के नैसर्गिक प्राकृतिक सौंदर्य एवं पर्यटन क्षेत्रों को देश व दुनिया में पहचान मिलेगी. विश्व पर्यटन दिवस के अवसर पर राज्य के पर्यटन को यह एक सौगात है.

साहसिक पर्यटन की दृष्टि से प्रदेश में माउंटेनियरिंग, ट्रेकिंग, कैंपिंग आदि गतिविधियों का काफी विस्तार हुआ है. जब हम साहसिक पर्यटन या एडवैंचर टूरिज्म शब्द पर गौर करते हैं तो इस का मतलब यही निकलता है कि आप के सैरसपाटे में मौजमस्ती के साथसाथ रोमांच और रिस्क का तड़का. दरअसल पिछले कुछ वर्षों से भारत में ऐसी रोमांच यात्राओं या साहसिक पर्यटन का चलन ज्यादा बढ़ा है जिन में कोई यात्री रोमांच के लिए खोज यात्राओं पर निकल जाता है या फिर जोखिम अनुभव करने की उमंग में रिस्क से भरी ऐक्टिविटी में भाग लेता है.

इस श्रेणी में पर्वतारोहण, कुछ प्रकार के वनभ्रमण, गहरीअंधेरी गुफाओं में प्रवेश, युद्धग्रस्त क्षेत्रों का भ्रमण इत्यादि शामिल हैं. अमूमन रोजमर्रा की बोरिंग जिंदगी में खुशी के कुछ पल ढूंढ़ने के लिए लोग अपनों के साथ या फिर अकेले ही ऐसी जगहों पर सुकून से बिताना चाहते हैं जहां वे खुद को फ्रैश महसूस कर सकें तो फिर एडवैंचर ट्रैवलिंग के नाम पर जिंदगी को जोखिम में डालने से मिलता क्या है? क्यों हम ऐसे काम करने की सोचते हैं, जो हमारे दिल की धड़कन बढ़ा देते हैं?

नदी की उफनती लहरों में रिवर राफ्ंिटग, किसी ऊंची जगह से कमर पर रस्सी बांध कर हवा में लहरा कर बंजी जंपिंग, पथरीलीनुकीली चट्टानों पर रौक क्लाइंबिंग, खुले जंगल में हिंसक जानवरों से रूबरू होने के लिए जंगल सफारी, दुर्गम रास्तों पर पैदल, साइकिल, मोटरसाइकिल आदि से दूरियां नापना एडवैंचर टूरिज्म के कुछ खास नमूने हैं, जो बहुत कम समय में दुनियाभर में इतने ज्यादा प्रचलित हो गए हैं कि अब इन्हें ध्यान में रख कर ही कुछ पर्यटन स्थल विकसित कर दिए गए हैं. आप को हिंदी फिल्म ‘जिंदगी न मिलेगी दोबारा’ तो याद ही होगी? इस फिल्म के 3 हीरो मिल कर स्पेन की एक ऐसी साहसिक यात्रा का प्लान करते हैं, जिस में उन्हें अपने हर दोस्त की कही बात मान कर उस साहसिक काम को करना होता है, जिस का डर उन के भीतर तक होता है. इस में स्कूबा डाइविंग, स्काई डाइविंग और गुस्साए सांडों के साथ दौड़ना शामिल होता है. लेकिन इस का मतलब यह नहीं है कि आप को विदेश जा कर ही ऐसी साहसिक यात्राओं या खेलों का मजा लेना होगा. अब तो भारत में भी ऐसी जगहें विकसित हो गई हैं, जहां जा कर लोग अपनी ट्रैवलिंग में रिस्क और रोमांच का भरपूर मजा ले सकते हैं.

एडवैंचर के भारतीय अड्डे वैसे तो पूरे भारत में ऐसी अनेक जगहें हैं जहां की साहसिक यात्रा पर आप निकल सकते हैं, ऊंचे पहाड़ हों या गरजता समुद्र, सुलगती रेत हो या हरेभरे जंगल, आप को हर कहीं एडवैंचर टूरिज्म का जलवा दिखाई देगा पर कुछ जगहें ऐसी हैं जिन का नाम सुन कर ही बदन में रोमांच की लहर दौड़ जाती है. बात लद्दाख की करते हैं जहां की खूबसूरत झीलें, मठ और पहाड़ की चोटियां खासीयत हैं. सब से ज्यादा रोमांचक बात तो यहां की बाइक राइडिंग है. लोग बाइक पर निकल पड़ते हैं मैदानी इलाकों से और घुमावदार, ऊंचेनीचे, कच्चेपक्के रास्तों से पहुंच जाते हैं खूबसूरत लद्दाख में. लद्दाख से कुछ ही दूर स्टौक कांगड़ी एडवैंचर के शौकीनों के लिए शानदार जगह है.

आप यहां आ कर कुदरती नजारों के साथसाथ पैराग्लाइडिंग का मजा भी ले सकते हैं. इसी तरह हिमाचल प्रदेश का बीर इलाका पर्यटन के लिए जबरदस्त है. ‘भारत की पैराग्लाइडिंग राजधानी’ कहे जाने वाले इस क्षेत्र में पैराग्लाइडिंग के अनेक स्थान हैं. अगर आप को समुद्र खंगालना है तो अंडमाननिकोबार द्वीप चल दीजिए. यहां सैलानियों को स्कूबा डाइविंग का मौका मिलता है, जिस में वे पानी के नीचे बसे कई जीव और अन्य प्रकार के पौधे देखते हैं. एडवैंचर के शौकीनों के लिए महाराष्ट्र का कामशेत भी किसी ट्रीट से कम नहीं है. आप यहां आ कर पैराग्लाइडिंग, ट्रेकिंग, बाइकिंग जैसे खेलों का मजा ले सकते हैं. उत्तराखंड का ऋषिकेश साहसिक गतिविधियों में दिलचस्पी रखने वाले लोगों को बीच कैंप करने की जगह के रूप में प्रसिद्ध है. यहां गंगा नदी में रिवर राफ्ंिटग के तो कहने ही क्या.

कर्नाटक स्थित नेत्रानी में आप स्कूबा डाइविंग करना बिलकुल न भूलें. दिल्ली के 28 साल के आर्यन गुप्ता, जिन का ‘आर्यननाइट्जराइडर’ नाम का यूट्यूब चैनल है, ने एडवैंचर ट्रैवलिंग के अपने अनुभवों के बारे में बताया, ‘‘मैं ने 18 साल की उम्र से अकेले ही बाइक से ट्रैवलिंग और एडवैंचर करना शुरू कर दिया था. सब से पहले मैं उत्तराखंड के मसूरी शहर में गया था. इस के बाद मैं ने लद्दाख, पूर्वोत्तर के राज्यों, राजस्थान, महाराष्ट्र, गोवा, मतलब कश्मीर से कन्याकुमारी तक अकेले ही बाइक से ट्रैवल किया. ‘‘मैं ने भारत के आखिरी गांव चितकुल और सब से ऊंचे गांव हिक्किम तक बाइक राइड का मजा लिया है. यह एक शानदार फीलिंग होती है और इसे शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता.

‘‘जब मैं ऐसे सोलो एडवैंचर ट्रिप पर होता हूं तो साथ में टैंट और दूसरे जरूरी सामान अपने साथ रखने के अलावा कुकिंग भी खुद ही करता हूं. यह सब कर के आप अलग ही जोन में चले जाते हैं. पर एडवैंचर का यह मजा कभीकभी सजा भी बन जाता है. एक बार मैं नौर्थईस्ट के तवांग में स्नो एरिया में बाइक चला रहा था कि ठंड के मारे मेरे हाथ 20 मिनट के लिए सुन्न हो गए थे, क्योंकि मेरे पास ग्लव्स नहीं थे. तब बाइक इंजन के सामने हाथ रख कर उन्हें गरम किया था. लद्दाख में मेरा औक्सीजन लैवल काफी कम हो गया था. ‘‘लिहाजा, जब आप किसी एडवैंचर ट्रिप पर जाने की सोचते हैं तो पूरी तैयारी के साथ निकलें और कुदरत का मजा लें.’’

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