स्मोकिंग स्वास्थ के लिए कितना खतरनाक है इस बारे में कई शोध हुए हैं. इसका स्वास्थ पर कितना बुरा असर होता है इसके बारे में लोगों को पूरी जानकारी है. जानकारी के बाद भी लोग इस लत से दूर नहीं हो पाते. ये बुरी आदत छूट सके, इसके लिए लोग तरह तरह के उपायों की ओर रुख करते हैं. कई बार उन्हें सफलता मिलती है, तो कई बार नहीं. कुल मिला कर धूम्रपान करने वाले व्यक्ति की नीयत पर निर्भर करता है कि वो इस जानलेवा आदत से दूर होता है या नहीं.
हाल ही में हुई एक शोध के मुताबिक जो लोग स्मोकिंग छोड़ने की कोशिश कर रहे हैं, अगर वो खुद निकोटीन इनटेक पर नजर रखने को कहा जाए वो अपनी इस आदत को छोड़ने में कामयाब हो सकते हैं. इस स्टडी को क्वीन्स मैरी यूनिवर्सिटी औफ लंदन के शोधकर्ताओं ने एक जर्नल में प्रकाशित किया. इसमें कहा गया है कि निकोटीन की डोज तय करने का फैसला स्मोकर्स पर ही छोड़ देना चाहिए. इससे उनकी स्मोकिंग की आदत के छूटने की संभावना बढ़ जाती है.
इस शोध से ये बात सामने आई कि लोग निकोटीन इनटेक का फैसला खुद करते हैं. जबकि जब वे छोड़ना चाहते हैं तो उन्हें डाक्टर के निर्देश के अनुसार डोज तय कर दिया जाता है. कुछ लोगों के लिए ये पैमाना कम होता है, तो किसी के लिए ज्यादा. ऐसे में इस बात की संभावना ज्यादा होती है कि वो फिर से स्मोकिंग की आदत पकड़ लेंगे.
जानकारों का मानना है कि मेडिसिनल निकोटीन प्रोडक्ट की कम मात्रा की वजह से ट्रीटमेंट में बहुत कम सफलता मिलती है. अब इसमें सुधार की जरूरत है. स्मोकिंग छोड़ने की कोशिश कर रहे लोगों को यह छूट देनी चाहिए कि वे कितनी निकोटीन डोज ले सकते हैं. लोग अपनी जरूरत के हिसाब से धीरे-धीरे निकोटीन की डोज कम कर सकते हैं.