हमारे समाज में मुफ्त की सलाह देने वालों की कमी नहीं रही है. घर, चौपालों में इस तरह की सलाह कई बार बेहद घातक होती है. जीवन ले लेती है. 48 साल की बबिता को पेट में दर्द था. उस की माहवारी बंद हो चुकी थी. उस ने अपनी सास से यह बात बताई. सास ने कहा जब माहवारी बंद होने वाली होती है तो ऐसे ही होता है. परेशान न हो दर्द धीरेधीरे ठीक हो जाएगा. बबिता ने किसी डाक्टर से न सलाह ली न कोइ जांच कराई. धीरेधीरे 2 साल बीत गए. बबिता की माहवारी बंद हो गई. पेट में भारीपन और हल्का दर्द बना रहता था.
एक दिन अचानक उसे तेज माहवारी हुई. फिर लोगों ने समझाया कि कई बार बंद होने यानि मेनोपौज के पहले ऐसा एक दो बार हो जाता है. बबिता को रूकरूक कर माहवारी चल रही थी. 5वें दिन माहवारी इतनी बढ़ गई कि उस को संभालना कठिन हो गया. इमरजैंसी में परिवार के लोग बबिता को अस्पताल ले गए. जांच हुई तो पता चला कि बबिता को गर्भाशय का कैंसर है. अब इस की चौथी स्टेज है. 2 माह से अधिक का समय उस के पास नहीं है. अगर 2 साल पहले जांच और इलाज हो जाता तो बबिता को बचाया जा सकता था.
हमारे समाज में इस तरह का ज्ञान अब चैपाल के अलावा सोशल मीडिया पर भी मिलने लगा है. किसी भी विषय पर हजारोंलाखों लोग अपने सोशल मीडिया पर ज्ञान परोसते रहते हैं. इस बहाने यह लोग अपने फौलोवर्स और सब्सक्राइबर बढ़ाने का काम करते हैं. यह पूरी एक कड़ी है. जिस की कमान सोशल मीडिया साइट बनाने वालों के पास होती है. मुख्यतौर से कमाई वह करते हैं. कंटैंट क्रिएटर और इनफ्लूंएसर्स बन कर तमाम लोग पैसे मिलने की चाह में उन का काम कर रहे हैं. सोशल मीडिया पर काम कर रहे 10 फीसदी लोग ही मेहनत के बराबर कमाई कर रहे हैं. बाकी लोग कमाई की अंधी दौड़ में भाग रहे हैं. उन को लगता है कि अब पैसा मिलने वाला है. लेकिन यह मिलता नहीं है.
एक से बढ़ कर एक सलाह
इंस्टाग्राम पर आनेस्ट आयुर्वेदा नाम के एकाउंट में स्टाफेनिया नामक एक पौधे को दिखाते हुए समझाया गया है कि यह पौधा हजारों साल रहता है. यह घर को हराभरा करने के लिए लगाया जाता है. इस का खास महत्व यह बताया गया है कि इस को घर में लगाने से लंबी आयु और बढ़ी हुई कृपा मिलती है. इस का रखरखाव आसान है. अब लोग इस को लंबी आयु और बढ़ी हुई कृपा के लिए ढूंढ रहे हैं.
बेस्ट किचन लाइट की सोशल मीडिया साइट पर फोल्डिंग फर्नीचर बहुत ही अच्छी तरह से दिखाए गए हैं, जिस में बेड दीवार के सहारे खड़ा हो जाता है. उस के कुछ हिस्से को बाहर निकाल कर अलमारी बना लिया जाता है. ऐसे कई प्रयोग हैं जिन को एक हाथ से उठा कर प्रयोग किया जा सकता है. फोल्डिंग फर्नीचर जब घर में आते हैं तो उन का प्रयोग उतना सरल नहीं होता जितना दिखाया जाता है.
एमपी औनलाइन न्यूज के इंस्टाग्राम पर एक खबर में बताया गया है कि एक महिला के जुड़वा बच्चे हुए. दोनों के डीएनए अलगअलग थे. क्योंकि महिला ने एक ही रात दो लोगों के साथ सैक्स किया था. ऐसे में बच्चों के पिता अलगअलग निकले. विज्ञान की नजर से यह पूरी तरह से गलत है. जब गर्भ में एक बार अंडाणु और शुक्राणु का निषेचन हो जाता है तो गर्भाशय इस के बाद के शुक्राणु को प्रवेश नहीं देता है. अगर 2 पुरूषों के शुक्राणु मिला कर अंडाणुओं के साथ मिला कर निषेचित किए जाएं तो अंडाणु उस को स्वीकार नहीं करता.
बांके बिहारी शास्त्रीजी महाराज के सोशल मीडिया साइट पर बताया गया है कि दोपहर के बाद नहाने वाले का जीवन खराब हो जाता है. उस के जीवन में दुख आते हैं. इन का प्रभाव उस के पिता और पुत्र पर पड़ता है. आज के दौर में कितने ही लोग दोपहर क्या रात तक नहाते हैं. ऐसे में इस तरह के वीडियोज कूड़े के जैसे हैं और केवल भ्रामक सूचना देने का काम करते हैं.
आई एम प्रिया सिन्हा अपने इंस्ट्राग्राम पर बताती है कि रोज नहाना हैल्थ के लिए ठीक नहीं होता है. ऐसे में आप के मातापिता या प्रेमिका कितना भी रोज नहाने के लिए कहें आप को रोज नहीं नहाना है. इस से गुड वैक्टीरिया मर जाते हैं. आप की बौडी की एंटीबाइटिक क्षमता खत्म हो जाती है. गरम पानी से नहाने पर यह और भी तेजी से प्रभावित होते हैं.
गिफ्ट बेबी इन के सोशल मीडिया साइट पर अखंड ज्योति दीये का प्रचार करते बताया गया है कि यह 9 से 11 दिन एक ही बाती से जल सकता है. इस के अंदर एक लंबी बाती होती है जो घर के कटोरे में डूबी होती है. इस को एक पीतल के छेद से उपर ले जा कर जला दिया जाता है. जलती बाती को बिना बुझाए स्क्रूपेच के द्वारा ऊपर खिसकाया जा सकता है. ऐसे में अंखड ज्योति का लाभ तब मिलेगा जब एक ही बाती 9 दिन या 11 दिन तक लगातार जल सके.
आमतौर पर महिलाएं आपने सामने के दो दांतों में गैप होने पर परेशान होती है. उन को लगता है कि इस से उन की मुसकान सुंदर नहीं होती है. यह इस गैप को बंद कराने के लिए डैंटिस्ट के पास जाती है. मेधा 3267 इंस्ट्राग्राम एकाउंट पर बताया जा रहा है कि जिन महिलाओं के दांतों में गैप होता है वह काफी समझदार और मुश्किलों को चुटकियों में सुलझाने वाली होती हैं. ऐसी भाग्यशाली महिलाएं 100 में से एक होती है. अब जनता डैंटिस्ट की बात माने या मेघा की.
लोग हो रहे सजग:
सोशल मीडिया गलत जानकारी देने का सब से बड़ा माध्यम बन गया है. इस की सब से बड़ी वजह यह है कि यहां कोई संपादक नहीं है. जिस का जो मन कर रहा है वह अपने वीडियोज में बोल रहा है. ज्यादातर लोग इधरउधर से सामाग्री ले कर वीडियो बना लेते हैं. इस के पीछे उन की अपनी मेहनत नहीं होती है. पहले लिखने के लिए लोग रिसर्च करते थे. पुस्तकालय जा कर किताबें पढ़ते थे. जिस विषय पर लिखना और बोलना होता था उस को पूरी तैयारी से लिखते थे. टीवी और रेडियो पर बोलने के लिए स्क्रिप्ट लिखते थे. जितने समय के लिए बोलना होता था उस के हिसाब से लिखते थे.
अब सोशल मीडिया पर लिखने के लिए यह जरूरी नहीं रह गया है. सोशल मीडिया सही और गलत का फर्क नहीं कर पाता है. सोशल मीडिया प्लेटफौर्म पर कुछ ऐसे नियम हैं उस के टूल्स पर कुछ शब्द पकड़ में आ जाता है. जैसे हिंसा, कत्ल, मारपीट, मर्डर, इन शब्दों का प्रयोग करने पर वह चेतावनी दे देता है. जिन के नियम तोड़ने पर सोशल मीडिया एकाउंट बंद हो जाता है. इस से भी कंटैंट क्रिएट करने वाले इनफ्लूएंसर्स को नुकसान होता है. बड़ी मेहनत से अगर अच्छे फौलोवर्स और सब्सक्राइबर्स बने तो एक ही झटके में वह खत्म भी हो सकते हैं.
सोशल मीडिया पर लग रहा प्रतिबंध
सोशल मीडिया का नुकसान केवल आंखों और सेहत पर हर नहीं पड़ रहा है. समाज की सेहत भी इस से बिगड़ रही है. कई देशों में इन पर प्रतिबंध लग रहा है. ब्राजील में सोशल मीडिया ‘एक्स’ को बंद कर दिया है. यूरोप के कई देश ‘टेलीग्राम’ को बंद करने का विचार कर रहे हैं. दुनिया भर में सोशल मीडिया को ले कर सेंसरशिप के मामले बढ़ते जा रहे हैं.
2015 से अब तक 62 देश किसी न किसी मुद्दे पर इस तरह का बैन लगा चुके हैं. एशिया के 48 में से 27 देशों में इंटरनेट या सोशल मीडिया के इस्तेमाल पर सख्ती बढ़ी है. पिछले 5 साल में 62 देश ऐसे रहे हैं जिन्होंने इंटरनेट और सोशल मीडिया पर सब से ज्यादा सख्ती दिखाई है. ऐसे देशों में इन की कुल हिस्सेदारी 30 फीसदी से ज्यादा है. इन में सब से ज्यादा सख्ती चीन, उत्तर कोरिया, ईरान, कतर जैसे देशों ने दिखाई है. चीन में तो विदेशी सोशल मीडिया प्लेटफौर्म पर पूरी तरह रोक है. उस ने इस के लिए अपनी व्यवस्था बना रखी है.
2019 में इंटरनेट पर 121 बार बैन लगा कर भारत दुनिया में अव्वल रहा. जम्मू-कश्मीर से जुड़े अनुच्छेद 370 पर फैसले के बाद अगस्त 2019 में भारत में इंटरनेट पर दूसरा सब से लम्बा बैन लगाया गया था. इस के बाद जून 2020 में टिकटौक समेत चीन के 59 एप पर रोक लगाई गई. 2 साल में इंटरनेट और सोशल मीडिया पर सब से लम्बा बैन अफ्रीकी देश चाड में रहा. यहां 2018 और 2019 के दौरान 472 दिन तक यह बैन लगा रहा, यानी लगभग हर दूसरे दिन. ऐसा इसलिए किया गया ताकि 1990 से राष्ट्रपति पद पर काबिज इदरिस डेबी 2033 तक इस पद पर बने रह सकें.
अलगअलग देशों ने इंटरनेट या सोशल मीडिया पर बैन लगाने के पीछे कई तरह की दलीलें दीं. इन में खास तौर पर परीक्षा के दौरान पेपर लीक होने का डर, सुरक्षा को खतरा, चुनाव और नेताओं के वीडियो वायरल होने से रोकने जैसी वजह बताई गई हैं. ज्यादातर सरकारों ने सुरक्षा का हवाला दे कर विरोधियों को रोकने के लिए ऐसा किया. अब कई देश इस तरह के प्रतिबंध ले कर आ रहे हैं कि सोशल मीडिया का प्रयोग किस उम्र तक के लोग कर सकते हैं. बच्चों को ले कर जल्द गाइडलाइन और कानून बनने वाला है.
बेहद खास है सोशल मीडिया का एल्गोरिदम
सोशल मीडिया पर गलत सूचनाएं जो वास्तविक लगती है लेकिन होती नहीं है. यह सोशल मीडिया के माध्यम से तेजी से प्रसारित होती है. जिस से समस्या और भी बदतर होती जाती है. 15 से 35 वर्ष के युवाओं के बीच, सोशल मीडिया सब से ज्यादा प्रचलित है. देश में 53 फीसदी लोग ऐसे हैं जो खबरों के लिए सोशल मीडिया पर निर्भर होते हैं. अब एक्स, फेसबुक, इंस्टाग्राम और यूट्यूब समाचार के साधन बन गए हैं.
सोशल मीडिया के चलते अब कोई भी पत्रकार बन सकता है. एक रिसर्च के अनुसार सोशल मीडिया पर सच्ची रिपोर्टिंग की तुलना में फर्जी खबरें 10 गुना तेजी से फैल सकती हैं. विस्फोटक, गलत सूचना देने वाली पोस्ट वायरल हो जाती हैं. सोशल मीडिया का एल्गोरिदम कंटैंट को क्यूरेट करता है. एल्गोरिदम का काम देखने वाले को यथासंभव लंबे समय तक औनलाइन रखना होता है. इस से सोशल मीडिया को चलाने वाले लाभ कमाते हैं.
एल्गोरिदम के चलते ही सोशल मीडिया यह तय कर लेता है कि देखने वाले को आगे क्या दिखाया जाए ? यदि देखने वाला किसी पोस्ट को पसंद करते हैं या साझा करते हैं, तो उस के जैसे और भी पोस्ट दिखाई देंगीं. एल्गोरिदम उन लोगों की पोस्ट को अधिक संख्या में सोशल फीड करते हैं, जिस से उन्हें अधिक व्यूज, लाइक, कमेंट और शेयर मिलते हैं.
सोशल मीडिया पर आने वाली पोस्ट कूड़े के ढेर की तरह से होती हैं. जिस तरह से कूड़े के ढेर से अपने मतलब की चीज निकालने की मेहनत करनी होती है. वैसे ही सोशल मीडिया पर भी अपने मतलब की चीज पाने के लिए मेहनत करनी पड़ती है. मेहनत से ही अपने मतलब की पोस्ट तक जा सकते हैं. हर पोस्ट को ज्ञान का खजाना समझ कर उस पर भरोसा करने वाले को धोखा ही मिलता है.