हाल ही में किये गए एक सर्वे के मुताबिक औसतन स्मार्टफोन यूजर्स 1 दिन में 47 बार अपना फोन चेक करते हैं. 85 % स्मार्टफोन यूजर्स अपने दोस्तों और परिजनों से बातें करते हुए भी अपना मोबाइल चेक करते रहते हैं.

स्मार्टफोन पर व्यतीत किया जाने वाला औसत समय प्रतिदिन 2 घंटा 51 मिनट है तो औसतन स्माटफोन यूजर्स 1 दिन में 2,617 बार फोन को टैप, स्वाइप और क्लिक करते हैं.

वैसे तो आज के समय में स्मार्टफोन, टैबलेट और कंप्यूटर लोगों की  जिंदगी में काफी महत्वपूर्ण जगह रखने लगे हैं मगर किसी भी चीज की अधिकता अच्छी नहीं होती.  स्मार्टफोन का जरूरत से ज्यादा प्रयोग यानी स्मार्टफोन एडिक्शन लोगों में दुश्चिंता, तनाव, अवसाद, एकाग्रता की कमी, अनिद्रा आदि की वजह बन रहा है.

जब आप सोशल मीडिया और मोबाइल पर बेवजह गेम खेलने और वक्त बिताने के इतने आदी हो जाते  हैं कि आप के रिश्ते और काम प्रभावित होने लगे या फिर बारबार ईमेल, मैसेज वगैरह चेक करते रहने की आदत पड़ गई है और आप मोबाइल के बगैर रहने की कल्पना भी नहीं कर सकते तो समझ लीजिए कि आप मोबाइल एडिक्शन यानी नोमोफोबिया (फियर औफ बीइंग विदाउट ए  मोबाइल फोन) के शिकार हो चुके हैं.

यह ऐसी बीमारी है जो इंसान का सुकून छीन  लेती है. सेहत के साथ रिश्ते भी बीमार होने लगते हैं. इस से बचने के लिए इन बातों का खयाल रखें.

  1. नो फोन जोन

अपने बेडरूम में फोन चार्ज करना बंद करें. क्यों कि यही  वह जगह है जहां आप खुद को रिचार्ज करते हैं. अपने जीवनसाथी के साथ वक्त बिताते हैं और सुकून व आराम के लम्हे गुजारते हैं. बेड पर लेट कर अपने फोन या टैबलेट पर ईबुक्स पढ़ने के बजाय किताबें  पढ़े. रिसर्च बताते हैं कि किताबें पढ़ने से आप की मानसिक क्षमता और याददाश्त बढ़ती है. नींद भी अच्छी आती है.

इसी तरह डाइनिंग टेबल भी एक आवश्यक नो फोन जोन एरिया  है. यहां आप परिवार के साथ होते हैं. साथ मिल कर भोजन करने का फायदा तभी मिल सकता है जब आप फोन में उलझे हुए  न हो. इस समय रिलैक्स्ड रहे और जीवनसाथी व बच्चों की समस्याएं सुने या दिन भर घटी मनोरंजक बातें एकदूसरे के साथ शेयर करें.

  1. नो फोन टाइम

जिस तरह घर के कुछ खास हिस्सों में फोन का प्रयोग सीमित रखना लाजमी है वैसे ही जिंदगी में कुछ लम्हें ऐसे होते हैं जब आप को फोन के बारे में सोचना ही नहीं चाहिए. जैसे शाम में ऑफिस से घर लौटने के बाद का समय आप के जीवनसाथी और बच्चों का है. घर पहुंचते ही फोन ले कर बैठ जाने की आदत उचित नहीं. यह समय बच्चों के साथ हंसखेल कर बिताएं. इसी तरह जिम, मीटिंग में, बाथरूम में या ड्राइविंग करते समय फोन अलग उठा कर रख दें या स्विच ऑफ कर दे.

  1. सोशल मीडिया उपवास

जिस तरह समयसमय पर खानेपीने का उपवास रखना सेहत के लिए अच्छा होता है ऐसे ही कभीकभी सोशल मीडिया से गायब हो जाना भी रिश्तो की मजबूती के लिए जरूरी है. महीने दो महीने में एक बार सप्ताह भर के लिए सोशल मीडिया से वर्चुअली एबसेंट रह कर देखें. परिवार के साथ कहीं घूमने का प्रोग्राम हो या लोंग वीकेंड  का समय, आप सोशल मीडिया से दूरी बढ़ा सकते हैं. नोटिफिकेशंस बंद कर दे.

बच्चों के सिवा अपनी जिंदगी में हम किसी ऐसे व्यक्ति को पसंद नहीं करते जो हर समय हमें महत्वहीन बातों और चीजों के लिए परेशान करता रहे. दरअसल नोटिफिकेशंस ऐसे व्यक्तियों का ही डिजिटल वर्जन है जो हर वक्त आप को परेशान करते हैं. हर समय इन के हमलो की वजह से हमारे अंदर एडिक्शन के वायरस घुसने लगते हैं.

नोटिफिकेशंस व्यक्ति के हार्ट रेट को बढ़ा देते हैं. इन्हें देखते ही व्यक्ति मैसेज में क्या लिखा है यह देखने की उत्सुकता बढ़ जाती है. वह खुद को रोक नहीं पाता और हर नोटिफिकेशन पर फोन खोल कर बैठने लगता है. इस तरह उसे फोन की ऐसी लत लग जाती है कि वह 2 मिनट भी उस के बिना नहीं रह पाता. मगर यह उचित नहीं फोन से जो भी सूचनाएं प्राप्त करनी है उसे अपने हिसाब से जब जरूरत हो तब लेने की आदत डालें न कि फोन के बंदी बन कर आप हर समय उसी में आंखे गड़ाये रहने को विवश हो जाएं.

  1. दोस्तों के साथ अधिक वक्त बिताएं

बच्चों के पैदा होने के बाद अक्सर हम अपनी दोस्तीयारी सीमित कर लेते हैं. मगर शारीरिक मानसिक तंदुरुस्ती के लिए परिवार के बाहर भी क्वालिटी रिलेशनशिप डिवेलप करने की आवश्यकता पड़ती है. पेंरेटिंग काफी जिम्मेदारी का काम होता है. पैरेंट बनने के बाद लोग व्यस्तता की वजह से बाहरी रिश्तों से अलगथलग पड़ने लगते हैं. ऐसे में उन्हें स्मार्टफोन का ही सहारा नजर आता है. वे फोन के करीब हो जाते हैं. वस्तुतः फोन की आवश्यकता अपने प्रिय दोस्तों को कॉल करने और मिलने के प्रोग्राम तय करने के लिए होना चाहिए न कि महज दोस्तों के स्टेटस को लाइक कर अपने जिंदा होने का एहसास दिलाने के लिए.

दोस्तों के साथ फिजिकली वक्त बिताएं. नईनई योजनाएं बनाएं लेकिन अपने बीच डिजिटलमैन यानी स्मार्टफोन को न आने दें. उन्हें दूर ही रखें. इस की जरूरत केवल इमरजेंसी के समय के लिए ही सीमित रखें.

  1. अपने परिवार के लिए भी समय निकालें

इंसान जब परेशान हो या थका हो तो उसे बच्चों का साथ रिलैक्स फील कराता है. इसी तरह यदि आप स्मार्टफोन ओवर यूजर हैं तो भी बच्चों का साथ आप को इस एडिक्शन से छुटकारा दिलाने में मददगार साबित हो सकता है.यह बहुत ही सहज समाधान है. जब भी आप को अपना फोन देखने की इच्छा महसूस हो तो बच्चों या जीवनसाथी के साथ वक्त बिताएं. अपने इनबॉक्स के ईमेल खंगालने या फसबूक्स में लाइक्स और कमैंट्स लिखने से बहुत अच्छा और फलदायक परिवार के साथ क्वालिटी टाइम बिताना है.

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