बिहार का अम्बुज अफ्रीका के इथियोपिया जौब के लिए गया. वहां उस की मुलाकात ईसाई धर्म की पढ़ीलिखी इंजीनियर लड़की सोनिया से हुई. सोनिया शांत स्वभाव की होने की वजह से अम्बुज को भा गई और उन दोनों ने शादी का मन बनाया. परिवार में मातापिता को कोई एतराज न था, लेकिन रिश्तेदारों और उस के बड़े भाई ने उस रिश्ते को मानने से मना किया. इस पर अम्बुज ने अपने रिश्तेदारों और भाई को समझाने की बहुत कोशिश की, लेकिन वे नहीं माने.

अम्बुज ने अपने पेरैंट्स का आशीर्वाद ले कर सोनिया से इथियोपिया में ही कोर्ट मैरिज कर ली और अफ्रीका में ही रहने लगा. दोनों को एक बेटा हुआ और जब वे तीनों बिहार में अपने घर आए, तो भाईभाभी ने पहले तो बात नहीं की, बाद में सोनिया के व्यवहार से इतने खुश हुए कि दोनों ने उन्हें स्वीकार कर लिया. आज किसी को भी उस के किसी गैरधर्म या जाति या अलग देश की होने का मलाल नहीं.

सोनिया को भारत में रहना और यहां की लाइफस्टाइल बहुत पसंद है. वह यहां अपने तरीके से ही जी पा रही है, जहां उस का पति और ससुराल पक्ष उस के अलग खानपान को भी मानने लगे हैं. आज सोनिया खुश है और भारत में ही जौब भी कर रही है.

यह सही है कि भारत में इंटरकास्ट मैरिज को आज भी लोग नहीं मान पाते और ऐसी सोच तक़रीबन हर घर में है, जिस से निकलना आज भी मुश्किल है. यह एक सामाजिक टैबू है, जिस के दोषी परिवार, समाज और धर्म सभी हैं जो इस की दुहाई देते हुए प्रेमियों को अलग करने की कोशिश लगातार करते रहते हैं. जबकि, एक सर्वे में यह पाया भी गया है कि इंटरकास्ट मैरिज का असर परिवार और समाज पर हमेशा सकारात्मक होता है.

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