आज भारत का फर्टिलिटी रेट 2.1 है जिस का मतलब औसत एक औरत 2.1 बच्चे पैदा कर रही है. दक्षिण कोरिया में यह 0.8 है जिस का अर्थ है कि औसतन एक औरत एक बच्चा भी पैदा नहीं कर रही. दुनिया के विकसित देशों में तेजी से जनसंख्या की वृद्धि रुक रही है और यह नई समस्याओं को जन्म दे रही है.

पियू रिसर्च के अनुसार, 1976 में केवल 1 बच्चे वाले सिर्फ 11 फीसदी परिवार थे और 2 बच्चे वाले 24 फीसदी, 3 बच्चे वाले 25 फीसदी व 4 या 4 से ज्यादा बच्चे वाले 40 फीसदी परिवार थे जबकि अब 2014 के (जो आंकड़े भी काफी पुराने हैं) 1 बच्चे वाले परिवार 22 फीसदी हो गए हैं, 2 बच्चे वाले 41 फीसदी, 3 बच्चे वाले 24 फीसदी और 4 बच्चों वाले 14 फीसदी परिवार हैं. इस का मतलब यह है कि आज भी जिन परिवारों में बच्चे हैं वहां 78 फीसदी के भाईबहन हैं.

जहां शादीशुदा मगर बिना बच्चे वाले या अकेले रहने वालों को छोड़ दें तो भी यह पक्का है कि जनसंख्या के साथ भाई या बहन वाले परिवारों की संख्या उतनी तेजी से घट नहीं रही है. इस का दूसरा मतलब यह है कि चाहे उन परिवारों की गिनती बढ़ रही हो जो बच्चे नहीं कर रहे लेकिन इकलौते बच्चों वाले परिवारों की संख्या उतनी तेजी से नहीं बढ़ रही. जब एक बच्चा हो जाता है तो दूसरे की तैयारी करने का मन आसानी से बन जाता है.

दिक्कत यह है कि दुनिया के मनोवैज्ञानिक, समाजशास्त्री, नीतिनिर्धारक, कहानी लेखक, फिल्म निर्माता, भाईभाई, भाईबहन या बहनबहन रिश्तों पर कम ही विचार करते हैं जबकि औसतन भाईबहन शायद मांबाप से ज्यादा समय तक साथ रहते हैं.

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