‘‘मम्मी, सब गोवा जा रहे हैं, मैं भी जाऊं?’’

‘‘शादी के बाद जाना.’’

‘‘नीलम के घर नाइटआउट के लिए जाऊं?’’

‘‘बेटी, शादी के बाद जहां नाइटआउट करना हो, करना.’’

‘‘कालेज में फैस्ट है, रात में देर हो जाएगी, तो वहीं रुक सकती हूं?’’

‘‘शादी के बाद जहां मन करे रुकना.’’

‘‘मम्मी कल....’’

‘‘शादी के बाद.’’

‘‘बस, एक दिन....’’

‘‘शादी के बाद.’’

अगर आप भी उन लड़कियों की गिनती में आती हैं जिन्हें अपनी मम्मी से हर सवाल पर यही जवाब मिलता है कि शादी के बाद, तो आप इस कन्वर्सेशन को बहुत अच्छी तरह समझ सकती हैं. चाहे प्लान दिल्ली से जम्मू या पंजाब से राजस्थान का ही क्यों न हो, मम्मी प्लान कैंसिल करने के लिए यह डायलौग न बोल दें तो समझिए उन का तो दिन ही पूरा नहीं होता.

चलो, घूमनाफिरना तो फिर भी अलग बात है. मम्मी तो हर छोटीबड़ी बात पर शादी के बाद, शादी के बाद कहती रहती हैं. ‘खाना बनाना नहीं आता तो शादी के बाद क्या होगा,’ ‘सुबह जल्दी नहीं उठ सकती तो शादी के बाद क्या होगा,’ ‘जबान कैंची जैसी चलती है तो शादी के बाद क्या होगा.’

कभीकभी तो लगता है कि पैदा होने के बाद, जब बेटी पहली बार रोई होगी तो मम्मी के मुंह से यह नहीं निकला होगा कि ‘बेटा, चुप हो जा,’ बल्कि यह निकला होगा, ‘हाय, तेरा शादी के बाद क्या होगा.’

दिल्ली की रहने वाली बोधि के लिए उस की मम्मी का हर बात पर उसे यह कहते रहना कि शादी के बाद जाना या यह काम शादी के बाद करना, सिर का दर्द बना हुआ है. बोधि के कालेज से फर्स्ट ईयर में ट्रिप हिमाचल प्रदेश जा रही थी. बोधि के सभी दोस्त जा रहे थे. बोधि केवल 17 साल की थी तो मम्मी ने साफसाफ कह दिया कि किसी ट्रिपव्रिप पर नहीं जाना, जहां जाना है, शादी हो जाए तो चली जाना. बोधि ने उस समय ज्यादा नानुकुर नहीं की और मन मार कर बैठ गई.

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