राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) की एक रिपोर्ट के मुताबिक चौंकने वाली बात सामने आई हैं. यह जानकार हैरानी होती है कि बच्चों के साथ यौन हरकत करने वाले अधिकांश बड़े उम्र के खुद के रिश्तेदार थे.

आज छोटी छोटी बच्चियां खुद के घर में खुद का बचाव नहीं कर सकतीं. इसमें कहीं न कहीं माँ बाप की भी गलती होती है. अगर वे अपने बच्चों के साथ समय बिता कर इन विषय पर खुल कर बात करें तो वे सही गलत को समझ पाएंगी. इन शिक्षा का ज्ञान हम बहुत की कम घरों में देखते है. अधिकतर घरों में किताबी ज्ञान को ज्यादा महत्व दिया जाता है.

डौक्टर सुषमा का कहना है, “ जहां किताबी ज्ञान जरूरी है वहीं बाहरी शिक्षा का ज्ञान भी जरूरी है. मैं जब भी ऐसे केस देखती हूं तो मुझे बहुत अफसोस होता है खुद को भारतीय समाज का हिस्सा बोलते हुए. हम अपराधियों को अपराध करने से नहीं रोक सकते लेकिन हम खुद को उससे बचा जरूर सकते हैं. लड़का हो या लड़की दोनों को ही समय के अनुसार हमे सही टच और गलत टच के बारे में बताना चाहिए. बच्चों को हमेशा बच्चा बन कर ही समझाना चाहिए. यदि आप किसी बच्ची को समझा रहे हैं तो उसे एकांत में ले जा कर न समझाएं. इससे बच्ची ज्यादा डर सकती है. जब भी कोई उसे नौर्मल भी टच करेगा तो वो सहम जाएगी”.

डौक्टर सुषमा कहती हैं कि सबसे ज्यादा जरूरी बात यह भी है की हमें बच्चों के साथ हमेशा फ्रैंडली रहना चाहिए ताकि वह हमसे अपनी सभी बातें शेयर कर सकें. कुछ मां बाप जरूरत से ज्यादा सख्त होते हैं, जिससे बच्चें अपनी दिक्कतें मां बाप को बताने में डरते हैं.

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