"बच्चे मन के सच्चे", ये हम सब कहते सुनते आए हैं .अपनी निश्छल मुस्कान और मासूमियत से सबका मन मोह लेने वाले बच्चे सभी को भाते हैं लेकिन कभी कभी यही बच्चे कुछ ऐसा कर गुजरते हैं कि हम सब सोचते रह जाते हैं कि बालमन में ऐसी आपराधिक मानसिकता कैसे जन्मी पता ही नहीं चला .

बदलते समय के साथ अब बहुत जरूरी हो गया है कि माता पिता और परिवार के बुजुर्ग सभी बच्चे की गतिविधियों पर नजर रखे.. बच्चे का सामान्य से हटकर कुछ अलग व्यवहार आने वाली परेशानी का संकेत हो सकता है .

बच्चों के स्वस्थ मानसिक विकास के लिए पारिवारिक वातावरण का अच्छा और सुमधुर होना बहुत जरूरी होता है. बड़ों की आपस की बातें भी कभी कभी बच्चों को परेशान कर सकती है जिसका असर उनके विकास पर पड़ सकता है जैसे कि माता पिता या बड़े बुजुर्गों के बीच कोई मतभेद है तो उस पर बच्चों के सामने कहा सुनी न करें, साथ ही आपस में बात करते समय भी शब्दों का चुनाव भी बेहतर करें . क्यू कि बच्चें जो देखते सुनते हैं वैसा ही आचरण करते हैं केवल स्कूल का बेहतर माहौल उनके व्यक्तित्व का निमार्ण नहीं कर सकता है.

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बच्चें जहां और जिनके बीच खेलते और बातचीत करते हैं उनके संबध में भी जानकारी रखे और खुद बच्चों से सीधे पूछताछ भी करते रहे . केवल बातचीत करके आप आराम से बच्चों के बारें में जानकारी जुटा सकती है, बच्चों का दोस्त बनकर बात करना, उनकी समस्या हल करना बहुत जरूरी हो गया है .

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